बेरूत1 घंटे पहले
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पिछले साल इजराइल के हमले में मारे गए हिजबुल्लाह के पूर्व चीफ हसन नसरल्लाह को दूसरी बार 23 फरवरी को दफन किया जाएगा। नसरल्लाह को इजराइल ने 27 सितंबर को लेबनान की राजधानी बेरूत में हवाई हमले मे मार गिराया था।
हसन का अंतिम संस्कार सार्वजनिक तौर पर किया जाएगा। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक इससे पहले हसन को ईरान में सीक्रेट जगह में दफनाया गया था। इस दौरान ईरान के सुप्रीम लीडर उन्हें विदाई नमाज भी पढ़ी थी।
टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक हिजबुल्लाह को मौजूदा चीफ नईम कासिम ने टीवी पर दिए एक भाषण में तारीख की जानकारी दी। कासिम ने सुरक्षा हालात का हवाला देते हुए महीनों तक नसरल्लाह के अंतिम संस्कार नही होने की बात की।
नईम कासिम को नसरल्लाह की मौत के बाद हिजबुल्लाह का नया चीफ बनाया गया है।
बम धमाके के झटके से हुई थी नसरल्लाह की मौत
टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल ने नसरल्लाह को मारने के लिए 80 टन के बम का इस्तेमाल किया था। इजराइल के हमले के 20 घंटे बाद नसरल्लाह की डेड बॉडी को निकाला गया था।
उसके शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नहीं थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक नसरल्लाह की मौत बम धमाके के झटके से हुई थी। मौत के पीछे तेज धमाके से हुए ट्रॉमा को वजह माना गया था।
NYT की रिपोर्ट के मुताबिक नसरल्लाह को मारने के लिए इजराइल ने 8 लड़ाकू विमान भेजे थे। इनके जरिए हिजबुल्लाह के हेडक्वार्टर पर 2 हजार पाउंड के 15 बम गिराए गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये अमेरिका में बने BLU-109 बम थे, जिन्हें बंकर बस्टर भी कहा जाता है। ये लोकेशन पर अंडरग्राउंड तक घुसकर विस्फोट करने में सक्षम होते हैं।
फुटेज हिजबुल्लाह के हेडक्वार्टर पर हमले का है।
सब्जी बेचने वाले के घर में नसरल्लाह का जन्म हुआ
हसन नसरल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को एक गरीब शिया परिवार में हुआ था। वह 9 भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। उसके पिता लेबनान की राजधानी बेरूत के शारशाबुक इलाके में रहते थे। वे फल-सब्जी बेचकर परिवार का गुजर-बसर करते थे।
नसरल्लाह की शुरुआती पढ़ाई बेरूत में एक ईसाई इलाके में हुई। वह बचपन से ही धार्मिक चीजों में दिलचस्पी लेता था। वह ईरान के इमाम सैयद मूसा सदर से बेहद प्रभावित था।
सद्र ने 1974 में लेबनान के शिया समुदाय को ताकतवर बनाने के लिए एक आंदोलन की शुरुआत की। लेबनान में इसे ‘अमल’ नाम से जाना गया।
दरअसल, 1974 आते-आते लेबनान में गृह युद्ध छिड़ गया था। शिया, सुन्नी और ईसाई सत्ता में हिस्सेदारी के लिए आपस में झगड़ने लगे थे। ऐसे में अमल को शियाओं के अधिकारों की अगुवाई करने के लिए जाना गया।
15 साल की उम्र से ही इजराइल से लड़ना शुरू किया
लेबनान में गृह युद्ध छिड़ने के बाद सद्र ने दक्षिणी लेबनान को इजराइल की घुसपैठ से बचाने के लिए अमल के आर्म्ड विंग की शुरुआत की। तब 15 साल के नसरल्लाह ने भी अमल जॉइन कर लिया।
जब गृह युद्ध उग्र हुआ तो नसरल्लाह का परिवार अपने पैतृक गांव बजौरीह चला गया। यहां पर नसरल्लाह को कुछ लोगों ने आगे पढ़ने की सलाह दी। इसके बाद दिसंबर 1976 में वह इस्लाम की पढ़ाई के लिए इराक के नजफ शहर चला गया।
वहां उसकी मुलाकात लेबनानी स्कॉलर सैयद अब्बास मुसावी से हुई। मुसावी की गिनती कभी लेबनान में मूसा सदर के शागिर्दों में होती थी। वह ईरान के क्रांतिकारी नेता आयातुल्लाह खुमैनी से काफी प्रभावित थे।
नसरल्लाह को नजफ में रहते हुए 2 साल ही हुए थे कि सद्दाम हुसैन ने लेबनानी शिया छात्रों को इराकी मदरसों से निकालने का आदेश दे दिया। 1978 में ईराक में शिया और सुन्नी के बीच संघर्ष बढ़ गया था, इसके बाद नसरल्लाह और अब्बास मुसावी वापस लेबनान आ गए।
22 साल की उम्र में हिजबुल्लाह बनाया, इजराइल के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध शुरू किया
लेबनान लौटने के बाद नसरल्लाह और मुसावी ने लेबनान के गृह युद्ध में हिस्सा लिया। नसरल्लाह अब्बास मुसावी के पैतृक शहर गया जहां की अधिकतर आबादी शिया थी।
