India is waiting for ICC trophy since 2014 | क्या इस बार खत्म होगा ट्रॉफी का इंतजार: 2013 के बाद टीम इंडिया 10 ICC टूर्नामेंट खेली; 5 फाइनल, 4 सेमीफाइनल हारी

स्पोर्ट्स डेस्क9 मिनट पहले

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भारत ने एक बार फिर ICC टूर्नामेंट के नॉकआउट स्टेज में जगह बना ली है। टीम 27 जून को इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल खेलेगी। 2013 के बाद से भारत 11वां ICC टूर्नामेंट खेल रहा है और टीम ने 10वीं बार नॉकआउट राउंड में जगह बनाई। लगातार ग्रुप स्टेज पार करने के बावजूद भारत के हाथ 2014 से एक भी ICC ट्रॉफी नहीं लग सकी।

टी-20 वर्ल्ड कप में 2007 के बाद कामयाबी नहीं
भारत ने 2007 में पहला ही टी-20 वर्ल्ड कप अपने नाम किया, टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को 5 रन से हराकर ट्रॉफी जीती। इसके बाद टीम ने 7 और टी-20 वर्ल्ड कप खेले। 3 बार टीम नॉकआउट स्टेज यानी सेमीफाइनल और फाइनल तक पहुंची लेकिन खिताब एक में भी नहीं मिला।

2014 में भारत ने साउथ अफ्रीका को सेमीफाइनल में हराया, लेकिन श्रीलंका से फाइनल गंवाना पड़ा। 2016 में अपने ही घरेलू मैदान पर भारत नॉकआउट में पहुंचा, लेकिन वेस्टइंडीज से सेमीफाइनल गंवाना पड़ गया। 2022 में टीम आखिरी बार नॉकआउट में पहुंची, लेकिन इस बार इंग्लैंड ने 10 विकेट से हरा दिया।

इस बीच 2009, 2010, 2012 और 2021 में टीम ग्रुप स्टेज भी पार नहीं कर सकी। अब इसी फॉर्मेट के वर्ल्ड कप में भारत ने एक बार फिर सेमीफाइनल का टिकट कन्फर्म किया है।

वनडे वर्ल्ड कप में 2011 के बाद सफलता को तरसे
भारत ने वनडे वर्ल्ड कप का आखिरी खिताब 2011 में जीता। इसके 28 साल पहले 1983 में टीम को इस फॉर्मेट के वर्ल्ड कप में पहली कामयाबी मिली थी। तब टीम ने वेस्टइंडीज और 2011 में श्रीलंका को हराकर ट्रॉफी जीती। इसके बाद से भारत 3 और वनडे वर्ल्ड कप खेले, हर बार टीम नॉकआउट स्टेज में पहुंची, लेकिन खिताब एक में भी नहीं मिल सका।

2015 में भारत ने क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश को हराया, लेकिन सेमीफाइनल में होम टीम ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ गया। 2019 में न्यूजीलैंड ने भारत को सेमीफाइनल हरा दिया। 2023 में फिर भारत ने हिसाब बराबर किया और सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को ही हरा दिया, लेकिन टीम फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से जीत नहीं सकी।

चैंपियंस ट्रॉफी का आखिरी खिताब 2013 में मिला
चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने पहला खिताब 2002 में जीता, हालांकि तब फाइनल बेनतीजा होने के कारण ट्रॉफी श्रीलंका से शेयर करनी पड़ी। इसके बाद 2013 में टीम ने इंग्लैंड को उसी के होमग्राउंड पर फाइनल हराया और ट्रॉफी पर कब्जा किया। यह भारत की पिछले 11 साल में आखिरी ICC ट्रॉफी रही।

2013 के बाद चैंपियंस ट्रॉफी का टूर्नामेंट एक ही बार 2017 में हुआ। भारत ने सेमीफाइनल में बांग्लादेश को हराया और लगातार दूसरी बार फाइनल में एंट्री की। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ 180 रन की बड़ी हार झेलनी पड़ गई। इसके बाद चैंपियंस ट्रॉफी नहीं हुआ, अब 2025 में टूर्नामेंट पाकिस्तान में आयोजित होगा।

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के दोनों फाइनल गंवाए
ICC ने टेस्ट क्रिकेट को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए टेस्ट वर्ल्ड कप के रूप में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप शुरू की। इसमें 2 साल तक 9 टीमें 6-6 द्विपक्षीय सीरीज खेलती हैं। यहां पॉइंट्स टेबल में टॉप-2 स्थानों पर रहने वाली टीमों के बीच फाइनल होता है।

