नए साल से हिमाचल में विभिन्न रुटों पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा।
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) अपने बेड़े को आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। नए साल से निगम को 297 नई इलेक्ट्रिक बसों की डिलीवरी मिलनी शुरू हो जाएगी। इस परियोजना की कुल लागत 507.87 करोड़ रुपए है।
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यह बसें दिसंबर 2025 के अंत से जनवरी 2026 तक चरणबद्ध तरीके से हिमाचल के विभिन्न रूट्स पर उतारी जाएंगी। एचआरटीसी के वाइस चेयरमैन अजय वर्मा ने बताया कि यह पहल प्रदेश में सार्वजनिक परिवहन के आधुनिकीकरण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी।
अजय वर्मा ने जानकारी दी कि ये बस अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगी, जो यात्रियों को शांत, आरामदायक और प्रदूषण-मुक्त सफर का अनुभव देंगी। 297 इलेक्ट्रिक बसों की इस खेप के साथ 12 साल की रखरखाव सेवा भी मिलेगी।

नए साल से हिमाचल में विभिन्न रुटों पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा।
बसों में होगी फास्ट चार्जिंग तकनीक
प्रत्येक बस में फास्ट चार्जिंग तकनीक होगी, जिससे इसे मात्र 30 मिनट में पूरी तरह चार्ज किया जा सकेगा। एक बार चार्ज होने पर बस लगभग 200 किलोमीटर तक चल सकेंगी। प्रति बस की लागत लगभग 1.71 करोड़ रुपए है।
शुरुआत में, 50 से 100 बसें अत्यधिक प्रमुख और पायलट रूट्स पर परिचालन के लिए उपलब्ध कराई जाएंगी। परिवहन निगम चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 31 नए चार्जिंग स्टेशन भी बना रहा है।
कुल मिलाकर, प्रदेश में 80 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना है, जिन्हें नाबार्ड से फंडिंग मिल रही है। अजय वर्मा ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में मजबूत चार्जिंग नेटवर्क स्थापित करना एक चुनौती है, इसलिए रणनीतिक स्थानों पर स्टेशन बनाए जा रहे हैं ताकि बसों का संचालन बिना बाधा के हो सके।

एचआरटीसी के वाइस चेयरमैन अजय वर्मा पुष्प गुच्छ देते हुए। (फाइल फोटो)
ट्रॉयल के लिए हैदराबाद से पहुंची चार बस
297 इलेक्ट्रिक बसों की सप्लाई और मेंटिनेंस का ठेका ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक लिमिटेड को 424 करोड़ रुपए की अनुबंध राशि पर दिया गया है। इस कंपनी की चार बसें पहले ही ट्रायल के लिए हैदराबाद से हिमाचल पहुंच चुकी हैं।
अजय वर्मा के अनुसार, यात्री अब प्रदूषण मुक्त, शोर रहित और सुविधाजनक यात्रा का लाभ उठा सकेंगे। इससे न केवल डीजल पर निर्भरता कम होगी, बल्कि पुरानी बसों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि, निगम का लक्ष्य है कि भविष्य में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या दोगुनी की जाए, जिससे हिमाचल प्रदेश हरित ऊर्जा आधारित परिवहन की मिसाल बने।
राज्य के लिए इस परियोजना का बड़ा फायदा होगा
कार्बन उत्सर्जन में कमी, पर्यटन क्षेत्रों में स्वच्छ परिवहन, परिचालन लागत में कटौती और बेहतर कनेक्टिविटी। अजय वर्मा ने इसे हिमाचल के परिवहन इतिहास का सबसे बड़ा EV अपग्रेड बताया और बताया कि अगले चरण में 9 मीटर और इंटरसिटी इलेक्ट्रिक बसों का भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। यह परियोजना हिमाचल में पर्यावरण संरक्षण और बेहतर यातायात व्यवस्था के लिहाज से एक नई क्रांति साबित होगी, जिससे प्रदेश की समग्र छवि भी बेहतर होगी।
