India Per Capita Debt 2025 Report; RBI | Home Personal Loan Statistics | हर भारतीय ₹4.8 लाख का कर्जदार: 2023 में ₹3.9 लाख का कर्ज था, 2 साल में 23% बढ़ा; 5 सवाल-जवाब में जानें इसका असर

नई दिल्ली14 घंटे पहले

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RBI ने जून 2025 की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि कर्ज का आंकड़ा भारत की GDP का 42% है। - Dainik Bhaskar

RBI ने जून 2025 की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि कर्ज का आंकड़ा भारत की GDP का 42% है।

भारत के हर व्यक्ति पर औसतन 4.8 लाख रुपए का कर्ज है। मार्च 2023 में यह 3.9 लाख रुपए था। बीते दो साल में इसमें 23% की बढ़ोतरी हुई है। यानी, हर भारतीय पर औसतन 90,000 रुपए का कर्ज और बढ़ गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने जून 2025 की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

5 सवाल-जवाब में जानें इसका आपके जीवन पर क्या असर होगा…

सवाल 1: कर्ज बढ़ने का मतलब क्या है?

जवाब : इसका मतलब है कि लोग पहले से ज्यादा उधार ले रहे हैं। इसमें होम लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड का बकाया और अन्य रिटेल लोन शामिल हैं।

नॉन-हाउसिंग रिटेल लोन जैसे पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड बकाया में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। ये लोन टोटल डोमेस्टिक लोन का 54.9% हिस्सा है।

ये डिस्पोजेबल इनकम (खर्च करने योग्य आय) का 25.7% है। हाउसिंग लोन का हिस्सा 29% है और इसमें भी ज्यादातर उनका है जो पहले से लोन लेकर दोबारा से ले रहे हैं।

सवाल 2: क्या GDP के मुकाबले देश में कर्ज का स्तर बहुत ज्यादा है?

जवाब : RBI के मुताबिक, भारत के कुल GDP का 42% कर्ज है। डोमेस्टिक लोन अभी भी दूसरी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं (EMEs) से कम है, जहां ये 46.6% है।

यानी, भारत में कर्ज की स्थिति अभी कंट्रोल में है। साथ ही, ज्यादातर बॉरोअर्स अच्छी रेटिंग वाले हैं, यानी इनसे पैसा डूबने का खतरा कम है।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि इस कर्ज से फिलहाल कोई बड़ा खतरा नहीं है। ज्यादातर कर्ज लेने वाले लोग बेहतर रेटिंग वाले हैं। वे कर्ज चुकाने में सक्षम हैं।

साथ ही, कोविड-19 के समय की तुलना में डेलिंक्वेंसी रेट यानी कर्ज न चुका पाने की रेट में कमी आई है। हालांकि जिन लोगों की रेटिंग कम है और कर्ज ज्यादा है, उनके लिए थोड़ा जोखिम है।

सवाल 3: माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में कर्ज की स्थिति कैसी है?

जवाब : माइक्रोफाइनेंस सेक्टर (छोटे लोन ग्रुप) में कर्ज लेने वालों की एवरेज लायबिलिटी 11.7% तक कम हुई है, लेकिन 2025 की दूसरी छमाही में स्ट्रेस्ड असेट्स की संख्या बढ़ी है। RBI ने कहा है कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियां ज्यादा ब्याज दरें और मार्जिन वसूल रही हैं। जो कर्ज लेने वालों के लिए चुका पाना मुश्किल हो रहा है।

सवाल 4: भारत पर बाहरी कर्ज कितना है?

जवाब : मार्च 2025 तक भारत पर दूसरे देशों/बाहरी कर्ज 736.3 बिलियन डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 10% ज्यादा है। यह GDP का 19.1% है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा नॉन-फाइनेंस कॉर्पोरेशन्स का 35.5%, डिपॉजिट लेने वाली संस्थाओं का 27.5% और सरकारों का 22.9% है। अमेरिकी डॉलर में लिया गया कर्ज टोटल एक्सटर्नल डेट का 54.2% है।

सवाल 5: आम लोगों को इससे क्या फर्क पड़ता है?

जवाब : आम लोगों के लिए इसका मतलब है कि लोन लेना पहले से आसान हो गया है, लेकिन कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है। अगर आप लोन ले रहे हैं, तो अपनी चुकाने की क्षमता का ध्यान रखें। RBI की फ्लेक्सिबल मॉनेटरी पॉलिसी से ब्याज दरें कम हो सकती हैं। इससे कर्ज चुकाना आसान हो सकता है, लेकिन माइक्रोफाइनेंस लोन लेते समय सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि उनकी ब्याज दरें ज्यादा हो सकती हैं।

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10 साल में दोगुनी हुई भारत की इकोनॉमी: ये ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज; दिसंबर तक जापान को पछाड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था होगी

भारत की अर्थव्यवस्था पिछले 10 सालों में दोगुनी हो गई है। अर्थव्यवस्था की ये ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF के आंकड़ों के मुताबिक भारत की GDP बीते दशक में 105% बढ़ी है। वर्तमान में भारत की GDP 4.3 ट्रिलियन डॉलर है। जबकि 2015 में ये 2.1 ट्रिलियन डॉलर थी।

IMF के अनुसार 2025 की तीसरी तिमाही तक अर्थव्यवस्था के मामले में भारत जापान को पीछे छोड़ कर दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। जापान की GDP अभी 4.4 ट्रिलियन डॉलर है। वहीं वृद्धि की वर्तमान दर बनी रही, तो भारत 2027 की दूसरी तिमाही तक जर्मनी (4.9 ट्रिलियन डॉलर GDP) को भी पीछे छोड़ देगा।

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2. नीति आयोग के सदस्य बोले-भारत चौथी बड़ी इकोनॉमी नहीं बना: साल के अंत तक बन सकता है; CEO ने कहा था- मुकाम हासिल किया

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इससे पहले 24 मई को नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जापान को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है।

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