IMA president on Baba Ramdev for calling modern medicine stupid | रामदेव ने कोविड में झूठे दावे कर हद पार की: IMA के प्रेसिडेंट बोले- बाबा ने मॉडर्न मेडिसिन को बेकार और दिवालिया साइंस कहा था

नई दिल्ली12 मिनट पहले

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बाबा रामदेव और बालकृष्ण 23 अप्रैल को सुनवाई के दौरान चौथी बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजति के 2022 के एक विज्ञापन में एलोपैथी पर गलतफहमी फैलाने का आरोप लगाया था। - Dainik Bhaskar

बाबा रामदेव और बालकृष्ण 23 अप्रैल को सुनवाई के दौरान चौथी बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजति के 2022 के एक विज्ञापन में एलोपैथी पर गलतफहमी फैलाने का आरोप लगाया था।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रेसिडेंट अशोकन ने कहा कि बाबा रामदेव ने उस समय सभी हदें पार कर दीं जब उन्होंने कोविड-19 ठीक करने का दावा किया। उन्होंने कहा कि रामदेव ने मॉडर्न मेडिसिन को स्टुपिड और बैंकरप्ट साइंस यानी बेकार और दिवालिया विज्ञान भी कहा था। न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में अशोकन ने ये बातें कहीं।

भ्रामक बयानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाए जाने के बाद IMA की तरफ से पहली बार कोई बयान दिया गया है। कल यानी 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की फिर सुनवाई होनी है।

सुप्रीम कोर्ट में IMA की तरफ से 2022 में दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई चल रही है। IMA ने याचिका में कहा था कि मॉडर्न मेडिसिन और कोविड वैक्सिनेशन ड्राइव को बदनाम करने के लिए कैंपेन चलाया जा रहा है। इसके बाद कोर्ट ने रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को निर्देश दिया था कि भ्रामक विज्ञापन न छापने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर जनता से माफी मांगें।

IMA ने सुप्रीम कोर्ट में 2022 में याचिका दाखिल कर कहा था कि मॉडर्न मेडिसिन और कोविड वैक्सिनेशन ड्राइव को बदनाम करने के लिए कैंपेन चलाया जा रहा है।

IMA ने सुप्रीम कोर्ट में 2022 में याचिका दाखिल कर कहा था कि मॉडर्न मेडिसिन और कोविड वैक्सिनेशन ड्राइव को बदनाम करने के लिए कैंपेन चलाया जा रहा है।

अशोकन बोले- सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल तोड़ा
अशोकन से पूछा गया था कि 23 तारीख की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑब्जर्वेशन में कहा था कि वे एक अंगुली पतंजलि को दिखा रहे हैं, लेकिन बाकी चार अंगुली IMA की तरफ हैं। अशोकन ने कहा कि ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है। हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है। शायद उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि मामला ये था ही नहीं, जो कोर्ट में उनके सामने रखा गया था।

आप चाहे कुछ भी कहें, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में डॉक्टर्स ईमानदारी से काम करते हैं, वे अपनी नीति और उसूलों के मुताबिक प्रैक्टिस करते हैं। सुप्रीम कोर्ट को ये शोभा नहीं देता है कि देश के मेडिकल प्रोफेशन के बारे में ऐसी बातें कहें, जिसके इतने सारे डॉक्टर्स ने कोरोना के दौरान अपनी जान तक की कुर्बानी दी है।

10 जुलाई, 2022 को पब्लिश पतंजलि वेलनेस का विज्ञापन। एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर "गलतफहमियां" फैलाने का आरोप लगाया गया था। इसी विज्ञापन को लेकर IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका लगाई थी।

10 जुलाई, 2022 को पब्लिश पतंजलि वेलनेस का विज्ञापन। एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर “गलतफहमियां” फैलाने का आरोप लगाया गया था। इसी विज्ञापन को लेकर IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका लगाई थी।

अशोकन बोले- रामदेव ने वैक्सिनेशन प्रोग्राम पर सवाल उठाए
इसी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के माफनामे पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या माफीनामे का साइज उतना ही है जितना उनके विज्ञापनों का था। अशोकन ने कहा कि मॉर्डन मेडिसिन को स्टुपिड और बैकरप्ट साइंस कहकर रामदेव सीधे तौर पर मेडिकल साइंस के खिलाफ गए थे।

