नई दिल्ली3 घंटे पहले
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सितंबर में रिटेल महंगाई करीब 8 साल के निचले स्तर 1.54% पर आ गई है। इससे पहले जून 2017 में भी ये इतनी थी। इसकी वजह खाने-पीने की कुछ वस्तुओं की कीमतों में गिरावट है। वहीं अगस्त में रिटेल महंगाई 2.07% रही थी।
रिटेल महंगाई के आधिकारिक आंकड़े सरकार ने आज 13 अक्टूबर को जारी किए हैं। रिजर्व बैंक (RBI) का लक्ष्य महंगाई को 4% ±2% की सीमा में रखने का है।
सितंबर में खाने-पीने के सामानों की कीमत घटी
- महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महीने-दर-महीने की महंगाई माइनस 0.64% से घटकर माइनस 2.28% हो गई है।
- सितंबर महीने में ग्रामीण महंगाई दर 1.69% से घटकर 1.07% हो गई है। वहीं शहरी महंगाई 2.47% से घटकर 2.04% पर आ गई है।


महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।
इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।
CPI से तय होती है महंगाई
एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।

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