Himachal government Vs State Election Commission | Reservation roster ULs postponement | BJP | Shimla | हिमाचल सरकार और इलेक्शन कमीशन आमने-सामने: BJP बोली-सत्तारूढ़ कांग्रेस चुनाव से घबराई, पूर्व कमिश्नर ने कहा- संवैधानिक संस्था का प्रोग्राम स्थगित करना सही नहीं – Shimla News

हिमाचल प्रदेश में इसी साल दिसंबर में 73 नगर निकाय के चुनाव होने है। मगर राज्य सरकार संवैधानिक संस्था इलेक्शन कमीशन के आरक्षण रोस्टर लगाने के प्रोग्राम को बार बार स्थगित कर रही है। इससे सरकार और कमीशन के बीच टकराव की स्थिति बन गई है।

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इलेक्शन कमीशन एक सप्ताह के भीतर वोटर लिस्ट बनाने का काम शुरू करने की तैयारी में था। मगर आरक्षण रोस्टर तय नहीं होने से कमीशन वोटर लिस्ट को लेकर फैसला नहीं कर पा रहा। इससे चुनाव में देरी हो सकती है, जबकि चुनाव आयोग जनवरी से मार्च के बीच बर्फबारी के डर से चुनाव दिसंबर में कराना चाह रहा है।

नेगी बोले- कमिशन के प्रोग्राम को स्थगित नहीं किया जा सकता

पूर्व स्टेट इलेक्शन कमिश्नर टीजी नेगी ने बताया कि कमीशन के प्रोग्राम को स्थगित नहीं किया जा सकता है। सरकार चाहे तो स्टेट इलेक्शन कमीशन से रिक्वेस्ट की जा सकती है। मगर संवैधानिक संस्था के प्रोग्राम को स्थगित करना सही नहीं है।

BJP बोली- चुनाव से घबरा गई सत्तारूढ़ कांग्रेस

‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में BJP के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस चुनाव से घबरा गई है। चुनाव में हार के डर से तीसरी बार आरक्षण रोस्टर प्रोग्राम को पोस्टपोन किया गया है। उन्होंने कहा, आरक्षण रोस्टर लगाने में भाई-भतीजावाद हो रहा है। सत्तारूढ़ कांग्रेस नेता वार्डों को अपने अपने हिसाब से आरक्षित करना चाह रहे हैं। इसलिए संवैधानिक संस्था का कांग्रेस मजाक बना रही है।

हिमाचल BJP अध्यक्ष राजीव बिंदल

हिमाचल BJP अध्यक्ष राजीव बिंदल

5 पाइंट में समझे पूरा विवाद

  1. स्टेट इलेक्शन कमीशन ने 24 मई 2025 को प्रदेश के 73 नगर निकाय में वार्डबंदी और आरक्षण रोस्टर का प्रोग्राम जारी किया। इसके मुताबिक एक जुलाई तक डीसी को सभी नगर निकायों में वार्डबंदी और 11 जुलाई तक आरक्षण रोस्टर लगाना था।
  2. 10 जुलाई को शहरी विकास विभाग ने सभी DC को पत्र लिखा, इसमें 11 जुलाई तक आरक्षण रोस्टर लगाने के इलेक्शन कमीशन के प्रोग्राम को स्थगित किया गया। तर्क दिया गया कि SC, ST और OBC का लेटेस्ट डाटा उपलब्ध नहीं है। इसलिए अपडेटेड सेनसस डाटा आने तक आरक्षण रोस्टर लगाने का काम रोका जाए।
  3. 10 जुलाई को ही इलेक्शन कमीशन ने चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा- इसमें साफ कहा कि शहरी विकास विभाग के पास इलेक्शन कमीशन के प्रोग्राम को स्थगित करने की कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसलिए इन आदेशों को वापस लिया जाए। साथ ही इलेक्शन कमीशन ने सभी DC को स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट 1994 की धारा 281, हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 9,9(E) और हिमाचल म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन इलेक्शन रूल्स 2012 की धारा 32 में उनका (DC) सुपरविजन और कंट्रोल इलेक्शन कमीशन के पास है। इसलिए कमीशन ने 4 दिन का अतिरिक्त समय देकर 15 जुलाई तक आरक्षण रोस्टर लगाने को कहा। 18 जुलाई तक राज्य सरकार को सभी नगर निकाय के आरक्षण रोस्टर की जानकारी कमीशन को देनी थी। कैबिनेट मीटिंग में आरक्षण रोस्टर को लेकर फैसला लेगी सरकार (फाइल फोटो)
  4. इस बीच नेरचौक नगर परिषद के वार्ड डिलिमिटेशन का मामला हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने इस पर स्टे दिया। इन आदेशों को सभी नगर निकाय पर स्टे समझा गया। इसके बाद इलेक्शन कमीशन ने कोर्ट में एप्लिकेशन देकर अपना पक्ष रखा। 17 जुलाई को कोर्ट ने नेरचौक नगर परिषद पर लगा स्टे हटा दिया और सभी निकाय को 22 जुलाई तक आरक्षण रोस्टर लगाने को कहा गया।
  5. 22 जुलाई को शहरी विकास विभाग के सचिव ने इलेक्शन कमीशन सेक्रेटरी को पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि आरक्षण रोस्टर का मामला 24 जुलाई को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में रखा जाएगा। फिलहाल यह मीटिंग किन्ही कारणों से स्थगित हुई है। अब कैबिनेट मीटिंग का इंतजार किया जा रहा है।

आरक्षण रोस्टर तैयार, सरकारी आदेशों का इंतजार

सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर जिलों में DC ने आरक्षण रोस्टर को लेकर एक्सरसाइज पूरी कर ली है। अब सरकारी आदेशों का इंतजार है। प्रदेश में इसी साल 3600 से ज्यादा पंचायतों के भी चुनाव होने है। इलेक्शन कमीशन पंचायतों के साथ ही 7 नगर निगम, 29 नगर परिषद और 37 नगर पंचायतों के चुनाव भी कराना चाह रहा है।

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