रांची की ट्रैफिक व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए दाखिल जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि रांची शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया
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मेन रोड में सर्जना चौक से सुजाता चौक तक दोपहिया वाहन चालक बगैर हेलमेट और ट्रिपल राइडिंग करते हुए बेखौफ चलते हैं। ऐसे लोगों से ट्रैफिक पुलिस भारी जुर्माना वसूले। जब उनकी जेब पर भार पड़ेगा, तब वे ट्रैफिक नियमों का पालन करना सीखेंगे। ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए पुलिस को लगातार एक माह तक चेकिंग अभियान चलाने की जरूरत है।
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि रांची में ट्रैफिक को लेकर लॉन्ग टर्म प्लान लेकर आएं। वहीं, ट्रैफिक एसपी को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए इसकी रिपोर्ट अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।
सरकार से पूछा- जाम की इतनी समस्या, तो कैसे ऑटो व ई-रिक्शा को परमिट दिया जा रहा
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि जब रांची में ट्रैफिक जाम की इतनी बड़ी समस्या है, तो कैसे ऑटो और ई-रिक्शा को चलने के लिए परमिट दिया जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि जो ई-रिक्शा वाले निर्धारित परमिट के अनुसार नहीं चल रहे हैं, उनसे भारी जुर्माना वसूलें।
रांची शहर में एक हजार से अधिक अवैध ई-रिक्शा चल रहे हैं। सरकार की ओर से बताया गया कि अवैध रूप से चलने वाले 443 ई-रिक्शा को जब्त किया गया है। कोर्ट ने कहा कि इससे काम नहीं चलेगा। नियम विरुद्ध चलने वाले ई-रिक्शा और ऑटो पर हर हाल में कार्रवाई करें।
ई-रिक्शा और ऑटो चालकों का तय करें ड्रेस कोड : हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 में बिरसा चौक पर ऑटो से महिला की हुई मौत मामले में दाखिल शिव शंकर शर्मा की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि ई-रिक्शा वाले आठ से दस यात्रियों को बैठा कर लापरवाही से वाहन चला रहे हैं। इससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। कई ई-रिक्शा वाले हाफ पैंट में गाड़ी चलाते देखे गए हैं। कोर्ट ने परिवहन विभाग व ट्रैफिक एसपी को चालकों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने के लिए कहा।
रिम्स में वीआईपी कल्चर से जमीन पर मरीजों का हो रहा है इलाज
आज स्वास्थ्य सचिव और झारखंड बिल्डिंग कॉर्पोरेशन के एमडी को पेश होने का निर्देश
रिम्स में बुनियादी सुविधाओं को लेकर दाखिल ज्योति शर्मा की जनहित याचिका पर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान रिम्स में फैली अव्यवस्था पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि रिम्स में वीआईपी कल्चर हावी है। सामान्य मरीजों का इलाज बेड के अभाव में जमीन पर होता है। वीआईपी मरीजों के लिए ट्रीटमेंट की अलग व्यवस्था होती है।
ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग रिम्स को चलाने में दिलचस्पी नहीं ले रहा। मशीनें खराब पड़ी हैं। ऐसे में रिम्स को बंद कर देना चाहिए। रिम्स में नन प्रैक्टिसिंग अलाउंस लेने के बाद भी कई चिकित्सक प्राइवेट नर्सिंग होम व अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं, यह दुर्भाग्य की बात है। कोर्ट ने व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव व झारखंड बिल्डिंग कॉर्पोरेशन के एमडी को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया।
निदेशक बोले-ब्यूरोक्रेट्स की दखलअंदाजी से रिम्स को बेहतर बनाना है बड़ी चुनौती
मामले की सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक कोर्ट में हाजिर हुए। उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया कि ब्यूरोक्रेट्स की दखलअंदाजी की वजह से रिम्स को बेहतर बनाना बड़ी चुनौती बन गई है। उनकी ओर से बताया गया कि रिम्स गर्वनिंग बॉडी की बैठक की साल में एक-दो बार ही होती है। ऐसे में बड़ा फैसला करना संभव नहीं होता।