Himachal Kullu Girl Ishani Thakur Lord Shiva devotee travelled barefoot Shrikhand Mahadev Yatra Kullu | हिमाचल की ईशानी ने नंगे पांव की श्रीखंड यात्रा: 70Km पैदल चली, पांव में छाला तक नहीं; 18570 फीट ऊंचाई, न ठंड- न कोई परेशानी – Kullu News

हिमाचल की ईशानी ठाकुर नंगे पांव नाले और ग्लेशियर को पार करते हुए

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू की ईशानी ठाकुर ने नंगे पांव पैदल चलकर 70 किलोमीटर (दोनों साइड) की श्रीखंड यात्रा की है। माइनस 5 से 15 डिग्री टैम्परेचर के बीच, बहते पानी, चट्टानों और ग्लेशियर से होकर गुजरने वाले रास्ते को ईशानी ने बिना थके-हारे पूरा किया।

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कुल्लू जिले के निरमंड के बागीपुल की रहने वाली 28 साल की ईशानी ने सातवीं बार नंगे पांव यह यात्रा की है। साल 2017 में पहली बार नंगे पांव श्रीखंड गई। कोरोना काल में 2020 और 2021 में दो साल यात्रा नहीं की। बाकी हर साल ईशानी पैदल इस यात्रा को कर रही है।

श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान नंगे पांव नाले को पार करते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान नंगे पांव नाले को पार करते हुए ईशानी ठाकुर

न ठंड का एहसास, न कोई परेशानी: ईशानी

ईशानी कहती हैं कि भगवान भोलेनाथ की कृपा से उन्हें न ठंड का एहसास हुआ और न कोई यात्रा करने में परेशानी हुई। इतना चलने के बावजूद पांव में छाला तक नहीं आया। जब उन्हें ठंड महसूस होती है या पांव में कुछ दर्द होने लगता है तो भगवान भोलेनाथ का स्मरण करती हैं और दर्द व ठंड गायब हो जाता है।

8 जून को यात्रा शुरू की, 11 को दर्शन किए

ईशानी ने बताया, उन्होंने 8 जून को अपने इंदौर के दोस्तों और अपने कजन ब्रदर के साथ यात्रा शुरू की। 11 जून को श्रीखंड में भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए और 13 जून को वापस निरमंड लौट आए। इस यात्रा के दौरान गर्म कपड़े पहनकर जाना पड़ता है। मगर ईशानी ने कैपरी पहनकर यह यात्रा की है।

श्रीखंड यात्रा के दौरान खतरनाक रास्ते से होकर गुजरते हुए निरमंड के बागीपुल की ईशानी ठाकुर

श्रीखंड यात्रा के दौरान खतरनाक रास्ते से होकर गुजरते हुए निरमंड के बागीपुल की ईशानी ठाकुर

क्यों दुनिया की कठिन धार्मिक यात्रा मानी जाती है?

श्रीखंड महादेव यात्रा को देश नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। इस यात्रा को पूरी करने के लिए 3 ग्लेशियरों और खतरनाक पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। कुल्लू के निरमंड तक श्रद्धालु गाड़ियों से पहुंचते हैं। यहां से पैदल यात्रा शुरू होती है।

निरमंड की समुद्र तल से 4757 फीट ऊंचाई है। 3 से 4 दिन की पैदल यात्रा के बाद श्रद्धालु 18570 फीट की ऊंचाई पर पहुंचते हैं। इससे कई बार यहां ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। कई श्रद्धालुओं इस यात्रा को पूरी करने से पहले ही आधे रास्ते से लौटना पड़ता है।

खतरनाक रास्तों की वजह से कई बार श्रद्धालुओं की गिरने से मौत तक हो जाती है। इन वजह से श्रीखंड महादेव की यात्रा जूते पहनकर भी आसान नहीं मानी जाती। मगर, ईशानी ठाकुर बार- बार नंगे पांव श्रीखंड पहुंच रही हैं।

ईशानी ठाकुर श्रीखंड यात्रा के दौरान आगे बढ़ते हुए

ईशानी ठाकुर श्रीखंड यात्रा के दौरान आगे बढ़ते हुए

फिटनेस टेस्ट के बाद यात्रा की अनुमति

आधिकारिक तौर पर यह यात्रा 10 जुलाई से शुरू हो चुकी है। इस यात्रा के लिए देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रीखंड पहुंच रहे हैं। यह यात्रा 23 जुलाई तक चलेगी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। कुल्लू के निरमंड से यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालुओं को फिटनेस टेस्ट पास करना होता है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के भोजन के लिए जगह-जगह भंडारे लगाए जाते हैं। पांच जगह बेस कैंप बनाए गए हैं।