अशोकन ने कहा कि जब सरकार वैक्सिनेशन प्रोग्राम चला रही थी तो बाबा रामदेव नेशनल इंटरेस्ट के खिलाफ गए। रामदेव ने कहा था कि कोविड वैक्सीन की दो डोज लेने के बाद 20 हजार डॉक्टरों की जान गई थी। और रामदेव इतने जाने माने हैं कि उन्होंने जो भी कहा उसे लोगों ने मान लिया। ये सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात थी।

हमारी लीडरशिप ने सोचा कि इस दावे को चैलेंज करना चाहिए। ये 2022 की बात थी और हमें इसे ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडी (ऑब्जेक्शनेबल एडवर्टाइजमेंट्स) एक्ट के तहत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। जो सुप्रीम कोर्ट में हुआ वह हमारी दो-तीन साल की मेहनत का नतीजा है।

IMA के सीनियर्स ने बैठक में लिया था केस करने का फैसला
अशोकन ने कहा कि IMA के पास मजबूत लीडरशिप है, जो मेडिकल प्रोफेशल के बारे में और IMA को क्या कदम उठाने चाहिए इसके बारे में सोचती है। उन्होंने बताया कि ये फैसला सीनियर मेंबर डॉ. केतन देसाई की अध्यक्षता वाली बैठक में लिया गया था। इस बैठक में पुराने प्रेसिडेंट और मौजूदा अधिकारी शामिल थे।

अशोकन ने कहा कि तब मैं पूर्व जनरल सेक्रेटरी था। उस समय के जनरल सेक्रेटरी डॉ जयेश लेले थे। इसलिए वह एक मिलाजुला फैसला था। हम एक टीम है और हम वह करने की कोशिश करते हैं जो प्रोफेशन के लिए अच्छा है। हम वह नजरिया भी अपनाने की कोशिश करते हैं जो देश के हित में हो।

IMA का इतिहास ऐसा रहा है कि हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम से निकले हैं। हम आजादी के पहले के समय के कांग्रेस के आंदोलन हिस्सा रहे हैं। आज हमारी कॉन्फ्रेंस भी उसी दिन होती है, जिस दिन कांग्रेस की कॉन्फ्रेंस हुआ करती थी।

सोशल मीडिया की तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ा
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन पर किसी तरह का आंतरिक या बाहरी दबाव था, तो उन्होंने कहा कि किसी तरफ से कोई दबाव नहीं था। लेकिन सोशल मीडिया की तरफ से बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि लोग समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हो रहा है।

अशोकन ने कहा कि वे मेडिसिन की पारंपरिक पद्धति के खिलाफ नहीं है। हम इतने दशकों तक इनके साथ रहे हैं। हम इनका सम्मान करते हैं। लेकिन फिर भी समाज के एक तबके को लगता है कि हम पारंपरिक पद्धतियों के खिलाफ हैं। और जहां तक पतंजलि की तरफ से माफीनामे का सवाल है, वो तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश था। वह कोर्ट की अवमानना का मामला था।

एथिक्स समय के मुताबिक बदलते रहते हैं
अशोकन ने कहा कि मुझे लगता है कि कोर्ट ने अभी तक अपना आखिरी फैसला नहीं सुनाया है। हम संतुष्ट होते हैं या नहीं, ये तो फैसले पर निर्भर करेगा। ये उस माफीनामे की बात नहीं है, जाे पतंजलि की तरफ से दिया गया है, ये तो कोर्ट बताएगा कि मॉडर्न मेडिसिन को बुरा-भला कहकर रामदेव ने सीमा पार की थी या नहीं।

अशोकन के मुताबिक, IMA लगातार अपने सदस्यों को लगातार नियमों और उसूलों के बारे में और खुद में कैसे बदलाव लाना है, ये बताता रहता है। एथिक्स भी समय के हिसाब से बदलते रहते हैं। आज आपको जो सही लगता है, वह दस साल बाद सही लगे ये जरूरी नहीं है। यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और हम ये करते रहते हैं।

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