If not in the horoscope, then Raja Yoga is also formed by deeds | कुंडली में नहीं, तो कर्मों से भी बनता है राजयोग: बृहस्पति के ज्ञान को मन लगाकर समझने से मिल जाता है गुरु-चंद्र का गजकेसरी योग का फल

38 मिनट पहले

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कुंडली में गुरु और चंद्रमा एकसाथ होते हैं तो गजकेसरी नाम का राजयोग बनता है, लेकिन जिन लोगों की कुंडली में ऐसा नहीं है, वो भी अच्छे कर्मों से ये राजयोग बना सकते हैं। इस बड़े योग के प्रभाव से बड़ा पद और लोगों के बीच सम्मान मिलता है।

बृहस्पति, सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। ये ग्रह विद्या, ज्ञान और गुरु का कारक है। वहीं, चंद्रमा का प्रभाव मन और विचार पर पड़ता है। बृहस्पति के प्रभाव से स्टूडेंट्स को ज्ञान मिलता है। चंद्रमा के प्रभाव से ज्ञान मन लगाकर समझना होता है। ऐसा करने से उच्चस्तर की विद्या मिल जाती है।

किसी भी क्षेत्र की विद्या का संपूर्ण ज्ञान होने पर उसे अपने जीवन में उतार लें तो सफलता के शिखर पर पहुंच सकते हैं। ये ही सफलता गजकेसरी नाम का राजयोग देता है।

बृहस्पति ग्रह छल-कपट,धोखा और बेईमानी से दूर रहकर जीवन जीने की शिक्षा देते हैं। विद्यावान होना, धनवान होने से भी बड़ा माना जाता है, क्योंकि धन खर्च करने से घटता है लेकिन विद्या खर्च करने से बढ़ती है। धन की चोरी हो सकती है लेकिन विद्या को कोई नहीं चुरा सकता, इसलिए विद्यावान होना ही शुभ गजकेसरी राजयोग होता है।

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