इस वक्त तक नसरल्लाह और लेबनान के शिया संगठन ‘अमल’ के बीच मतभेद बढ़ने लगे थे। नसरल्लाह का मानना था कि अमल को इजराइल के खिलाफ काम करने तक सीमित रहना चाहिए। जबकि उस वक्त अमल का नेतृत्व कर रहे नबीह बेरी का मानना था कि उन्हें लेबनान की राजनीति में शामिल होना चाहिए।
हसन नसरल्लाह की लेबनान वापसी के एक साल बाद 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई और रूहुल्लाह खुमैनी को सत्ता मिली। इससे लेबनान के शिया समुदाय को ईरान का समर्थन मिला।
हसन नसरल्लाह ने बाद में तेहरान में ईरान के उस समय के नेताओं से मुलाकात की और खुमैनी ने उसे लेबनान में अपना प्रतिनिधि बना दिया।
इसके बाद मुसावी और नसरल्लाह ने 1982 में हिजबुल्लाह का गठन किया। तब नसरल्लाह की उम्र सिर्फ 22 साल थी। इस संगठन को ईरान का समर्थन मिला। BBC के मुताबिक ईरान ने अपने 1500 इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड लेबनान भेजे।
इसके बाद हिजबुल्लाह ने लेबनान के दक्षिणी हिस्से पर कब्जा कर रखे इजराइल के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध शुरू कर दिया। हिजबुल्लाह के पास अपनी कोई सेना नहीं थी। उसके लड़ाके इजराइली सैनिकों पर छुपकर हमले करते थे। सैन्य अड्डों पर हमला करने के अलावा हिजबुल्लाह ने फिदायीन हमले भी शुरू किए।
हिजबुल्लाह ने इजराइल को लेबनान से खदेड़ा
नवंबर 1982 में लेबनान के टायर शहर में इजराइल के मिलिट्री हेडक्वार्टर पर आत्मघाती हमला हुआ। ये हमला हिजबुल्लाह ने किया था। इसमें 75 इजराइली और 20 अन्य की मौत हुई, जिनमें से ज्यादातर कैदी थे। हिजबुल्लाह यहीं नहीं रुका। अप्रैल 1983 में लेबनान में अमेरिकी दूतावास पर बम धमाका हुआ। इसमें 17 अमेरिकी और 30 लेबनानी नागरिकों की मौत हो गई।
अमेरिकी दूतावास को शिफ्ट किया गया और करीब 1 साल बाद इसकी नई लोकेशन पर भी हमला हुआ। इस बीच बेरूत में अमेरिका के मरीन बैरक और फ्रांसीसी सैन्य अड्डों पर भी हमले हुए, जिनमें 300 से ज्यादा सैनिक मारे गए। हिजबुल्लाह ने हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन उसने इनका समर्थन किया।
लगातार हमलों की वजह से इजराइली सेना 1985 तक साउथ लेबनान के ज्यादातर हिस्से से पीछे हट गई। हालांकि उसने सीमा के पास कई इलाकों पर कब्जा बनाए रखा। हिजबुल्लाह ने लेबनान में सिक्योरिटी जोन बनाने के नाम पर इजराइली ठिकानों पर हमला जारी रखा।
उसी साल लेबनान में शिया ग्रुप के लड़ाके सैन डियागो जा रही TWA फ्लाइट 847 को हाईजैक कर बेरूत ले आए। इस दौरान एक यात्री को मार दिया गया, जबकि बाकी 152 लोगों की रिहाई के बदले इजराइल को 700 लेबनानी-फिलिस्तीनी कैदियों को आजाद करना पड़ा। हिजबुल्लाह ने एक बार फिर प्लेन हाईजैक की जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन उसने इसका समर्थन किया।
लगातार हमलों की वजह से इजराइली सेना को 1985 तक साउथ लेबनान के ज्यादातर हिस्सों से पीछे हटना पड़ा। नसरल्लाह इस वक्त हिजबुल्लाह में नंबर 2 की पोजिशन पर था।
1992 में हिजबुल्लाह की कमान संभाली, राजनीति से भी जुड़ा
फरवरी 1992 में इजराइल के हवाई हमले में हिजबुल्लाह के चीफ मुसावी की मौत हो गई। इसके बाद नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह की कमान संभाली। नसरल्लाह की लीडरशिप में हिजबुल्लाह ने लंबी दूरी तक हमले करने में माहिर रॉकेट हासिल किए, जिससे इजराइल पर हमला करना आसान हो गया।
नसरल्लाह के हिजबुल्लाह की कमान संभलाने तक लेबनान में गृह युद्ध खत्म हो चुका था। इसी साल नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने पहली बार संसदीय चुनाव लड़ा और 12 सीटें जीतीं। इसी के साथ ये संगठन लेबनान में राजनीतिक रूप से भी एक्टिव हो गया।
नसरल्लाह ने लेबनान की राजनीति में अपने पैर जमाने के लिए देश में हिजबुल्लाह की छवि बनाने का काम शुरू किया। उसे देश के सबसे बड़े शिया समुदाय का साथ मिला। नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह के नाम पर सामाजिक कल्याण से जुड़े ऐसे कई काम किए, जिसे लेबनान की सरकार नहीं कर पाई थी।