भगवान शिव का वास माना जाता है श्रीखंड

मान्यता है कि श्रीखंड की चोटी पर भगवान शिव का वास है। यहां शिला के रूप में 72 फीट ऊंचा शिवलिंग है। यहां पहुंचकर श्रद्धालु इसकी परिक्रमा और पूजा करते हैं। इससे उन्हें मनवांछित फल मिलता है और उनकी इच्छा पूरी होती है। देशभर से बड़ी संख्या में भगवान भोले के भक्त हर साल श्रीखंड पहुंचते हैं।

श्रीखंड को लेकर श्रद्धालुओं की मान्यता

एक पौराणिक कथा के अनुसार, भस्मासुर नाम के एक असुर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर जब भस्मासुर को दर्शन दिए तो उसने भगवान शिव से वर मांगा कि वो जिसके भी सिर पर हाथ रखे, वो भस्म हो जाए। यह वर भस्मासुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त करने के लिए लिया था।

अहंकार में आकर भस्मासुर खुद को भगवान समझने लगा और शिव की पत्नी पार्वती को पाने के लिए भगवान शिव को ही भस्म करने के लिए उनका पीछा करने लगा। तब भगवान शिव श्रीखंड आए थे। इसके बाद भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर भस्मासुर को मोहित कर लिया। स्त्री का रूप धारण किए हुए विष्णु जी ने भस्मासुर को नृत्य करने को कहा और नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपना हाथ अपने ही सिर पर रख लिया और उसका अंत हो गया।

श्रीखंड यात्रा के दौरान संकरे रास्ते से होकर आगे बढ़ते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड यात्रा के दौरान संकरे रास्ते से होकर आगे बढ़ते हुए ईशानी ठाकुर

कैसे पहुंचे श्रीखंड?

भोले के जो भक्त श्रीखंड जाना चाहते हैं उन्हें शिमला जिले के रामपुर से कुल्लू के निरमंड होकर बागीपुल और जाओ तक आना होगा। यहां तक गाड़ी व बस में पहुंचा जा सकता हैं। शिमला से रामपुर की दूरी 130 किलोमीटर, रामपुर से निरमंड 17 किमी., निरमंड से बागीपुल 17 किमी. और बागीपुल से जाओ की दूरी 12 किलोमीटर है। यहां से आगे 32 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।

रास्ते में क्या देख सकते हैं श्रद्धालु

श्रीखंड यात्रा के दौरान रास्ते में पार्वती बाग, भीम द्वार, नैन सरोवर, भीम बही, थाचड़ू, बराटी नाला सहित कई मनोरम स्थल हैं। पार्वती बाग में फूलों का बगीचा है, जहां फूलों की खुशबू सभी को मंत्रमुग्ध कर देती है। रास्ते में कई तरह की जड़ी बूटियां भी हैं।

यहां देखे ईशानी ठाकुर की यात्रा से जुड़ी PHOTOS..

श्रीखंड यात्रा के दौरान रस्सा पकड़कर ग्लेशियर को पार करते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड यात्रा के दौरान रस्सा पकड़कर ग्लेशियर को पार करते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड महादेव की यात्रा नंगे पांव करते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड महादेव की यात्रा नंगे पांव करते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड महादेव की यात्रा करते हुए ईशानी

श्रीखंड महादेव की यात्रा करते हुए ईशानी

श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान बेस कैंप में भजन कीर्तन करते हुए ईशानी और दूसरे श्रद्धालु

श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान बेस कैंप में भजन कीर्तन करते हुए ईशानी और दूसरे श्रद्धालु

श्रीखंड यात्रा के दौरान खतरनाक रास्तों से होकर गुजरते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड यात्रा के दौरान खतरनाक रास्तों से होकर गुजरते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड यात्रा को नंगे पांव पूरा करते हुए ईशानी

श्रीखंड यात्रा को नंगे पांव पूरा करते हुए ईशानी

श्रीखंड यात्रा के दौरान ग्लेशियर के ऊपर से रस्सा पकड़कर चलते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड यात्रा के दौरान ग्लेशियर के ऊपर से रस्सा पकड़कर चलते हुए ईशानी ठाकुर

श्रीखंड यात्रा के दौरान रास्ते में बनाए गए बेस कैंप में ईशानी ठाकुर दूसरे श्रद्धालुओं के साथ

श्रीखंड यात्रा के दौरान रास्ते में बनाए गए बेस कैंप में ईशानी ठाकुर दूसरे श्रद्धालुओं के साथ

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