2 घंटे पहलेलेखक: वर्षा राय
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फिल्मों से लेकर ओटीटी तक अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाली रसिका दुग्गल आज अपने हर किरदार से एक नई छाप छोड़ रही हैं। दिल्ली क्राइम 3 नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो चुकी है।
रसिका का मंटो से लेकर मिर्जापुर और दिल्ली क्राइम जैसी सीरीज तक उनका सफर प्रेरणादायक रहा है। हाल ही में एक्ट्रेस ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। पेश है कुछ प्रमुख अंश..
सवाल- दिल्ली क्राइम सीजन 3 में आपका किरदार कितना दमदार और अलग दिखेगा?
जवाब- दिल्ली क्राइम के तीसरे सीजन में नीती सिंह का किरदार पहले से काफी अलग और दमदार दिखेगा। अभी तक आपने उनके उसी अंदर के बदलाव को देखा था। सिस्टम के भीतर रहकर काम करने की समझ। इस बार वे बड़े मुश्किल फैसलों के सामने होंगी, जो समाज की परंपराओं से हटकर होंगे।
कुछ मोड़ उलझन में डालेंगे, लेकिन वे साहस के साथ हर चीज संभालेंगी। कुल मिलाकर उनकी यात्रा पहले से ज्यादा सच्ची, साहसी और असरदार होगी।

दिल्ली क्राइम सीजन 3 13 नवंबर 2025 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुआ, रसिका दुग्गल नीती सिंह के रूप में लौट आई हैं
सवाल– क्या इस बार भी आपने एक पुलिस अधिकारी का किरदार निभाने के लिए अपनी बॉडी लैंग्वेज या किसी तरह के रिसर्च पर काम किया?
जवाब- सीजन 1 में नीती सिंह का किरदार एक प्रोबेशन ऑफिसर था। मैं जिस असली ऑफिसर को फॉलो कर रही थी, वो भी उसी पद पर थीं। शो के एडवाइजर नीरज कुमार, जो निर्भया केस के समय दिल्ली के कमिश्नर थे, उन्होंने मेरी मुलाकात उनसे करवाई।
सीजन 2 तक वो ऑफिसर एसीपी बनकर चंडीगढ़ चली गईं। मैं उनके ऑफिस गई, कई बार उनसे मिली और उनके साथ समय बिताया। मैंने देखा कि वो हर चीज में सख्त और अनुशासित हैं। यूनिफॉर्म से लेकर व्यवहार तक सब कुछ परफेक्ट होना चाहिए।
सीजन 3 में भले मेरे किरदार का प्रमोशन नहीं हुआ, पर रियल लाइफ में उनकी पदोन्नति हो चुकी थी। दिलचस्प बात यह है कि मैं उन्हें ढूंढने नहीं गई थी, लेकिन वो बिल्कुल नीती सिंह जैसी आदर्शवादी और ईमानदार निकलीं।
सवाल- आपने फिल्मों से लेकर ओटीटी में काम किया है, लेकिन वो कौन सी स्क्रिप्ट थी जो आपके करियर में टर्निंग पॉइंट साबित हुई?
जवाब- करियर का टर्निंग पॉइंट मंटो फिल्म की कास्टिंग से आया। उससे पहले इरफान व तिलोत्तमा के साथ ‘किस्सा’ जैसी खास फिल्में की, पर मंटो ने नया रास्ता दिखाया। उस समय कई डायरेक्टर्स मुझे प्रोजेक्ट में लेना चाहते थे, लेकिन प्रोड्यूर्स ने कहा मैं सेलेबल नहीं हूं।
फिर नंदिता ने मुझमें भरोसा जताया और मुझे वो रोल दिया। यही निर्णायक मोड़ रहा। उसके बाद दिल्ली क्राइम और मिर्जापुर जैसे शो आए, जिसने बड़े ऑडियंस के सामने मेरी पहचान बनाई और ब्लॉकबस्टर-सी फील दी।

