पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के डीजीपी सुरेंद्र सिंह यादव को वकील नीरज हंस की मौत के मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता और सिस्टम में भरोसा बनाए रखने के लिए एसआईटी की जरूरत है। अद
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हाईकोर्ट द्वारा कहा गया कि वकील नीरज हंस की मौत मामले की जांच 4 माह में पूरी कर रिपोर्ट पेश करे और जांच के दौरान डीजीपी खुद मामले की निगरानी करे और जांच पूरी तरह से निष्पक्ष हो।

मृतक वकील नीरज हंस का फाइल फोटो।
सहकर्मी को बचाने की कोशिश में गई जान
अक्टूबर 2024 में जिला अदालत परिसर में एडवोकेट नीरज हंस पर उनके साथी वकीलों ने हमला कर दिया था। आरोप है कि हंस अपनी एक सहकर्मी को बचाने की कोशिश कर रहे थे, जिसके खिलाफ आरोपियों ने जातिवादी टिप्पणी की और बदसलूकी करने की कोशिश की। जब हंस ने इसका विरोध किया तो तीनों आरोपी, जो खुद भी वकील थे, ने उन पर हमला कर दिया। घायल हालत में हंस को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
पुलिस जांच पर सवाल
मृतक वकील के भाई हरदीप हंस की याचिका पर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया। याचिका में कहा गया कि एफआईआर दर्ज होने के बावजूद चंडीगढ़ पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि एक आरोपी, जो चंडीगढ़ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का रिश्तेदार बताया जा रहा है, उसकी गिरफ्तारी तक नहीं हुई।
याचिकाकर्ता के वकील गौरव दत्ता ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने शिकायतों को नजरअंदाज किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया कि वे एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की अगुवाई में एसआईटी बनाएं, जो तीनों एफआईआर की जांच करेगी और चार महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करेगी।
3 एफआईआर दर्ज
नीरज हंस की मौत के बाद पुलिस ने 3 एफआईआर दर्ज की हैं। पहली एफआईआर मृतक के भाई की शिकायत पर दर्ज की गई, जिसमें 3 वकीलों पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है। दूसरी महिला वकील और उसके सहकर्मी पर एक अन्य वकील की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज हुआ है। तीसरी महिला वकील की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिसमें एक अन्य वकील पर भारतीय दंड संहिता की धारा 74 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप है।