स्पोर्ट्स डेस्क4 मिनट पहलेलेखक: बिक्रम प्रताप सिंह
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अफगानिस्तान के इंटरनेशनल अंपायर अहमद शहजाद पकतीन ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में अपने सफर, रिफ्यूजी कैम्प के दिनों, क्रिकेट से जुड़ने, इंटरनेशनल अंपायर बनने की कहानी और भारत–पाकिस्तान मैचों के दबाव पर बातचीत की। अहमद शाह ने बताया कि कैसे बचपन के टेनिस-बॉल मैचों से शुरू हुआ उनका सफर आज बड़े सीरीज और टूर्नामेंट तक पहुंचा है। पूरा इंटरव्यू…
सवाल: आप रिफ्यूजी कैम्प में कब और क्यों गए? अहमद शाह: रूस के अफगानिस्तान पर हमले के बाद हम 1982 में रिफ्यूजी कैम्प गए। तब मैं 5–6 साल का था।
सवाल: वहां क्रिकेट से आपका परिचय कैसे हुआ? अहमद शाह: पहले हम पेशावर में रहते थे। वहीं मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया और टीवी पर देखकर इस खेल में दिलचस्पी बढ़ी। मैं दूसरी क्लास में था। मुझे याद है, शुरू में मैं अपने कजिन के साथ फुटबॉल खेलने जाता था। लेकिन आसपास लोग बहुत क्रिकेट खेलते थे, तो मैंने भी फुटबॉल छोड़कर क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया।
सवाल: जब क्रिकेट खेलते थे, तो सोचा था कि आगे जाकर अंपायर बनेंगे? अहमद शाह: उस समय अफगानिस्तान में क्रिकेट का स्ट्रक्चर नहीं था। 2001 के बाद जब क्रिकेट शुरू हुआ, तब उम्र देखते हुए लगा कि खिलाड़ी बनना मुश्किल होगा। इसलिए ग्राउंड से जुड़े रहने के लिए अंपायरिंग चुनी और टारगेट रखा कि पहला अफगान इंटरनेशनल अंपायर बनूंगा और वही हुआ।
सवाल: शुरुआत में ही आपको बड़े मैच कैसे मिले? अहमद शाह: मेहनत, लगन और लगातार सीखने की वजह से मिले। टेस्ट, वनडे, टी-20 और लीग सब में काम मिला। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि अफगान अंपायरिंग ने बड़ा नाम कमाया।

सवाल: बचपन में भी अंपायर रहते थे, ऐसा सुना है? अहमद शाह: हां, जब मोहल्ले में टेनिस-बॉल मैच होते थे, तो मैं ही अंपायर बनता था। अगर बैटिंग करता था तो कोई और खड़ा होता था, वरना पूरा मैच मैं ही कराता था।
सवाल: इंटरनेशनल लेवल के लिए आपने इंग्लिश कैसे सीखी? अहमद शाह: स्कूल में पढ़ी थी, लेकिन 2000 के बाद खास तौर पर इंग्लिश कोर्स किए। क्योंकि अंपायर के लिए सारी कम्युनिकेशन और नियम इंग्लिश में ही होते हैं।
सवाल: आपका इंटरनेशनल डेब्यू भारत में हुआ था। नोएडा का अनुभव कैसा रहा? अहमद शाह: वनडे डेब्यू ग्रेटर नोएडा में हुआ। नोएडा मुझे बहुत पसंद है, शांत, साफ और आरामदायक जगह है।
सवाल: एशिया कप में भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान जब अभिषेक-रउफ में तनातनी हुई थी, तब आपने हालात कैसे संभाले? अहमद शाह: मैच का माहौल गर्म था, लेकिन हम तैयार थे। मैंने दोनों टीमों से कहा, “बल्ले और गेंद से बात करो,मुंह से नहीं।” कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ी पश्तो जानते थे, तो बातचीत आसान रही।

एशिया कप 2025 के सुपर-4 मैच में भारत की पारी के दौरान भारतीय ऑलराउंडर अभिषेक शर्मा और पाकिस्तान के गेंदबाज हारिस रऊफ में बहस हो गई। दोनों मैदान में एक-दूसरे से गुस्से में बात करते नजर आए। जिसके बाद फील्ड अंपायर ने बीच में आकर दोनों को अलग किया और मामला संभाला था।
सवाल: भारत-पाकिस्तान फाइनल में अंपायरिंग का दबाव कितना था? अहमद शाह: हर मैच में दबाव होता है, लेकिन इसमें ज्यादा था। हमने मानसिक रूप से खुद को बहुत तैयार किया। पूरे मैच में 100% फोकस रखा। अल्लाह का शुक्र है कि मैच बिना किसी विवाद के खत्म हुआ।
सवाल: फाइनल खत्म होने के बाद कैसा महसूस हुआ? अहमद शाह: मैदान पर तो बस काम पर ध्यान था। बाद में जब टीवी पर क्लिप देखी तो समझ आया कि कितना दबाव था। यह मेरे करियर का गर्व का पल रहा।
सवाल: फाइनल के बाद हुए विवाद (ट्रॉफी न मिलने) के बारे में आप क्या कहेंगे? अहमद शाह: हम तो मैच के बाद जल्दी निकल आए थे। बाद में पता चला कि ट्रॉफी को लेकर विवाद हुआ। लेकिन हमारी जिम्मेदारी मैच को सही तरीके से खत्म करना था, और वो हमने किया।
सवाल: भारत-पाकिस्तान जैसे मैचों में अंपायरिंग करना कैसा लगता है? अहमद शाह: यह हर अंपायर का सपना होता है। दबाव जरूर होता है, लेकिन मेहनत और फोकस से इसे संभाला जा सकता है।
सवाल: आगे का टारगेट क्या है? अहमद शाह: चाहूंगा कि और बड़े मैचों में मौका मिले। भारत-पाकिस्तान जैसे हाई-प्रोफाइल मैचों में बार-बार अंपायरिंग करना किसी भी अंपायर के लिए गर्व की बात है।
एशिया कप में भारत-पाक मैच के दौरान कई विवाद हुए
भारतीय टीम ने 28 सितंबर को एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान को हराकर ट्रॉफी अपने नाम की थी। जीत के बाद टीम ने नकवी के हाथों एशिया कप ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था।
भारत ने यह स्टैंड पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में लिया था। इसके बाद मोहसिन नकवी ट्रॉफी लेकर दुबई के होटल चले आए थे। फिर पाकिस्तान जाने से पहले उन्होंने ये ट्रॉफी दुबई स्थित ACC ऑफिस में छोड़ दी थी।
भारतीय खिलाड़ियों ने इससे पहले पूरे टूर्नामेंट में पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ भी नहीं मिलाया था। दूसरी ओर, पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने बार-बार 6-0 के इशारे किए थे। वे पाकिस्तान के इस फर्जी दावे को दोहरा रहे थे कि पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के 6 फाइटर जेट गिराए थे।
