India Apple iPhone 17 Manufacturing Update | India US China | आईफोन-17 के सभी मॉडल भारत में बन रहे: अभी अमेरिका में बिकने वाले 78% आईफोन मेड इन इंडिया, जून तिमाही में 2.39 करोड़ आईफोन बने

मुंबई33 मिनट पहले

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एपल अपने अपकमिंग मॉडल ‘आईफोन 17’ के सभी स्मार्टफोन भारत में ही बना रही है। ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। अगर ऐसा होता है तो यह पहला मौका होगा जब प्रीमियम और प्रो वर्जन सहित सभी नए आईफोन वेरिएंट की मैन्यूफैक्चरिंग शुरुआत से ही भारत में होगी।

एपल का यह कदम चीन पर निर्भरता को कम करने और टैरिफ से बचने वाले रणनीति का हिस्सा है। कंपनी पहले ही अमेरिकी बाजार के लिए आईफोन उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा चीन से हटाकर भारत शिफ्ट कर चुकी है। भारत में आईफोन की मैन्यूफैक्चरिंग पांच कंपनियों में हो रही है, जिसका लगभग आधा हिस्सा टाटा ग्रुप की कंपनी ही अकेले बना रही है।

अमेरिका में बिकने वाले 78% आईफोन मेड इन इंडिया

अमेरिका में बिकने वाले 78% आईफोन भारत में बन रहे हैं। मार्केट रिसर्चर कैनालिस के मुताबिक 2025 में जनवरी से जून के बीच भारत में 23.9 मिलियन (2 करोड़ 39 लाख) आईफोन बने, जो पिछले साल की तुलना में 53% ज्यादा है।

वहीं रिसर्च फर्म साइबरमीडिया रिसर्च के अनुसार भारत से आईफोन का निर्यात (भारत से विदेश भेजे गए आईफोन) भी बढ़कर 22.88 मिलियन (2 करोड़ 28 लाख) यूनिट तक पहुंच गया है। पिछले साल समान अवधि (जनवरी से जून) में भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग का आंकड़ा 15.05 मिलियन (1 करोड़ 50 लाख) था। यानी सालाना आधार पर इसमें 52% की बढ़ोतरी हुई है।

कारोबार की बात करें तो 2025 की पहली छमाही में भारत से करीब 1.94 लाख करोड़ रुपए के आईफोन निर्यात किए गए। पिछले साल यही आंकड़ा 1.26 लाख करोड़ रुपए था।

देश में स्मार्टफोन की मैन्युफैक्चरिंग 240% बढ़ी

अमेरिका को स्मार्टफोन एक्सपोर्ट में वियतनाम की हिस्सेदारी भी चीन से ज्यादा 30% रही। ये पहली बार है जब भारत ने चीन की तुलना में अमेरिका को ज्यादा स्मार्टफोन भेजे हैं। कैनालिस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्मार्टफोन की मैन्युफैक्चरिंग एक साल पहले की तुलना में 240% बढ़ गई है।

एपल का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों, 5 पॉइंट्स

  • सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन: एपल चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। जियोपॉलिटिकल टेंशन, ट्रेड डिस्प्यूट और कोविड-19 लॉकडाउन जैसी दिक्कतों से कंपनी को लगा कि किसी एक क्षेत्र पर ज्यादा निर्भर रहना ठीक नहीं है। इस लिहाज से एपल के लिए भारत एक कम जोखिम वाला ऑप्शन साबित हो रहा है।
  • गवर्नमेंट इंसेंटिव: भारत की मेक इन इंडिया इनिशिएटिव और प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव (PLI) स्कीम्स कंपनियों को लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती हैं। इन पॉलिसीज ने फॉक्सकॉन और टाटा जैसे एपल के पार्टनर्स को भारत में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
  • बढ़ती बाजार संभावना: भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन मार्केट में से एक है। लोकल प्रोडक्शन से एपल को इस मांग को पूरा करने में ज्यादा मदद मिलती है, साथ ही इसकी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ जाती है, जो फिलहाल लगभग 6-7% है।
  • एक्सपोर्ट के लिए अवसर: एपल इंडिया में बने अपने 70% आईफोन को एक्सपोर्ट करता है, जिससे चीन की तुलना में भारत के कम इम्पोर्ट टैरिफ का फायदा मिलता है। 2024 में भारत से आइफोन एक्सपोर्ट 12.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹1,09,655 करोड़) तक पहुंच गया। आने वाले समय में इसके और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
  • स्किल्ड वर्कफोर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत का लेबर फोर्स एक्सपीरियंस के मामले में चीन से पीछे है, लेकिन अभी इसमें काफी सुधार हो रहा है। एपल के फॉक्सकॉन जैसे पार्टनर, प्रोडक्शन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं और कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (₹23,139 करोड़) के प्लांट जैसी फैसिलिटीज का विस्तार कर रहे हैं।

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