India Pakistan War Situation Briefing; Vikram Misri Jaishankar | Operation Sindoor  | विदेश सचिव की संसदीय समिति को ब्रीफिंग: ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देंगे, थरूर भी मौजूद रहेंगे; 33 देशों में ऑल पार्टी डेलिगेशन भेज रही सरकार

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नई दिल्ली17 मिनट पहले

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तस्वीर 9 मई की है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में देश को जानकारी दी थी। - Dainik Bhaskar

तस्वीर 9 मई की है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में देश को जानकारी दी थी।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी सोमवार को भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष पर संसदीय समिति को ब्रीफ करेंगे। इसमें 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद 7 मई की रात PoK में मौजूद आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत एयरस्ट्राइक और 10 मई हुए भारत-पाकिस्तान सीजफायर सहमति की पूरी जानकारी होगी।

भारत ने 23 मिनट के ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था। इसमें 9 आतंकी ठिकाने तबाह किए गए थे। इसके बाद के एक्शन में पाकिस्तानी एयरबेसों को निशाना बनाया था। 10 मई की शाम 5 बजे भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने X पर इसका ऐलान किया था।

दरअसल, केंद्र सरकार ने 59 सदस्यों वाले 7 डेलिगेशन (ग्रुप) की घोषणा की है। इसमें 51 नेता और 8 राजदूत हैं। NDA के 31 और 20 दूसरे दलों के हैं, जिसमें 3 कांग्रेस नेता भी हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। वहां ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख रखेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विदेश सचिव मिसरी दो फेज में इन डेलिगेशन को ब्रीफ करेंगे। ग्रुप 1 की कमान भाजपा सांसद बैजयंत पांडा, ग्रुप 2 की जिम्मेदारी भाजपा के रविशंकर प्रसाद, ग्रुप 3 JDU के संजय कुमार झा, ग्रुप 4 शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, ग्रुप 5 शशि थरूर, ग्रुप 6 डीएमके सांसद कनिमोझी और ग्रुप 7 की जिम्मेदारी NCP-SCP सांसद सुप्रिया सुले के हाथ है।

कांग्रेस के दिए 4 नाम में से केवल एक को चुना

कांग्रेस ने केंद्र को 4 कांग्रेस नेताओं के नाम डेलिगेशन में शामिल करने के लिए दिए थे। इनमें आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के नाम थे। केंद्र ने केवल आनंद शर्मा को शामिल किया है। कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की।

कांग्रेस ने कहा- सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के दिए 4 में से केवल एक नाम (नेता) को शामिल किया गया। यह नरेंद्र मोदी सरकार की पूरी तरह से निष्ठाहीनता को साबित करता है और गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर उसके खेले जाने वाले सस्ते राजनीतिक खेल को दर्शाता है।

शनिवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर लिखा था- शुक्रवार (16 मई) सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की थी। उन्होंने विदेश भेजे जाने वाले डेलिगेशन के लिए 4 सांसदों का नाम मांगा था। कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार​​ के नाम दिए थे।’

जयराम ने बताया कि 16 मई को दोपहर तक, राहुल गांधी ने संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस की ओर से 4 नाम दिए थे।

जयराम ने बताया कि 16 मई को दोपहर तक, राहुल गांधी ने संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस की ओर से 4 नाम दिए थे।

ओवैसी बोले- पाकिस्तान मानवता के लिए खतरा

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 17 मई को कहा था कि पाकिस्तान आतंकवादियों को ट्रेनिंग, फंडिंग और हथियार देकर मानवता के लिए खतरा बन गया है।

उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी डीप स्टेट और पाकिस्तानी सेना का मकसद भारत की अर्थव्यवस्था को विफल करना और समुदायों को विभाजित करना है। ओवैसी ने कहा- ऑल पार्टी डेलीगेशन के साथ जाने पर वे विदेशी सरकारों को पाकिस्तान के इरादों के बारे में बताएंगे।

ओवैसी ने कहा था कि पाकिस्तान खुद को इस्लाम और सभी मुसलमानों का रक्षक बताता है, लेकिन यह बकवास है। भारत में भी 20 करोड़ मुसलमान हैं और वे पाकिस्तान की हरकतों की निंदा करते हैं। पाकिस्तान 1948 से भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है और वह रुकने वाला नहीं है।

पिछली सरकारों ने भी अपना पक्ष रखने के लिए डेलिगेशन विदेश भेजे-

1994: विपक्ष के नेता वाजपेयी ने UNHRC में भारत का पक्ष रखा था ये पहली बार नहीं है, जब केंद्र सरकार किसी मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए विपक्षी पार्टियों की मदद लेगी। इससे पहले 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत का पक्ष रखने के लिए विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय डेलिगेशन को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) भेजा था।

उस डेलिगेशन में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और सलमान खुर्शीद जैसे नेता भी शामिल थे। तब पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में UNHRC के सामने एक प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में था।

हालांकि भारतीय डेलिगेशन ने पाकिस्तान के आरोपों का जवाब दिया और नतीजतन पाकिस्तान को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। उस समय UN में भारत के राजदूत हामिद अंसारी ने भी प्रधानमंत्री राव की रणनीति सफल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

2008: मुंबई हमलों के बाद मनमोहन सरकार ने डेलिगेशन विदेश भेजा था 2008 में मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आतंकवादी हमलों में पाकिस्तानी लिंक होने से जुड़े दस्तावेजों के साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के डेलिगेशन को विदेश भेजने का फैसला किया था।

भारत ने पाकिस्तान पर सैन्य हमला न करने का फैसला किया था। हालांकि मनमोहन सरकार के कूटनीतिक हमले के कारण पाकिस्तान पर लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी समूहों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए काफी अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ा। यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को पहली बार ग्रे-लिस्ट में भी डाला था।

क्या है ऑपरेशन सिंदूर? 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने 26 टूरिस्ट्स की हत्या की थी। 7 मई को भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाक में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। सेना ने 100 आतंकियों को मार गिराया था। दोनों देशों के बीच 10 मई की शाम 5 बजे से सीजफायर पर सहमति बनी थी।

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