मंटो में रसिका दुग्गल को पहले रिजेक्ट किया गया था, लेकिन निर्देशक नंदिता दास ने उन्हें मौका दिया।
सवाल- मिर्जापुर शो में आपकी कास्टिंग कैसे हुई थी, यह संयोग था या मेहनत का परिणाम?
जवाब- यह कहानी मिर्जापुर के पहले सीजन के क्रिएटर करण अंशुमन से जुड़ी है, जो मेरे दोस्त हैं। किसी ने कहा कि वे किसी कहानी पर काम कर रहे हैं, तो मैंने उन्हें संदेश भेज दिया। हिचकिचाहट थी क्योंकि वे मेरे दोस्त थे। फिर मैंने संदेश किया और उनका तुरंत जवाब आया कि मिलो हम बात करते हैं। उन्होंने कहानी सुनाई और पूछा कि क्या क्या मैं इंटरेस्टेड हूं।
मुझे कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा था मैं मंटो जैसी फिल्मों कर रही हूँं इस वजह से वेब शो न करूं। फिर उन्होंने ऑडिशन देने के लिए कहा। मैंने अनमोल और अभिषेक बनर्जी की कास्टिंग कंपनी में ऑडिशन दिया। मुझे लगा कि मैंने बहुत बुरा ऑडिशन दिया है और मैं रिजेक्ट हो जाऊंगी।
शायद मेरी फिजिक उस किरदार जैसी नहीं थी। फिर मैंने शो के प्रोड्यूसर अब्बास को कॉल करके कहा कि क्या मैं एक बार फिर ऑडिशन दे सकती हूं। उन्होंने कहा कि चिंता मत करो, तुमने अच्छा किया है। अगले कॉल में उन्होंने बताया कि मैं सिलेक्ट हो गई हूं।

रसिका दुग्गल की पहली फिल्म अनवर थी, जिसके लिए उन्हें रोजाना 3000 रुपए मिले थे
सवाल- मिर्जापुर में आपके किरदार के कुछ बोल्ड सीन थे। क्या उन दृश्यों को करते समय आपके मन में झिझक या असमंजस था?
जवाब- बिल्कुल भी नहीं, क्योंकि वो सीन स्क्रिप्ट के पॉइंट ऑफ व्यू से जरूरी था। उसे जबरदस्ती या सेंसशनलाइज करने के लिए नहीं डाला गया था। पुनित कृष्ण जो राइटर हैं, उन्होंने हर किरदार को बहुत सेंसिटिवली बिल्ड किया था। रही बात इंटिमेट सीन की तो पुनित, गुरमीत और करण ने शूट से पहले मुझे हर शॉट के बारे में बताया।
सेट पर कौन मौजूद होगा, क्लोज सेट रहेगा ये सारी बातें पहले ही डिसकस हो गई थीं, जो मेरे कंफर्ट के लिए जरूरी थीं। अब तो इंटिमेसी कोऑर्डिनेटर आ गए हैं, लेकिन तब नहीं थे।
सवाल- आपने ओटीटी और फिल्मों में काम किया है। दोनों की शूटिंग स्टाइल में सबसे बड़ा अंतर क्या है?
जवाब- मैं तो चाहे ओटीटी हो या फिल्म, दोनों को एक ही तरह से अप्रोच करती हूं। लेकिन सीरीज में शूट के दौरान हमें एक दिन में 5-5 सीन शूट करने होते हैं बहुत भागदौड़ रहती है और मुश्किलें भी।
वहीं फिल्मों में आपको किरदार को ऑब्जर्व करने का पूरा समय मिलता है। पर ओटीटी में पूरी कास्ट को किरदार की जर्नी जीने का मौका मिलता है। जैसे मिर्जापुर में मेरा रोल भले ही स्क्रीन पर कम दिखा हो, लेकिन उसका एक ट्रैक था जो खूबसूरती से दिखाया गया।
सवाल-अगर आप अभिनय की दुनिया में न आतीं, तो रियल लाइफ में कौन-सा रोल निभा रही होतीं?
जवाब- FTII से निकलने के बाद मैंने खुद से वादा कर लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, बनना तो एक्टर ही है। जब आपको जिंदगी में वो खास चीज़ मिल जाती है, जिसे पाकर दिल में एक अजीब-सी खुशी महसूस हो, जैसे अपनी मुकम्मल पहचान या सोलमेट मिल गया हो। तो फिर किसी और चीज की चाह नहीं रह जाती।

हां, इतना जरूर है कि अगले जन्म में मैं एक म्यूजिशियन बनना चाहूंगी। एक फिल्म के लिए पियानो सीखना शुरू किया था, लेकिन दूसरी शूटिंग में व्यस्त रहने लगी। अब वही मेरा शौक मेरे पति पूरा करते हैं।
