Hemant’s 5 ministers and wife Kalpana Soren are behind | हेमंत के 4 मंत्री और पत्नी कल्पना सोरेन पीछे: कोड़ा की पत्नी पीछे, पूर्व सीएम चंपाई सोरेन आगे, बेटा पीछे; 20 सीटों का रुझान – Ranchi News

झारखंड में दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को चुनाव हुआ था। शनिवार शाम 5 बजे तक सरकार के बनने का सीन क्लियर हो जाएगा।

झारखंड विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझान में हेमंत सरकार के 4 मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, बन्ना गुप्ता, बैजनाथ राम और मिथिलेश ठाकुर पीछे चल रहे हैं। सीएम की पत्नी कल्पना सोरेन भी गांडेय सीट से पीछे चल रही है। वहीं, भाजपा प्रदेश अ

.

हेमंत सरकार के सभी मंत्री मैदान में हैं। कांग्रेस और झामुमो ने किसी का टिकट नहीं काटा है। चतरा सीट पर रिजर्व कैटेगरी से बाहर होने के कारण मंत्री सत्यानंद भोक्ता चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनकी जगह राजद ने भोक्ता की बहू रश्मि प्रकाश को मैदान में उतारा है। वो भी अभी पीछे चल रही हैं।

बरहेटः पहले राउंड में CM हेमंत को बढ़त

साहिबगंज जिले की बरहेट सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने भाजपा के गमालियल हेंब्रम हैं। रुझान में हेमंत सोरेन ने बढ़त बना ली है।

यहां 20 राउंड में वोटों की गिनती होगी। 14 टेबल बनाए गए हैं। दोपहर 3 बजे के बाद फाइनल रिजल्ट आने का अनुमान है। यहां 69.50% वोटिंग हुई है, जो 2019 से एक फीसदी कम है।

अनुसूचित जनजाति यानी ST के लिए रिजर्व सीट। यहां पर आदिवासी वोटर अधिक है। दो बार से CM हेमंत सोरेन विधायक हैं। इस सीट पर 1990 के बाद से JMM चुनाव नहीं हारा है।

वहीं, भाजपा ने गमालियल हेंब्रम पर दांव खेला है। हेंब्रम पिछली बार यानी 2019 में आजसू के टिकट पर चुनाव लड़े थे। जमानत जब्त हो गई थी। वह टीचर की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं।

गांडेय में सीएम की पत्नी पीछे

गिरिडीह जिले की गांडेय सीट से सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन रुझान में पीछे हो गई हैं। उनका मुकाबला भाजपा की मुनिया देवी से है। दो राउंड में 12000 वोटों से पीछे हैं।

यहां 21 राउंड में वोटों की गिनती होगी। 18 टेबल पर काउंटिंग हो रही है। देर शाम तक फाइनल रिजल्ट आने का अनुमान है। इस बार 73.36% वोटिंग हुई है।

गांडेय सीट JMM का गढ़ रही है। यहां से उसे 6 बार जीत मिली है। JMM का कोर वोट बैंक आदिवासी हैं, जो करीब 20% हैं। 26% मुस्लिम वोटर्स का झुकाव भी उसी की तरफ है।

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद JMM ने गांडेय सीट पर 2 बार विधानसभा चुनाव और एक बार उपचुनाव जीता है। BJP सिर्फ एक बार 2014 में जीती थी। इस सीट से सबसे ज्यादा 4 बार JMM नेता सालखन सोरेन विधायक रहे हैं। सालखन सोरेन के निधन के बाद पार्टी ने कांग्रेस से आए सरफराज अहमद को उम्मीदवार बनाया और 2019 के चुनाव में वे गांडेय से विधायक बन गए।

सरफराज को राज्यसभा भेजे जाने के बाद जून 2024 में उपचुनाव हुए। कल्पना सोरेन BJP के दिलीप कुमार वर्मा को 27,149 वोटों से हराकर पहली बार विधायक बनीं।

धनवार में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मरांडी आगे

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी धनवार सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। शुरुआती रुझान में आगे हो गए हैं। उनका मुकाबला भाकपा माले के राजकुमार यादव और झामुमो के निजामुद्दीन अंसारी के साथ है। मरांडी त्रिकोणीय संघर्ष में हैं।