WTC यानी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल अब तक 2 ही बार 2021 और 2023 में हुआ। भारत ने दोनों बार फाइनल में जगह बनाई, लेकिन दोनों बार टीम को हार मिली। 2021 में न्यूजीलैंड ने 8 विकेट और 2023 में ऑस्ट्रेलिया ने 209 रन से हरा दिया।

10 साल में 10 टूर्नामेंट गंवाए
2013 में आखिरी ICC ट्रॉफी जीतने के बाद भारत ने तीनों फॉर्मेट के 4 ICC टूर्नामेंट में 2023 तक 10 बार हिस्सा लिया। 9 बार टीम नॉकआउट स्टेज में पहुंची और एक ही बार ग्रुप स्टेज से बाहर हुई।

9 नॉकआउट स्टेज में भारत ने कुल 13 मैच खेले। 9 में टीम को हार और महज 4 में जीत मिल सकी। भारत की 4 में से 3 जीत सेमीफाइनल और एक क्वार्टर फाइनल में रही। इस दौरान भारत ने 4 सेमीफाइनल और 5 ही फाइनल भी गंवाए। यानी भारत ने पिछले 10 साल में 5 बार चैंपियन बनने के आखिरी स्टेज पर आकर मौका गंवा दिया।

भारत 10 साल में एक भी ट्रॉफी क्यों नहीं जीत सका?
11 ICC टूर्नामेंट में 10 बार नॉकआउट स्टेज में पहुंचने से एक बात तो साफ है कि भारत की टीम दमदार रही। हर बार टीम ट्रॉफी जीतने की दावेदार भी रही, लेकिन ट्रॉफी नहीं मिली। ऐसा क्यों हुआ, इसके 2 कारण नजर आते हैं, पहला हारने का डर और दूसरा कप्तानी। कारणों को डिटेल में समझते हैं…

1. क्या है हारने या फेल होने का डर?
हारने का डर या फियर ऑफ फेल्योर एक ऐसी अवस्था है जिसमें लोग ऐसा कोई फैसला नहीं लेते, जिसमें हार की संभावना हो। वो न तो नई चीजें ट्राय करते हैं और न ही रिस्क लेना चाहते हैं। इसके पीछे 4 प्रमुख कारण बताए जाते हैं…

स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट करनबीर सिंह और मेंटल कोच प्रकाश राव के मुताबिक, बड़े मैच में प्रेशर होता ही है। अगर खिलाड़ी मैच को चैलेंज की तरह लेते हैं तो पॉजिटिव रिजल्ट्स की संभावना ज्यादा होती है। अगर वह मैच को थ्रेट यानी खतरे की तरह लेते हैं तो खेल पर निगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है। इसी का असर पिछले कुछ सालों से ICC टूर्नामेंट में टीम इंडिया पर पड़ा।

2. कप्तान धोनी ने पिछली 3 ट्रॉफी दिलाई
भारत को 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 का वनडे वर्ल्ड कप और 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब एमएस धोनी की कप्तानी में मिला। उनका मानना रहा है कि किसी भी मैच में उनका फोकस रिजल्ट से ज्यादा एक्शन और प्रोसेस पर होता है। यानी वो क्या कर सकते हैं उस पर फोकस करते हैं न कि नतीजा क्या होगा, इस पर। इसी माइंडसेट से उन्होंने भारत को 3 ICC ट्रॉफी दिलाई।

हालांकि, धोनी की कप्तानी में भी भारत को असफलताएं मिलीं, लेकिन 3 अलग-अलग ICC ट्रॉफी जीतने वाले वह एकमात्र ही कप्तान हैं। उनके बाद भारत ने विराट कोहली और रोहित शर्मा की कप्तानी में सभी ICC टूर्नामेंट खेले, लेकिन सफलता किसी में भी नहीं मिली।

मेंटल कोच प्रकाश राव कहते हैं- बड़े मैच में प्रेशर की वजह से खिलाड़ी प्रोसेस की बजाय नतीजे पर ज्यादा फोकस करने लग जाते हैं। जिससे दिमाग तय नहीं कर पाता कि अभी क्या करना चाहिए। इससे खिलाड़ी की मूवमेंट धीमी हो जाती है। इसका मैच के नतीजे पर नकारात्मक असर पड़ता है। चोकिंग किसी के साथ कभी भी हो सकती है। चाहे खिलाड़ी कितना भी अनुभवी क्यों न हो।

चोकिंग टीम इंडिया के साथ पिछले 10 साल से लगातार हो रही है। टीम अब फिर एक बार ICC टूर्नामेंट के ग्रुप स्टेज में शानदार परफॉर्म कर नॉकआउट स्टेज में पहुंची है। देखना अहम होगा कि टीम अपनी पिछली गलतियों को दोहराएगी या उन गलतियों पर काबू कर ट्रॉफी जीतकर इतिहास रचेगी।

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