हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस हाईकमान 11 महीने से नया अध्यक्ष और संगठन नहीं बना पाया। कांग्रेस के सीनियर नेता इसका ठीकरा पार्टी हाईकमान पर फोड़ रहे हैं।
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‘दैनिक भास्कर एप’ से खास बातचीत में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विप्लव ठाकुर ने कहा- संगठन के बगैर कांग्रेस डेडवुड हो गई है। कहने को तो कांग्रेस है लेकिन इसकी शाखाएं सूख चुकी है।
हिमाचल में कांग्रेस से छह बार की विधायक एवं पूर्व मंत्री आशा कुमारी ने भी हाईकमान को खूब खरी खोटी सुनाई। उन्होंने कहा- प्रदेश में संगठन कहां रह गया है?
संगठन बनाने में जितनी देरी हो रही है, नुकसान उतना अधिक हो रहा है। पार्टी वर्कर मायूस हैं। किसी को कहीं सुनवाई नहीं हो रही। हाईकमान फिर भी गंभीर नजर नहीं आ रहा।

संगठन न होने से क्या-क्या परेशानियां आ रही?
- चुनाव सिर पर हैं: प्रदेश में जल्द ही पंचायत और नगर निकाय चुनाव होने हैं। इन चुनावों की तैयारी के लिए पार्टी को एक मजबूत और सक्रिय संगठन चाहिए, ताकि जमीनी स्तर पर चुनाव लड़ा जा सके। पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा: 11 महीने से संगठन नहीं होने की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है। वे खुद को अनसुना महसूस कर रहे हैं और पार्टी की गतिविधियों में उनकी भागीदारी कम हो गई है।
- पार्टी की गतिविधियां ठप: प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में सन्नाटा पसरा है। ना कोई नियमित बैठक हो रही, ना ही कोई जनसंपर्क कार्यक्रम। संगठन के बिना पार्टी जमीनी स्तर पर पूरी तरह निष्क्रिय हो गई है।
- हाईकमान के निर्देश लागू नहीं हो रहे: पार्टी हाईकमान की तरफ से जो अभियान या कार्यक्रम भेजे जा रहे हैं, वे ग्राउंड तक नहीं पहुंच पा रहे। हिमाचल में “वोट चोर” जैसे अभियान सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गए हैं।
- सरकार-संगठन में तालमेल की कमी: प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन संगठन के बिना सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच कोई सेतु नहीं है। इससे निर्णयों और नीतियों को जमीनी समर्थन नहीं मिल पा रहा।

पंचायत-निकाय चुनाव को ध्यान में रखा जाए: ठाकुर पूर्व मंत्री ठाकुर रामलाल ने कहा- संगठन बनाने में बहुत देरी हो गई है। आगामी पंचायत और निकाय चुनाव को देखते हुए हाईकमान को जल्दी संगठन बना देना चाहिए। इनसे पहले मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री चंद्र कुमार भी संगठन को पैरालाइज्ड बोल चुके हैं। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी कई बार संगठन जल्दी बनाने की मांग कर चुकी है। सीएम सुक्खू, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और दूसरे कांग्रेस नेता भी जल्दी संगठन बनाने का आग्रह कर चुके हैं।

अब पढ़ें.. संगठन भंग करने से लेकर बनाने तक की प्रक्रिया..
- खड़गे ने भंग किया पूरा संगठन: राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीते साल 6 नवंबर को हिमाचल कांग्रेस की राज्य, जिला, ब्लॉक कार्यकारिणी और महिला कांग्रेस कमेटी को भी भंग कर दिया। तब से लेकर प्रदेश में इकलौती पदाधिकारी एवं प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह बची है।
- दिल्ली से ऑब्जर्वर हिमाचल भेजे: हाईकमान ने सभी कार्यकारिणी भंग करने के बाद दिल्ली से ऑब्जर्वर हिमाचल भेजे। इन्हें ग्राउंड लेवल पर जाकर नया अध्यक्ष और संगठन बनाने के लिए रिपोर्ट देने को बोला गया। हाईकमान द्वारा भेजे ऑब्जर्वर ने ब्लॉक स्तर पर पहुंचकर पार्टी वर्कर से बात की और अपनी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रभारी राजीव शुक्ला को सौंपी। इसके बाद, राजीव शुक्ला की जगह रजनी पाटिल को हिमाचल कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया।
- रजनी पाटिल ने हिमाचल का दौरा किया: रजनी पाटिल ने प्रभारी बनने के बाद दो-तीन बार हिमाचल आई। उन्होंने भी कांग्रेस के बड़े नेताओं से संगठन को लेकर कई बार बात की। प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को कई बार दिल्ली बुलाकर नए संगठन और नए अध्यक्ष को लेकर फीडबैक लिया गया।
- कैबिनेट मंत्रियों को दिल्ली बुलाकर फीडबैक लिया: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा हिमाचल में तैनात सह प्रभारी विदित चौधरी और चेतन चौहान ने भी कई बार हिमाचल के नेताओं से अध्यक्ष और संगठन को लेकर फीडबैक लिया। यही नहीं सीएम सुखविंदर सुक्खू, प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री और कई कैबिनेट मंत्रियों को दिल्ली बुलाकर भी संगठन को लेकर फीडबैक लिया गया।
- राहुल-खड़गे भी फीडबैक ले चुके: राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी दिल्ली में इससे जुड़ी बैठक ले चुके है। फिर भी संगठन नहीं बन पाया। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में हाईकमान के प्रति रोष पनप रहा है।

हिमाचल में बीते दिनों कांग्रेस संगठन पर मंथन को पहुंची पार्टी प्रभारी रजनी पाटिल का स्वागत करते हुए प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह। (फाइल फोटो)
पार्टी वर्कर चिंतित क्यों? प्रदेश में डेढ़ से दो महीने बाद कभी भी पंचायत व नगर निकाय चुनाव का बिगुल बज सकता है। नगर निगम के इलेक्शन पार्टी चिन्ह पर होते हैं। ऐसे में कांग्रेस नेता संगठन नहीं होने से चिंतित है। धरातल पर पार्टी की सभी गतिविधियां बंद पड़ी है। कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में 11 महीने से सन्नाटा पसरा है। पार्टी वर्कर इससे मायूस है।
हाईकमान के कार्यक्रम ग्राउंड तक नहीं पहुंच रहे पार्टी हाईकमान के कार्यक्रम का हिमाचल में पालन नहीं हो रहा। कांग्रेस ने देश के कई राज्यों में वोट चोर अभियान को घर-घर व गांव-गांव पहुंचाया। मगर हिमाचल में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद इस अभियान के तहत कांग्रेस मुख्यालय में केवल एक दिन चंद लोगों ने कुछ देर को धरना देकर औपचारिकता पूरी की।