हालांकि, वोटिंग से 4 दिन पहले 16 नवंबर को निर्दलीय निरंजन राय के समर्थन देने से मरांडी का दावा मजबूत हुआ है। 21 राउंड में वोटों की गिनती होगी। देर शाम तक रिजल्ट आने का आनुमान है।

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद गिरिडीह जिले की इस सीट पर भाजपा-जेवीएम का कब्जा रहा है। 2000 और 2005 में भाजपा के रवींद्र राय ने भाजपा की झोली में यह सीट डाली। 2009 में झाविमो के निजामुद्दीन अंसारी झाविमो के सिंबल पर जीते।

2014 में भाकपा माले के राजकुमार यादव ने जीत हासिल की थी। वर्तमान में बाबूलाल मरांडी यहां के विधायक हैं। वे जीते तो झाविमो के सिंबल पर थे, पर बाद में अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया। फिर अध्यक्ष भी बने।

चंदनकियारी में फंसे अमर बाउरी, 7 राउंड में पीछे

बोकारो जिले के सुरक्षित सीट चंदनकियारी से भाजपा प्रत्याशी अमर बाउरी पिछड़ते दिख रहे हैं। उनका मुकाबला पूर्व मंत्री उमाकांत रजक के साथ है। रजक चुनाव से पहले ही आजसू छोड़कर झामुमो में शामिल हुए हैं।

यहां इस बार 74.25% वोटिंग हुई है। रिजल्ट देर शाम तक आने की संभावना है। कुल 22 राउंड वोटों की गिनती होगी।

अमर बाउरी 2014 से लगातार विधायक हैं। 2019 में बाउरी का मुकाबला आजसू के उमाकांत रजक से था। उन्होंने करीब 9 हजार वोटों के अंतर से रजक को हराया था। 2014 में रजक को करीब 34 हजार वोटों के अंतर से मात दी थी। हालांकि, तब बाउरी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे।

इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को आखिरी दफा 2000 और 2005 में जीत मिली थी। दोनों मौकों पर जेएमएम के हारू रजवार जीते थे। 2009 और 2014 में वह तीसरे नंबर पर रहे थे।

सरायकेला में चंपाई सोरेन आगे

पूर्वी सिंहभूम जिले के सरायकेला विधानसभा सीट से पूर्व सीएम चंपाई सोरेन भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। उनके सामने भाजपा छोड़कर झामुमो में शामिल हुए गणेश महली हैं। दोनों पुराने प्रतिद्वंदी है। इस बार दोनों का सिंबल बदल गया है।

चंपाई सोरेन पहले राउंड में पीछे थे, लेकिन अब आगे हो गए हैं। 21 राउंड में वोटों की गिनती होगी। 7वें राउंड में वो 40826 वोट से आगे चल रहे हैं। शाम 4 बजे तक रिजल्ट आ सकता है। इस बार यहां 70% मतदान हुआ है।

झारखंड बनने के बाद 2005 से सरायकेला सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा रहा है। यहां से चंपाई सोरेन JMM के सिंबल पर लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। 2005 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ, तब चंपाई ने BJP के लक्ष्मण टुडू को 882 वोटों से हराया था।

2010 में दोनों फिर एक-दूसरे के सामने थे। तब चंपाई 3,246 वोटों से जीते थे। 2014 और 2019 में चंपाई ने BJP कैंडिडेट गणेश महली को हराया।

सरायकेला सीट पर JMM को जिताते आ रहे चंपाई अब BJP में हैं। JMM ने BJP के बागी नेता गणेश महली को चंपाई के खिलाफ टिकट दिया है। सरायकेला में सबसे ज्यादा वोटर्स आदिवासी कम्युनिटी के हैं। अब तक इनकी बड़ी आबादी JMM का साथ देती आई है। अब चंपाई के पाला बदलने के बाद यहां पेंच फंस गया है।

रांची में भाजपा के दिग्गज सीपी सिंह आगे

रांची से भाजपा के दिग्गज नेता सीपी सिंह झामुमो प्रत्याशी और राज्यसभा सांसद महुआ माजी से आगे हो गए हैं। पहले राउंड की गिनती के बाद सीपी सिंह 9000 वोटों से आगे हो गए हैं।

19 राउंड वोटों की गिनती होगी। दोपहर तीन बजे तक रिजल्ट आने की संभावना है। इस सीट पर पिछले 34 साल से भाजपा का कब्जा है।

