नई दिल्ली4 मिनट पहले
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प आज भारत पर और ज्यादा टैरिफ का ऐलान कर सकते हैं। उन्होंने कल यानी मंगलवार को कहा था कि वे 24 घंटे में भारत पर भारी टैरिफ लगाने जा रहे हैं। ट्रम्प ने 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान किया था।
उन्होंने कहा था कि भारत, रूस के साथ व्यापार करके यूक्रेन के खिलाफ रूसी वॉर मशीन को ईंधन देने का काम कर रहा है। इस वजह से अमेरिका को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
इससे एक दिन पहले भी उन्होंने कहा था कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीद कर ओपन मार्केट में बेच रहा है। भारत को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूस के हमले से यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इस वजह मैं भारत पर टैरिफ में भारी इजाफा करूंगा।
यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से सिर्फ 0.2% (68 हजार बैरल प्रतिदिन) तेल इंपोर्ट करता था। मई 2023 तक यह बढ़कर 45% (20 लाख बैरल प्रतिदिन) हो गया, जबकि 2025 में जनवरी से जुलाई तक भारत हर दिन रूस से 17.8 लाख बैरल तेल खरीद रहा है।
पिछले दो साल से भारत हर साल 130 अरब डॉलर (11.33 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा का रूसी तेल खरीद रहा है।

भारत रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ी खरीदार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत का रूसी तेल खरीदना दोनों देशों के लिए फायदेमंद रहा है। यूक्रेन युद्ध से पहले रूस अपना क्रूड ऑयल यूरोपीय यूनियन की तरफ से तय 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर बेचता था, लेकिन वॉर के बाद से भारत इसे छूट पर खरीदता है।
इसके बाद भारतीय रिफाइनरी कंपनियां इसे प्रोसेस करके यूरोप और अन्य देशों ने बेच देती हैं और उन्हें करोड़ों का फायदा होता है। इसके साथ भारत को अपनी घरेलू जरूरतों के लिए भी सस्ता तेल मिल जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के बाद भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है।
भारत का जवाब- अमेरिका खुद रूस से व्यापार कर रहा
ट्रम्प की धमकी पर कड़ा जवाब देते हुए भारत ने सोमवार को कहा था कि हमारी आलोचना करने वाले देश खुद रूस के साथ खूब व्यापार कर रहे हैं, वो भी बिना किसी मजबूरी के।
भारत सरकार ने कहा कि रूस से तेल खरीदने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) भारत की आलोचना कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है। हम अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत को रूस से तेल खरीदना पड़ा, क्योंकि उसका पुराने ऑयल सप्लायर यूरोप को सप्लाई करने लगे थे। उस वक्त अमेरिका ने भारत को ऐसा करने के लिए बढ़ावा दिया था।
भारत ने बताया कि 2024 में EU ने रूस के साथ करीब 85 बिलियन यूरो का व्यापार किया। इसी तरह, अमेरिका अपनी न्यूक्लियर इंडस्ट्री के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, उर्वरक और केमिकल इंपोर्ट कर रहा है।
भारत को रूसी ऑयल की खरीद बंद न करने की सलाह
रिसर्च इंस्टीट्यूट ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने पिछले महीने ही भारत से कहा कि उसे रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद करने के अमेरिकी दबाव में नहीं आना चाहिए और उसका विरोध करना चाहिए।
थिंक टैंक ने कहा है कि रूस से तेल इंपोर्ट करने से भारत को महंगाई को काबू में करने और अस्थिर ग्लोबल माहौल में आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली है।
टैरिफ के ऐलान के बाद अमेरिकी तेल इम्पोर्ट दोगुना
अप्रैल में ट्रम्प के टैरिफ धमकियों के बाद भारत ने अमेरिका से भी कच्चे तेल की खरीद दोगुनी कर दी है। अप्रैल-जून तिमाही में इसमें सालाना आधार पर 114% की बढ़ोतरी हुई है।
वहीं नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 37 जरूरी दवाओं की कीमतें 10-15% तक घटा दी हैं। इनमें पेरासिटामॉल, एटोरवास्टेटिन और एमोक्सिसिलिन जैसी दवाएं शामिल हैं, जो हार्ट, डायबिटीज और इंफेक्शन के मरीजों के लिए जरूरी हैं।
