High court Stay Chhattisgarh Constable Recruitment | छत्तीसगढ़ आरक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट की रोक: जस्टिस बोले- नियमों में बदलाव कैसे? पुलिसकर्मियों के बच्चों को फिजिकल में मिली थी छूट – Chhattisgarh News

छत्तीसगढ़ में आरक्षक संवर्ग 2023-24 के पदों पर होने वाली भर्तियों पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। पुलिसकर्मियों के बच्चों को फिजिकल में छूट मिली थी। इसके खिलाफ याचिका लगी थी। छत्तीसगढ़ में कॉन्स्टेबल के 5,967 पदों पर भर्ती निकली है।

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इसके लिए 16 नवंबर से भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। सुनवाई के दौरान, जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने कहा कि, पुलिसकर्मियों को लाभ देने नियमों में बदलाव कैसे हो सकता है। लाभ सभी को मिलना चाहिए।

मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच में हुई।

मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच में हुई।

फिजिकल टेस्ट में थी छूट

दरअसल, विज्ञापन जारी होने और फॉर्म भरने के बाद DG पुलिस ने सचिव को पत्र लिखा। पत्र में नियुक्ति प्रक्रिया में पुलिस विभाग में कार्यरत और EX SERVICEMEN कर्मचारियों के बच्चों को छूट देने का जिक्र था।

पत्र में सुझाव दिया गया कि, भर्ती नियम 2007 कंडिका 9(5) के तहत भर्ती प्रक्रिया के मापदंडों को शिथिल किया जा सकता है। इसमें फिजिकल टेस्ट के दौरान सीने की चौड़ाई और ऊंचाई जैसे कुल 9 पॉइंट्स में शामिल थे।

अवर सचिव ने इस सुझाव को स्वीकार भी कर लिया। इससे आहत होकर याचिकाकर्ता बेदराम टंडन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। याचिकाकर्ता के बेटे ने राजनांदगांव में कॉन्स्टेबल जनरल ड्यूटी के लिए आवेदन दिया है।

छूट देना आम नागरिकों में भेदभाव

इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि, केवल अपने विभाग के कर्मचारियों को छूट देना आम नागरिकों के साथ भेदभाव है। ऐसे में इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। मामले में वकील की ओर से पेश किए गए दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने भर्तियों पर रोक लगा दी है।

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि, क्योंकि नियमों को शिथिल करने का लाभ सभी पदों पर मिलता, इसलिए सभी पदों पर होने वाली भर्ती पर रोक लगा दी गई है।

छत्तीसगढ़ में कॉन्स्टेबल के 5,967 पदों पर भर्ती निकली थी।

छत्तीसगढ़ में कॉन्स्टेबल के 5,967 पदों पर भर्ती निकली थी।

राज्य शासन की तर्क पर हाईकोर्ट की आपत्ति

राज्य शासन ने कहा कि, 2007 में नियम बनाया गया है कि पुलिस कर्मियों के परिवार के लोगों को भर्ती में छूट का प्रावधान है। इस पर हाईकोर्ट ने आपत्ति करते हुए कहा कि, नियम के तहत डीजीपी को अधिकार दिया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो मनमाना छूट देंगे।

ऐसे रूल बनाना पद का दुरुपयोग

हाईकोर्ट ने कहा कि, छूट देने का नियम है इसका मतलब यह नहीं कि DGP कमेटी बनाकर ऐसा करे। नियम का लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिलना चाहिए। ऐसा नहीं है कि SP और TI के बेटे-बेटियों को ही भर्ती में प्राथमिकता दी जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस अपने फायदे के लिए रूल बना लें, यह पद का दुरुपयोग है।

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