2019 के चुनाव में भाजपा को यहां 79,522 वोट मिले थे। झामुमो की डॉ. महुआ माजी ने 73,569 वोट हासिल किया था। इस बार भी दोनों आमने-सामने हैं। 2014 में इस सीट पर भाजपा व झामुमो के बीच वोट का अंतर 58,863 था, जबकि 2019 में यह अंतर 5,904 वोटों का रह गया था।

1990 में भाजपा के गुलशन लाल आजमानी ने यहां जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1995 में भाजपा के टिकट पर यशवंत सिन्हा विधायक चुने गए। यशवंत ने बीच में ही इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए उपचुनाव में सीपी सिंह पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। इसके बाद से उनका कब्जा बरकरार है।

जमशेदपुर पश्चिम में सरयू राय आगे, मंत्री बन्ना गुप्ता पीछे

JDU प्रत्याशी और पूर्व मंत्री सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से आगे चल हैं। उनका मुकाबला मंत्री बन्ना गुप्ता से हैं। दोनों चौथी बार आमने-सामने हैं। इससे पहले तीन बार हुए चुनाव में दो बार राय और एक बार बन्ना गुप्ता ने जीत दर्ज की है।

पहले राउंड की गिनती के बाद राय 7888 वोटों से आगे चल रहे हैं। 22 राउंड वोटों की गिनती होनी है। सरयू राय ने निर्दलीय चुनाव लड़कर 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हरा दिया था।

जमशेदपुर पूर्व में रघुवर की बहू आगे, अजय कुमार पीछे

जमशेदपुर पूर्व से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू ने बढ़त बना ली है। पहले राउंड के बाद पूर्णिमा 8433 वोटों से आगे हो गईं है। कांग्रेस के अजय कुमार पीछे चल रहे हैं।

पूर्णिमा और अजय कुमार दोनों पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के बागी शिवशंकर सिंह भी मैदान में है। इस सीट पर रघुवर दास चुनाव जीतते रहे हैं। 2019 में सीएम रहते निर्दलीय सरयू राय से चुनाव हार गए थे। इसके बाद उनको भाजपा ने ओडिशा का राज्यपाल बना दिया है।

बताया जाता है कि वह इस बार भी चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन आम सहमति नहीं बनी। इसके बाद पार्टी ने उनकी जगह उनकी बहू को मैदान में उतार दिया।

पोटका में अर्जुन मुंडा की पत्नी आगे, JMM के संजीव सरदार पीछे

पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी और भाजपा उम्मीदवार मीरा मुंडा आगे हो गई हैं। उनका मुकाबला सीटिंग विधायक JMM के संजीव सरदार से है। 17 हजार वोटों से आगे हो गईं है।

इस सीट पर 50% आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका निर्णायक है। इनमें सरदार मतदाताओं की संख्या करीब 10%, मुस्लिम आबादी 6, सिंह 5.5, मुर्मू 5.1, सोरेन 3, टुडू 3, भगत 3, मंडल , हेम्ब्रम, महतो और मार्डी जाति की आबादी 3-3% शामिल है। आदिवासी समुदाय के भूमिज यानी सरदार समुदाय के उम्मीदवार ही अधिकतर बार जीते हैं।

इनमें सनातन सरदार, मेनका सरदार, हाड़ीराम सरदार, अमूल्यो सरदार के नाम शामिल हैं। यही कारण है कि जेएमएम ने संजीव सरदार को फिर से टिकट दिया है।

चाईबासा में मंत्री दीपक बिरुवा आगे, भाजपा की गीता पीछे

चाईबासा में मंत्री दीपक बिरुवा पहले राउंड में आगे हो गए हैं। उनका मुकाबला भाजपा की गीता बलमुचू से है। यहां से दीपक लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। चौथी बार मैदान में हैं। दीपक 16 हजार वोटों से आगे हैं।

भाजपा ने चाईबासा नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष गीता बलमुचू को टिकट दिया है। दीपक 2009 में बागुन सुंब्रई (कांग्रेस) को हरा कर पहली बार झामुमो के विधायक बने थे। दीपक ने 2014 और 2019 में भाजपा प्रत्याशी ज्योति भ्रमर तुबिद को हरा कर इस सीट पर कब्जा बनाए रखा और जीत की हैट्रिक भी लगाई।

