हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच लोक निर्माण विभाग (PWD) के ठेकेदारों की पेमेंट में होल्ड लगा दिया गया है। 21 नवंबर के बाद से ठेकेदारों की पेमेंट नहीं की जा रही। इससे ठेकेदारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेजरी में ठेकेदारों के बिल फं
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ठेकेदार अपने इंजीनियर, कर्मचारियों और मजदूरों की मजदूरी का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। कुछ ठेकेदार अब काम बंद करने की तैयारी में है, क्योंकि PWD से बिल क्लियर होने के बावजूद ट्रेजरी से ठेकेदारों की पेमेंट का भुगतान नहीं हो रहा।
हिमाचल के PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह
बताया जा रहा है कि PWD ने ठेकेदारों की 820 करोड़ से ज्यादा की पेमेंट का भुगतान करना है। ‘ए’ कैटेगरी के कई ठेकेदार ऐसे भी बताए जा रहे हैं जिनकी 50 लाख से ज्यादा की पेमेंट पेंडिंग पड़ी है। ठेकेदार बार बार PWD इंजीनियरों के पास जाकर पेमेंट की मांग कर रहे हैं। मगर पेमेंट नहीं दी जा रही। इसे लेकर ठेकेदार PWD मंत्री से भी मिल चुके हैं।
प्रदेश में लगभग 5000 ठेकेदार पंजीकृत है। इनके परिवार समेत कर्मचारियों और मजदूरों समेत हजारों परिवारों की रोजी इन पर निर्भर करती है।
काम बंद करने को मजबूर हो रहे ठेकेदार: संदीप
हिमाचल प्रदेश कॉट्रेक्टर एसोसिएशन के महासचिव संदीप चंदेल ने बताया कि ट्रेजरी से पेमेंट में होल्ड की वजह से स्टाफ व मजदूरों की पेमेंट नहीं दे पा रहे। अब काम बंद करने की नौबत आ गई है। 21 नवंबर के बाद पेमेंट नहीं हो रही। 10-15 हजार की पेमेंट कुछ ठेकेदार को जरूर हुई है। मगर बड़ी पेमेंट नहीं दी जा रही।
हिमाचल कॉट्रेक्टर एसोसिएशन के महासचिव संदीप चंदेल
उन्होंने बताया कि यदि जल्द पेमेंट नहीं दी गई तो आने वाले दिनों में काम बंद करने पड़ेंगे। ऐसे में यदि ठेकेदार काम बंद कर देते हैं, तो इसका असर विकास कार्य पर भी पड़ेगा, क्योंकि प्रदेश में लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, बिजली बोर्ड समेत कई विभागों के ज्यादातर काम अब ठेकेदारों के माध्यम से करवाए जा रहे हैं।
PWD महकमा बिल बनाकर ट्रेजरी को भेज रहा: ENC
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता (ENC) एनपी सिंह ने बताया कि विभाग ठेकेदारों की पेमेंट के बिल बनाकर ट्रेज़री को भेज रहा है। विभाग के स्तर पर किसी के बिल नहीं रोके जा रहे हैं।
इस वजह से मुश्किल में सरकार
बता दें कि हिमाचल सरकार पर 95 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। लगभग 9000 करोड़ रुपए की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इसके विपरीत केंद्र से मिलने वाली मदद हर साल कम हो रही है।
राज्य सरकार की कर्ज लेने की सीमा को भी केंद्र सरकार ने कम कर दिया है। रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट हर साल कम की जा रही है। GST प्रतिपूर्ति राशि के तौर पर हर साल मिलने वाले लगभग 3000 करोड़ भी बंद कर दिए है। इससे राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। अपनी आय का ज्यादातर हिस्सा कर्मचारियों व पेंशनर की सैलरी-पेंशन पर खर्च हो रहा है।