मुंबई7 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
सेबी प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग के आरोपों को छवि धूमिल करने की कोशिश बताया है।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के आरोपों को बाजार नियामक सेबी और अदाणी समूह ने बेबुनियाद बताया है। सेबी ने रविवार को कहा कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की जांच की है। चेयरपर्सन माधबी बुच ने समय-समय पर सभी खुलासे किए हैं। उन्होंने हितों के संभावित टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग किया है।
सेबी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 3 जनवरी 2024 तक अडाणी समूह के खिलाफ 24 में से 22 जांच पूरी की है। मार्च 24 तक एक और जांच पूरी कर ली गई। एक बाकी है। सेबी प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को छवि धूमिल करने की कोशिश बताया।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पिछले कुछ साल में देखा जा रहा है जब संसद सत्र जारी होता है, उसी समय ऐसे आरोप आते हैं। पीएम पर डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग रिपोर्ट उदाहरण हैं। साफ है कि विपक्ष के तार विदेशों से जुड़े हैं।
हिंडनबर्ग ने रविवार शाम बुच दंपति पर उठाए नए सवाल
इस बीच, बुच दंपती पर रविवार शाम हिंडनबर्ग ने फिर सवाल उठाए। सोशल मीडिया पर दस्तावेजों के साथ बताया कि सेबी में रहते हुए माधबी विदेशी फंड से जुड़ी थीं। हिंडनबर्ग के नए सवाल…
- माधबी के जवाब से पुष्टि होती है कि उनका बरमूडा/मॉरीशस के फंड में निवेश था, जिसका पैसा विनोद अदाणी ने इस्तेमाल किया। यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त चलाते थे, जो उस समय अदाणी के डायरेक्टर थे।
- सेबी को अदाणी संबंधित निवेश फंड की जांच का जिम्मा दिया था, जिसमें माधबी के व्यक्तिगत निवेश वाले फंड भी शामिल थे। यह हितों का बड़े टकराव का स्पष्ट मामला है।
- बुच ने दावा किया है कि वे दोनों कंल्सटिंग कंपनियों से 2017 में सेबी में नियुक्त होते ही हट गई थीं। लेकिन मार्च 2024 की शेयरहोल्डिंग बताती है कि अगोरा एडवायजरी (इंडिया) में माधबी की 99% हिस्सेदारी है। यह कंपनी अब भी कमाई कर रही है।
- अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर में माधबी की 16 मार्च 2022 तक 100% हिस्सेदारी थी, यानी सेबी में पूर्णकालिक सदस्य रहते समय तक। उन्होंने सेबी चेयरपर्सन बनने के दो हफ्ते बाद अपने शेयर पति के नाम पर ट्रांसफर किए थे।
- अगोरा एडवायजरी ने वित्त वर्षों (22,23, 24) में 2.3 करोड़ रुपए राजस्व कमाया, जबकि इस दौरान वे सेबी की चेयरपर्सन हैं।
- यह भी अहम है कि बुच ने सेबी का पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए अपने निजी ई-मेल आईडी से अपने पति के नाम का इस्तेमाल कर बिजनेस किया।
अदाणी समूह ने कहा- हिंडनबर्ग ने जिनके नाम लिए, उनसे कारोबारी रिश्ते नहीं
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने कहा है, सेबी प्रमुख से ग्रुप के कारोबारी रिश्ते नहीं हैं। सेबी प्रमुख के साथ जिन लोगों के नाम लिए गए हैं, उनसे भी समूह का लेनदेन नहीं है। विदेशी होल्डिंग पर उठाए गए सवाल बेबुनियाद हैं। समूह की विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह पारदर्शी है। इसका इस्तेमाल धन के हेरफेर के लिए नहीं किया गया।
ग्रुप ने कहा- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।
सिंगापुर के फंड में निवेश 2015 में, सेबी से 2017 में जुड़ीं
- धवल 2010 से 2019 के बीच यूनिलीवर में काम करते हुए लंदन और सिंगापुर में रहे। माधबी 2011 से 2017 के बीच सिंगापुर में एक प्राइवेट इक्विटी फंड, फिर स्वतंत्र कंसल्टेंट रहीं। हिंडनबर्ग ने जिस निवेश की बात की है, वह दंपती ने 2015 में किया था।
- 2017 में माधबी सेबी में आईं। यह निवेश धवल ने बचपन के दोस्त अनिल आहूजा की सलाह पर किया, जो उसके CEO थे। 2018 में आहूजा ने यह फंड छोड़ दिया। तब तक इस फंड ने अडाणी समूह की किसी कंपनी के बॉन्ड, इक्विटी में निवेश नहीं किया था।
- धवल 2019 में ब्लैकस्टोन फंड से जुड़े। वे फंड की रियल एस्टेट विंग में नहीं थे। तब तक माधबी सेबी की चेयरमैन नहीं बनी थीं। धवल ने जब सिंगापुर स्थित फंड की संयुक्त हिस्सेदारी को अपने नाम किया, तो जानकारी सेबी के साथ सरकार को दी थी। यह जानकारी सिंगापुर सरकार और देश के आयकर विभाग को भी है।
- हिंडनबर्ग ने पहले से पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारियों को रहस्योद्घाटन जैसा बताया है। लेकिन सेबी के नोटिस का जवाब आज तक नहीं दिया। हिंडनबर्ग ने कई भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है।