नई दिल्ली18 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

ट्रम्प ने रेसिप्रोकल टैरिफ 90 दिनों के लिए टाल दिया था। इसकी डेडलाइन 9 जुलाई को खत्म हो रही है।
भारत और अमेरिका के बीच मिनी ट्रेड डील का ऐलान आज देर रात तक होने की उम्मीद है। ये डील भारतीय निर्यातकों और अमेरिकी बाजारों के लिए नए रास्ते खोल सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था, बाद में इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया। इसकी डेडलाइन 9 जुलाई 2025 को खत्म हो रही है। ऐसे में ये डील काफी अहम है।
आइए, इस पूरे मामले को सवाल-जवाब के जरिए समझते हैं…
सवाल 1: भारत-अमेरिका मिनी ट्रेड डील क्या है?
जवाब: मिनी ट्रेड डील एक छोटा और सीमित व्यापार समझौता है, जिसमें दोनों देश कुछ खास सामानों पर टैरिफ (कस्टम ड्यूटी) कम करने और व्यापार बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। ये कोई बड़ा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) नहीं है, बल्कि एक शुरुआती कदम है, जिसमें कुछ सेक्टरों को शामिल किया जाता है और बाकी जटिल मुद्दों को बाद के लिए छोड़ दिया गया है।
भारत और अमेरिका के बीच ये डील खास तौर पर ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, दवाइयां, और कुछ कृषि उत्पादों पर फोकस कर रही है। इसका मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान बनाना और टैरिफ की वजह से होने वाली रुकावटों को कम करना है।

सवाल 2: इस डील की बातचीत क्यों शुरू हुई?
जवाब: इस डील की शुरुआत का बड़ा कारण है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 2 अप्रैल 2025 को लिया गया फैसला, जिसमें उन्होंने भारत समेत कई देशों पर 26% का रेसिप्रोकल टैरिफ (जवाबी शुल्क) लगाने का ऐलान किया था। बाद में इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया।
इसकी डेडलाइन 9 जुलाई 2025 को खत्म हो रही है। अगर इस डेडलाइन तक कोई डील नहीं होती, तो भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों पर 26% का भारी टैरिफ लग सकता है। भारत ये टैरिफ हटवाना चाहता है। दूसरी तरफ अमेरिका चाहता है कि भारत उसके कृषि और डेयरी उत्पादों को अपने बाजार में ज्यादा जगह दे।
सवाल 3: इस डील में क्या-क्या शामिल है?
जवाब: सूत्रों के मुताबिक, मिनी ट्रेड डील में ये अहम बिंदु हैं:
- भारत की पेशकश: भारत अमेरिका के पेकान नट्स (एक तरह का बादाम), ब्लूबेरी, और कुछ अन्य कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने को तैयार है। साथ ही, ऑटोमोबाइल और कुछ इंडस्ट्रियल गुड्स पर भी टैरिफ में रियायत दी जा सकती है।
- अमेरिका की मांग: अमेरिका चाहता है कि भारत उसके डेयरी प्रोडक्ट्स, जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों, और सेब, बादाम, पिस्ता जैसे कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करे।
- क्या बाहर रखा गया: भारत ने साफ कर दिया है कि चावल, गेहूं, मक्का, डेयरी, और GM फसलों जैसे संवेदनशील सेक्टर इस डील का हिस्सा नहीं होंगे। भारत का कहना है कि ये सेक्टर छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद अहम हैं, और इन पर रियायत देना उनके लिए नुकसानदायक होगा।
- टैरिफ की स्थिति: इस डील में औसत टैरिफ 10% के आसपास रहने की उम्मीद है। भारत चाहता है कि अमेरिका 26% रेसिप्रोकल टैरिफ और 10% बेसलाइन टैरिफ को पूरी तरह हटाए, लेकिन अमेरिका अभी 10% टैरिफ बनाए रख सकता है।
सवाल 4: इस डील की बातचीत कहां तक पहुंची है?
जवाब: 7 जुलाई 2025 तक, भारत और अमेरिका की टीमें वॉशिंगटन में बातचीत कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि डील के ज्यादातर हिस्सों पर सहमति बन चुकी है, और आज देर रात या 8 जुलाई को इसका ऐलान हो सकता है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखेगा।
सवाल 5: इस डील से भारत और अमेरिका को क्या फायदा होगा?
जवाब: अगर ये मिनी ट्रेड डील हो जाती है, तो:
भारत के लिए फायदे:
- टेक्सटाइल, दवाइयां, ज्वेलरी को अमेरिकी बाजार में ज्यादा पहुंच मिलेगी।
- 26% रेसिप्रोकल टैरिफ हटने से भारतीय निर्यात सस्ता होगा, जिससे व्यापार बढ़ेगा।
- 2030 तक भारत-अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
अमेरिका के लिए फायदे:
- पेकान नट्स, ब्लूबेरी, और ऑटोमोबाइल जैसे प्रोडक्ट्स को भारत में कम टैरिफ पर बेचने का मौका मिलेगा।
- भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत होंगे, जो एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को काउंटर करने के लिए अहम है।
दोनों देशों के लिए: ये डील भविष्य में बड़े फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की नींव रख सकती है।

सवाल 6: डील में क्या रुकावटें आईं?
जवाब: बातचीत में कुछ बड़े पेंच फंसे थे:
- कृषि और डेयरी पर असहमति: अमेरिका GM फसलों और डेयरी प्रोडक्ट्स को भारत में बेचने की मांग कर रहा था, लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
- टैरिफ को लेकर मतभेद: भारत चाहता है कि अमेरिका 26% रेसिप्रोकल टैरिफ और 10% बेसलाइन टैरिफ को पूरी तरह हटाए, लेकिन अमेरिका 10% टैरिफ बनाए रखना चाहता है।
- ट्रंप का दबाव: ट्रंप ने कहा था कि जो देश 9 जुलाई तक डील नहीं करेंगे, उन्हें टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। भारत ने साफ कर दिया कि वो दबाव में नहीं झुकेगा।
सवाल 8: इस डील का जियोपॉलिटिकल असर क्या होगा?
जवाब: ये डील सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, इसका सामरिक महत्व भी है:
- चीन के खिलाफ रणनीति: भारत और अमेरिका का ये समझौता एशिया-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने का हिस्सा है। क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के तहत दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे।
- रूस और तेल आयात: भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना अमेरिका को खटक रहा है। ट्रंप ने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव रखा है, लेकिन इस डील से भारत को कुछ राहत मिल सकती है।