नई दिल्ली2 घंटे पहले
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![विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 7 फरवरी को प्रेस वार्ता कर यह जानकारी दी। - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2025/02/08/07022025-india23880553_1738958812.jpg)
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 7 फरवरी को प्रेस वार्ता कर यह जानकारी दी।
भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश के कार्यवाहक हाई कमिश्नर मोहम्मद नूरल इस्लाम को शुक्रवार शाम को साउथ ब्लॉक में तलब किया गया था। साथ ही उन्होंने शेख हसीना के बयान को निजी बताया और कहा कि उसे भारत से जोड़ना ठीक नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि मोहम्मद नूरल को बताया गया कि भारत बांग्लादेश के साथ अच्छे संबंध चाहता है, जिसे हाल की हाई लेवल मीटिंग्स में कई बार दोहराया गया है। लेकिन दुखद है कि बांग्लादेशी अधिकारी भारत के खिलाफ बयान दे रहे हैं। और आंतरिक मामलों के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने 6 फरवरी को बयान जारी कर भारत के समक्ष अपना विरोध जताया था। बांग्लादेश ने मांग की थी कि भारत को अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बयान देने से रोका जाए। यूनुस सरकार ने शीर्ष राजनयिक को बुलाकर कहा था कि शेख हसीना भारत में रहकर झूठे और मनगढ़ंत बयान दे रही हैं।
दरअसल, 5 फरवरी को प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान ‘बंगबंधु’ के ढाका स्थित धनमंडी-32 आवास पर तोड़फोड़ की थी। इसके बाद हसीना ने फेसबुक पर अपने समर्थकों को संबोधित किया था। हसीना ने हमलावरों को चेतावनी देते हुए कहा था कि इतिहास अपना बदला लेता है।
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हसीना और उनके चाचा के घर पर भी हमला 5 फरवरी को ही खुलना में शेख हसीना के चचेरे भाई शेख सोहेल, शेख जेवेल के घरों को 2 बुलडोजरों से ध्वस्त कर दिया गया था। 6 फरवरी की सुबह शेख हसीना के घर ‘सुधा सदन’ में भी आग लगा दी गई थी। हिंसा को लेकर शेख हसीना ने कहा था कि किसी ढांचे को मिटाया जा सकता है, लेकिन इतिहास को नहीं मिटाया जा सकता।
5 फरवरी को हुई हिंसा की शुरुआत सोशल मीडिया पर ‘बुलडोजर जुलूस’ के ऐलान के बाद हुई। जब हमला हुआ, तब वहां सुरक्षाबल भी मौजूद थे। भीड़ को वहां से जाने के लिए समझाने की कोशिश की, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम रहीं।
कुछ उपद्रवी शेख मुजीब के आवास और संग्रहालय में भी घुस गए। बालकनी पर चढ़ गए और तोड़फोड़ की। बताया जा रहा है कि आवास में आगजनी भी की गई है। इसके कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
![शेख हसीना के चाचा अगस्त में देश छोड़कर भाग गए थे। 5 फरवरी को रात 9 बजे उनके घर पर तोड़फोड़ हुई।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2025/02/08/image-171738777559_1738957511.png)
शेख हसीना के चाचा अगस्त में देश छोड़कर भाग गए थे। 5 फरवरी को रात 9 बजे उनके घर पर तोड़फोड़ हुई।
मुजीबुर्रहमान का घर तोड़े जाने पर भड़की खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश में शेख हसीना की विरोधी पार्टी BNP ने इस घटना को लोकतंत्र खत्म करने की साजिश करार दिया था। BNP नेता हाफिजुद्दीन अहमद ने कहा कि ढाका में शेख मुजीब के घर पर जिस तरह हमला हुआ, उससे अराजकता फैल सकती है। इस तरह की घटनाएं देश में अस्थिरता पैदा कर सकती हैं। यह घटना लोकतंत्र के लिए खतरा है। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
क्यों भड़की हिंसा? दरअसल, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने 6 फरवरी को अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को सड़क पर उतरने की अपील की थी। पार्टी पूर्व PM हसीना पर लगे कथित मामले दर्ज करने और अल्पसंख्यकों पर हमले के विरोध में मार्च निकालने का आह्वान किया था।
5 फरवरी को शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के 6 महीने पूरे हो गए हैं। रात 9 बजे शेख हसीना अपने समर्थकों के लिए ऑनलाइन भाषण देने वाली थीं।
इससे पहले ’24 रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट-जनता’ नाम के छात्र संगठन ने इसके विरोध में रात 9 बजे ‘बुलडोजर मार्च’ निकालने का ऐलान किया। इसके लिए सोशल मीडिया पर प्रचार किया गया। इसमें शेख हसीना के पिता का घर गिराए जाने की बात कही गई, लेकिन प्रदर्शनकारी 8 बजे ही शेख मुजीबुर्ररहमान के घर धनमंडी-32 पहुंच गए और तोड़फोड़ शुरू कर दी।
![भीड़ ने मुजीबुर्र रहमान के घर धनमंडी-32 में आग लगा दी थी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2025/02/08/image-141738774316_1738957726.png)
भीड़ ने मुजीबुर्र रहमान के घर धनमंडी-32 में आग लगा दी थी।
आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त को देश छोड़कर भारत आ गई थीं। दरअसल, उनके खिलाफ देशभर में छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इस आरक्षण के खिलाफ ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था।
हसीना की सरकार ने जैसे ही यह आरक्षण खत्म किया तो इसके बाद छात्रों ने उनके इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग हसीना और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए। इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अंतरिम सरकार की स्थापना की गई।
हसीना का पासपोर्ट रद्द, गिरफ्तारी वारंट जारी बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। वहीं, बांग्लादेशी सरकार ने चेतावनी दी है कि भारत में रहते हुए हसीना की तरफ से दिए जा रहे बयान दोनों देशों के संबंध बिगाड़ रहे हैं।
बांग्लादेश सरकार ने जुलाई में हुई हत्याओं की वजह से शेख हसीना का पासपोर्ट भी रद्द कर दिया है। वहीं बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। ट्रिब्यूनल ने हसीना को 12 फरवरी तक पेश होने का निर्देश दिया है।
बांग्लादेश भारत से हसीना को डिपोर्ट करने की अपील भी कर चुका है। हालांकि, भारत सरकार उनका वीजा बढ़ा चुकी है, जिससे यह साफ हो गया कि उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट नहीं किया जाएगा।
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर उन्हें मारने की साजिश का आरोप लगाया। हसीना की पार्टी अवामी लीग ने उनका ऑडियो क्लिप जारी किया है। इसमें हसीना ने बताया कि कैसे वे और उनकी बहन पिछले साल अगस्त में जान बचाकर देश से भागीं थी। पूरी खबर यहां पढ़ें…