India Inflation | Wholesale WPI Inflation February 2025 Data Update | फरवरी में थोक महंगाई बढ़कर 2.38% पर पहुंची: फूड प्रोडक्ट्स मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ने से महंगाई बढ़ी; जनवरी में 2.31% पर थी

नई दिल्ली10 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 2.51% से बढ़कर 2.86% पर पहुंच गई है। - Dainik Bhaskar

मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 2.51% से बढ़कर 2.86% पर पहुंच गई है।

फरवरी महीने में थोक महंगाई बढ़कर 2.38% पर आ गई है। इससे पहले जनवरी में महंगाई 2.31% पर थी। फूड प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ने से महंगाई बढ़ी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आज यानी 17 मार्च को ये आंकड़े जारी किए।

थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड की हिस्सेदारी 22.62% और फ्यूल एंड पावर की हिस्सेदारी 13.15% है। यानी, मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई के ऊपर-नीचे होने का सबसे ज्यादा असर महंगाई दर पर होता है।

रोजाना जरूरत के सामान, खाने-पीने की चीजें सस्ती हुईं

  • रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई 4.69% से घटकर 2.81% हो गई।
  • खाने-पीने की चीजों की महंगाई 7.47% से घटकर 5.94% हो गई।
  • फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर -2.78% से बढ़कर -0.71% रही।
  • मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 2.51% से बढ़कर 2.86% रही।

सब्जियां और दालें सबसे ज्यादा सस्ती

  • अनाज की थोक महंगाई 7.33% से घटकर 6.77% हो गई है।
  • दालों की थोक महंगाई 5.08% से घटकर -1.04% हो गई है।
  • सब्जियों की महंगाई 8.35% से घटकर -5.80% हो गई है।
  • दूध की थोक महंगाई 2.69% से घटकर 1.58% हो गई है।

होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का आम आदमी पर असर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।

जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।

होलसेल महंगाई के तीन हिस्से

प्राइमरी आर्टिकल, जिसका वेटेज 22.62% है। फ्यूल एंड पावर का वेटेज 13.15% और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का वेटेज सबसे ज्यादा 64.23% है। प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं।

  • फूड आर्टिकल्स जैसे अनाज, गेहूं, सब्जियां
  • नॉन फूड आर्टिकल में ऑयल सीड आते हैं
  • मिनरल्स
  • क्रूड पेट्रोलियम

महंगाई कैसे मापी जाती है?

भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।

महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62% और फ्यूल एंड पावर 13.15% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

————————–

यह खबर भी पढ़ें…

फरवरी में रिटेल महंगाई घटकर 3.61% पर आई:7 महीने में सबसे कम, सब्जियां-दालें सस्ती; जनवरी में महंगाई 4.31% पर थी

दाल और सब्जियां सस्ती होने से फरवरी में रिटेल महंगाई दर घटकर 3.61% पर आ गई है। ये महंगाई का 7 महीने का निचला स्तर है। जुलाई 2024 में महंगाई 3.54% पर थी। वहीं जनवरी 2025 में महंगाई 4.31% थी। सांख्यिकी मंत्रालय ने आज 12 मार्च को महंगाई के आंकड़े जारी किए। पूरी खबर पढ़े…

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *