डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने रेरा के चेयरमैन पद पर रहते हुए 44,100 रुपए के सेब बांट दिए।
हिमाचल प्रदेश में रियल एस्टेट डेवलपमेंट ऑथोरिटी (रेरा) के पूर्व चेयरमैन डॉ. श्रीकांत बाल्दी की ओर से सरकारी फंड से देश के विभिन्न राज्यों के IAS और IPS अधिकारियों को सेब बांटने का मामला सामने आया है। इनमें ज्यादातर अफसर राजस्थान के हैं।
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बाल्दी ने 2022 में अपने पद पर रहते हुए 49 पेटी सेब सरकारी कोष से बांट दिया। जबकि, नियमों में सरकारी कोष से सेब बांटने का कोई प्रावधान नहीं है। हिमाचल के रिटायर IAS और हाउसिंग मिनिस्टर भी इसे गलत बता रहे हैं।
इसे सरकारी उपक्रम हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन और प्रसंस्करण निगम (HPMC) से खरीदकर अफसरों को बांटा गया है। रेरा ने HPMC से 20 किलोग्राम की 49 पेटी 44,100 रुपए में खरीदी थीं।
बाल्दी खुद राजस्थान के वहीं, बाल्दी ने जिन्हें सरकारी खजाने से सेब दिया है, उनमें रिटायर DGP, हरियाणा, राजस्थान के रेरा चेयरमैन, रेरा मेंबर और रजिस्ट्रार, आदि शामिल हैं। बाल्दी खुद राजस्थान के रहने वाले हैं, और बीते साल दिसंबर में ही रेरा चेयरमैन पद से रिटायर हुए हैं। वह पूर्व जयराम सरकार में मुख्य सचिव रह चुके हैं।
किसी अफसर को ऐसा नहीं करना चाहिए हिमाचल के रिटायर IAS अधिकारी दीपक सानन से बताया कि कायदे से किसी भी अफसर को ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसा करना गलत है। सरकारी पैसे से दोस्तों में सेब बांटना गलत है। अगर किसी ऐसे अधिकारी को सेब बांटा जा रहा है, जिससे स्टेट को फायदा होगा, ऐसे में आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
हिमाचल के रिटायर IAS दीपक सानन। – फाइल फोटो
गुडविल बनाने को बांटा जा सकता है रिटायर IAS तरुण श्रीधर ने बताया है कि हिमाचल में बांटने के लिए सेब, शॉल और टॉपी के अलावा कुछ नहीं है। हिमाचल के हितैषी लोगों जैसे प्लानिंग कमीशन व भारत सरकार में बैठे ऐसे अधिकारियों को सेब देना गलत नहीं है। उनसे राज्य को फायदा होगा। इससे गुडविल बनी रहती है। दोस्तों को अपनी जेब से बांटने चाहिए।
सरकारी खजाने पर बोझ डालना उचित नहीं वहीं, शिमला के वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा कहते हैं कि यदि किसी मित्र को सेब बांटने हैं तो अफसरों को अपनी जेब से बांटने चाहिए। सरकारी खजाने पर इसका बोझ डालना उचित नहीं है।
हिमाचल पर 95 हजार करोड़ का कर्ज बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर इस वक्त 95 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज चढ़ चुका है। राज्य के अपनी आय के साधन सीमित हैं और खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। इसी माहौल के बीच IAS की ओर से सरकारी कोष से सेब वितरण का मामला गर्म हुआ है।