India Inflation | Wholesale WPI Inflation September 2025 Data Update | सितंबर में थोक महंगाई घटकर 0.13% पर आई: खाने-पीने की चीजों के दाम घटने का असर, अगस्त में 0.52% रही थी

नई दिल्ली3 दिन पहले

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सितंबर में थोक महंगाई घटकर 0.13% पर आ गई है। खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से महंगाई घटी है। इससे पहले अगस्त थोक महंगाई 0.52% रही थी। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने आज 14 अक्टूबर को थोक महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं।

खाने-पीने की चीजें सस्ती हुईं

  • प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई माइनस 2.10% से घटकर माइनस 3.32% हो गई।
  • खाने-पीने की चीजों (फूड इंडेक्स) की महंगाई 0.21% से घटकर माइनस 1.99% हो गई।
  • फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर माइनस 3.17% से बढ़कर माइनस 2.58% रही।
  • मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 2.55% से घटकर 2.33% हो गई।

होलसेल महंगाई के तीन हिस्से

प्राइमरी आर्टिकल का वेटेज 22.62% है। फ्यूल एंड पावर का वेटेज 13.15% और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का वेटेज सबसे ज्यादा 64.23% है। प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं…

  • फूड आर्टिकल्स जैसे अनाज, गेहूं, सब्जियां
  • नॉन फूड आर्टिकल में ऑयल सीड आते हैं
  • मिनरल्स
  • क्रूड पेट्रोलियम

होलसेल प्राइस इंडेक्स का आम आदमी पर असर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।

जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।

थोक महंगाई कैसे मापी जाती है?

भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई। होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है।

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