IIT मंडी के दीक्षांत समारोह में मौजूद मुख्य अतिथि व अन्य।
हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थिति भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में बने ड्रोन ने भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। IIT मंडी ने इस अभियान के लिए सेना को 10 ड्रोन उपलब्ध कराए थे। यह जानकारी आईआईटी मंडी के निदेशक
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प्रो. बेहरा ने बताया कि संस्थान की ड्रोन टेक्नोलॉजी लैब लगातार नए आयाम छू रही है। इसी कारण जब भारतीय सेना को पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ड्रोन की आवश्यकता पड़ी, तो आईआईटी मंडी ने तुरंत 10 ड्रोन भेजे।
उन्होंने आगे कहा- भारत को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से आईआईटी मंडी और ड्रोन टेक्नोलॉजी लैब, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

IIT मंडी के 13वें दीक्षांत समारोह में शामिल शोधार्थी।
अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार कर रहा IIT: प्रो. बेहरा
प्रो. बेहरा ने संस्थान की अन्य उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आईआईटी मंडी द्वारा शुरू किया गया अर्ली वार्निंग सिस्टम बेहतर काम कर रहा है। यह प्रणाली न केवल भूस्खलन की जानकारी प्रदान करती है, बल्कि अब भूकंप की भी प्रारंभिक चेतावनी देने में सक्षम होगी।

IIT मंडी के 13वें दीक्षांत समारोह में डिग्रियां देते हुए मुख्य अतिथि।
समारोह के चीफ गेस्ट वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर शेखर मांडे ने अपने संबोधन में कहा- देश ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने सभी से इस सपने को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया और आईआईटी मंडी के छात्रों से भी इसमें योगदान देने का आग्रह किया।

IIT मंडी के 13वें दीक्षांत समारोह में शोधार्थियों को डिग्रियां देते हुए मुख्य अतिथि।
604 मेधावी छात्रों को बांटी गई डिग्रियां
इस दीक्षांत समारोह में कुल 604 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं, जिनमें 292 स्नातक, 241 स्नातकोत्तर और 71 पीएच.डी. शोधार्थी शामिल थे। अकादमिक उत्कृष्टता, शोध, नवाचार और नेतृत्व में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पदक और पुरस्कार भी दिए गए। समारोह में डॉ. जगन्नाथ नायक, निदेशक, सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज़ (चेस), डीआरडीओ, और प्रो. बुदराजू श्रीनिवास मूर्ति, निदेशक, आईआईटी हैदराबाद भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
