Himachal JCO Kuldip Chand Martyred Sunderbani Sector | Anti Infiltration Operation | हमीरपुर के वीर कुलदीप का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा: जम्मू में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद, पत्नी और 2 बच्चों को छोड़ गए – Shimla News

शहीद कुलदीप चंद का पार्थिव शरीर पैतृक गांव कोहलवीं पहुंचा।

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के आर्मी अफसर (JCO) जम्मू के सुंदरबनी सेक्टर के केरी बट्टल इलाके में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद कुलदीप चंद का पार्थिव शरीर रविवार को उनके पैतृक गांव मे पहुंचा। उनके पैतृक गांव कोहलवीं में पूरे सैन्य व राजकीय सम्मान

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बता दें कि शुक्रवार देर रात आतंकवादियों की घुसपैठ की सूचना पर वह अन्य जवानों के साथ आपरेशन में शामिल हुए थे। इस दौरान उनकी आतंकवादियों से मुठभेड़ हो गई और इस दौरान आतंकवादियों से लोहा लेते हुए वह शहीद हो गए।

आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिश नाकाम

सेना ने शनिवार को सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा, जीओसी व्हाइट नाइट कोर और सभी रैंक 9 पंजाब के बहादुर कुलदीप चंद के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं। कुलदीप ने 11 अप्रैल की रात सुंदरबनी के केरी बट्टल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ विरोधी अभियान का बहादुरी से नेतृत्व किया।

सेना ने कहा कि उनकी टीम की वीरता और कुलदीप के बलिदान ने आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। हम इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवार के साथ खड़े हैं।

शहीद कुलदीप चंद का पार्थिव शरीर लाते हुए सैनिक।

शहीद कुलदीप चंद का पार्थिव शरीर लाते हुए सैनिक।

घर पर पत्नी और बेटा-बेटी

इसके बाद सेना ने उनके शहीद होने की खबर उनके परिजनों को दी । जैसे ही परिजनों को यह खबर मिली तो पूरे इलाके व जिले में शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोग व उनके सगे सबंधी शहीद कुलदीप चंद के घर में जुटना शुरू हो गए। शहीद कुलदीप पत्नी, एक बेटा व बेटी को छोड़ गए हैं। शहीद का छोटा भाई विदेश में नौकरी करता है, उसे भी सूचित कर दिया गया है।

शहीद कुलदीप चंद का फाइल फोटो।

शहीद कुलदीप चंद का फाइल फोटो।

शहीद कुलदीप चंद के घर महिलाएं शोक व्यक्त करती हुईं।

शहीद कुलदीप चंद के घर महिलाएं शोक व्यक्त करती हुईं।

1996 में सेना में भर्ती

कुलदीप वर्ष1996 में सेना में भर्ती हुए थे। वह वर्तमान में 9 पंजाब में सेवारत थे और इन दिनों उनकी यूनिट जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में थी। इस दौरान घुसपैठ कर रहे आतंकियों को रोकने के लिए सेना और आतंकियों के बीच फायरिंग शुरू हो गई। गोली लगने के बाद कुलदीप घायल हो गए, लेकिन घुसपैठ को नाकाम कर प्राण त्याग दिए।

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