India-UK Free Trade Agreement: Whiskey, Cars & Indian Textiles to Get Cheaper – Full Impact Analysis | भारत-UK के बीच अगले हफ्ते साइन हो सकता है FTA: UK की लग्जरी कारें-ब्रांडेड कपड़े सस्ते होंगे; एग्रीमेंट के लिए 3 साल तक चली बातचीत

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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इससे पहले 6 मई को दोनों देशों के बीच डील फाइनल हुई थी। - Dainik Bhaskar

इससे पहले 6 मई को दोनों देशों के बीच डील फाइनल हुई थी।

तीन साल तक चली बातचीत के बाद भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच अगले हफ्ते फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) साइन किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एग्रीमेंट के मसौदे की लीगल प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

दोनों देश अगले हफ्ते में इस पर दस्तखत कर सकते हैं। एग्रीमेंट साइन होने के बाद भारत के लेदर, फुटवियर, टेक्सटाइल, खिलौने, जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे लेबर-इंटेंसिव प्रोडक्ट्स पर UK में एक्सपोर्ट टैक्स खत्म हो जाएगा।

वहीं ब्रिटिश व्हिस्की, कार जैसे प्रोडक्ट्स भारत में सस्ते हो जाएंगे। डील के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार 2030 तक 120 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इसके साथ ही दोनों देशों में डिजिटल, इंजीनियरिंग, मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में नए रोजगार की उम्मीद है।

इससे पहले 6 मई को दोनों देशों के बीच डील फाइनल हुई थी। हालांकि इस पर पूरी तरह से अमल होने में करीब 1 साल लग सकता है। समझौते पर दस्तखत के बाद इसे ब्रिटिश संसद और भारत की कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी।

दोनों देशों के बीच एग्रीमेंट से ये सामान सस्ते हो सकते हैं-

  • कारें: ब्रिटेन की लग्जरी कारें जैसे जगुआर लैंड रोवर अब कम दाम में मिल सकती हैं।
  • स्कॉच व्हिस्की और वाइन: इंग्लैंड से आने वाली शराब और वाइन पर टैरिफ कम होगा, जिससे ये पहले से सस्ती मिलेंगी।
  • फैशन और कपड़े: ब्रिटेन से आने वाले ब्रांडेड कपड़े, फैशन प्रोडक्ट्स और होमवेयर भी सस्ते हो सकते हैं।
  • फर्नीचर और इलेक्ट्रिकल सामान: ब्रिटेन से आने वाला फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंडस्ट्रीयल मशीनरी अब कम कीमत पर मिल सकते हैं।
  • ज्वेलरी और रत्न: भारत के रत्न और आभूषण ब्रिटेन में सस्ते बिकेंगे, जिससे ब्रिटेन में भारतीय कस्टमर्स के लिए प्रोडक्ट्स सस्ते हो सकते हैं।

घरेलू शराब कंपनियों को कॉम्पिटिशन मिलेगा

इस समझौते के कारण यू.के. से आने वाली व्हिस्की भारत में कम कीमत पर उपलब्ध होगी, जो दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की बाजार है। हालांकि, इस डील के बाद उन घरेलू शराब कंपनियों को कॉम्पिटिशन मिलेगा, जो प्रीमियम अल्कोहल मार्केट में तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के सीईओ मार्क केंट ने इस डील को ‘ट्रांसफॉर्मेशनल’ बताया और कहा, “यू.के.-भारत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट एक पीढ़ी में एक बार होने वाला सौदा है और दुनिया के सबसे बड़े व्हिस्की बाजार में स्कॉच व्हिस्की एक्सपोर्ट के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।”

भारत को फ्री ट्रेड डील से क्या फायदा होगा?

इस डील से इंडियन एक्सपोर्ट को बूस्ट मिलेगा और जॉब भी क्रिएट होंगे। वित्त वर्ष 24 में 12.9 बिलियन डॉलर यानी 1.12 लाख करोड़ रुपए की वैल्यू का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट भारत ने यूके को किया था। इस डील से भारत को 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। डेवलप्ड मार्केट तक पहुंच भी बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस एग्रीमेंट को ऐतिहासिक बताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘अपने दोस्त प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बात करके बहुत खुशी हुई। एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में भारत और ब्रिटेन ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के साथ-साथ डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन को भी सक्सेसफुली पूरा किया है।

ये ऐतिहासिक एग्रीमेंट हमारी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को और गहरा करेंगे। इसके अलावा ये दोनों इकोनॉमीज में ट्रेड, इन्वेस्टमेंट, ग्रोथ, जॉब क्रिएशन और इनोवेशन को बढ़ावा देंगे। मैं जल्द ही प्रधानमंत्री स्टार्मर का भारत में स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं।’

भारत-UK के बीच एग्रीमेंट को लेकर बातचीत 2022 में शुरू हुई थी

भारत और UK के बीच एग्रीमेंट को लेकर बातचीत 13 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी, जो अब करीब 3.5 साल बाद पूरी हुई है। 24 फरवरी को कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल और UK के बिजनेस एंड ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित FTA के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का ऐलान किया था।

2014 से भारत ने मॉरीशस, UAE, ऑस्ट्रेलिया और EFTA (यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन) के साथ 3 ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत यूरोपियन यूनियन (EU) के साथ इसी तरह के समझौतों पर एक्टिवली बातचीत कर रहा है।

डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर भी सहमति

दोनों देशों ने डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर भी सहमति जताई है। जब कोई व्यक्ति या कर्मचारी एक देश से दूसरे देश में काम करने जाता है, तो आमतौर पर उसे दोनों देशों में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए योगदान देना पड़ सकता है। इससे उसकी सैलरी पर दो बार कटौती होती है – एक अपने देश में और एक उस देश में जहां वह काम कर रहा है।

डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन एक ऐसा समझौता है जो दो देशों के बीच होता है। इससे विदेश में काम करने वाले लोगों और कंपनियों को एक ही समय में दो देशों में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए पैसा नहीं देना पड़ता। इससे कर्मचारियों और कंपनियों दोनों को फायदा होता है और उनकी सैलरी से डबल कटौती नहीं होती।

दो तरह से काम करता है डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन

आमतौर पर, कर्मचारी को यह चुनने की सुविधा मिलती है कि वह किस देश में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए पैसा देगा। या जिस देश में वह काम कर रहा है, वहां उसे सोशल सिक्योरिटी योगदान से छूट मिल जाती है।

कितने टाइप के होते हैं ट्रेड एग्रीमेंट्स?

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स को उसके नेचर के हिसाब से अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। इनमें PTA (प्रेफरेंशियल), RTA (रीजनल) और BTA (बाइलेटरल) शामिल हैं। WTO इस तरह के सभी इकोनॉमिक इंगेजमेंट्स को RTA नाम देता है।

भारत ने किन देशों के साथ इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं?

भारत ने श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, मॉरीशस, ASEAN और EFTA ब्लॉक्स के साथ ट्रेड एग्रीमेंट्स किए हैं।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ डील हासिल करने के बाद भारत ने अपना FTA फोकस ईस्ट (ASEAN, जापान, कोरिया) से वेस्टर्न पार्टनर्स की ओर शिफ्ट कर दिया है।

भारत अब एक्सपोर्ट्स का विस्तार करने और वेस्ट की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए EU और US के साथ FTA को प्राथमिकता दे रहा है।

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