जगन्नाथपुर में मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा पीछे

जगन्नाथपुर में मधु कोड़ा परिवार का प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा ने उनकी पत्नी गीता कोड़ा को मैदान में उतारा है। पहले राउंड में वो 4982 वोटों से पिछड़ गई हैं। उनके सामने कांग्रेस के सोनाराम सिंकू हैं। सिंकू कभी मधु कोड़ा के विश्वासपात्र हुआ करते थे। उनको 2019 में जीताने में कोड़ा परिवार ने काफी मेहनत की थी।

2000 के बाद से यहां पर मधु कोड़ा और उनके परिवार का दबदबा शुरू हो गया। इस समय यहां पर आखिरी बार बिहार विधानसभा के लिए चुनाव कराया गया। तब के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मधु कोड़ा ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, नए राज्य के गठन के बाद 2005 में हुए पहली बार विधानसभा चुनाव चुनाव में मधु कोड़ा, बीजेपी से अलग हो गए और निर्दलीय मैदान में उतरे।

2009 चुनाव में मधु कोड़ा के भ्रष्टाचार मामले में फंसने के बाद उनकी पत्नी गीता कोड़ा ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत की और जीत गईं। 2014 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर में भी गीता ने जय भारत समानता पार्टी (JBSP) के टिकट पर जीत हासिल किया। 2019 में कोड़ा परिवार से कोई चुनाव नहीं जीता।

घाटशिला में मंत्री रामदास सोरेन आगे, चंपाई के पुत्र पीछे

घाटशिला से JMM के रामदास सोरेन 8वें राउंड में 3237 वोटों से आगे हो गए हैं। उनके सामने भाजपा से पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के बेटा बाबूलाल सोरेन से है।

रामदास अब तक यहां के पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें दो बार वे विजयी हुए हैं। जबकि, बाबूलाल सोरेन पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

घाटशिला में हर बार चुनाव काफी रोचक होता है। यहां जीत हार का फासला पांच हजार से लेकर 8 हजार के बीच ही रहता है। पिछले चुनाव में भी रामदास सोरेन 7,724 मत से ही जीते हैं। इससे पूर्व के वर्षों में भी फासला इसी के आसपास ही रहता है। वर्ष 2009 में तो रामदास सोरेन महज 192 मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के प्रदीप कुमार बलमुचू को हराया था।

जामताड़ा में इरफान आगे, सीता सोरेन पीछे

जामताड़ा सीट से मंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी इरफान अंसारी आगे चल रहे हैं। उनके सामने भाजपा से सीता सोरेन हैं। वो JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं।

सीता सोरेन इस बार जामताड़ा के सामान्य सीट से चुनाव लड़ रही हैं। चूंकि ओडिशा की रहने वाली हैं। इसलिए वह रिजर्व सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। हालांकि इससे पहले वह एसटी के लिए सुरक्षित जामा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ती थीं और तीन बार जीत चुकी हैं।

2005 में भाजपा के टिकट पर विष्णु भैया चुनाव जीते थे। पर, 2009 में झामुमो में शामिल हो गए और दोबारा जीत हासिल की। 2014 से कांग्रेस के टिकट पर इरफान अंसारी लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।

गढ़वा में मंत्री मिथिलेश ठाकुर पीछे, भाजपा के सत्येंद्रनाथ तिवारी आगे

गढ़वा सीट से मंत्री और JMM प्रत्याशी मिथिलेश ठाकुर पीछे चल रहे हैं। वो त्रिकोणीय लड़ाई में फंस गए हैं। भाजपा के सत्येंद्रनाथ तिवारी आगे चल रहे हैं।

लगातार चौथी बार मिथिलेश ठाकुर, ​सत्येंद्रनाथ तिवारी व गिरिनाथ सिंह आमने-आमने हैं। 2005 तक राजद का गढ़ था। इसे राजद का गढ़ गिरिनाथ सिंह ने ही बनाया था। वे 1993 से 2005 तक लगातार राजद से जीतते रहे। उन्हें राजपूत, मुस्लिम, यादव और अनुसूचित जाति का साथ मिलता था।

बताया जाता है कि गिरिनाथ, तेजस्वी के भरोसे अंत-अंत तक रहे, पर ‘इंडिया’ ने यह सीट राजद को नहीं दिया। 2009 के चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के सत्येंद्रनाथ तिवारी ने राजद के गढ़ पर कब्जा किया। 2014 में तिवारी भाजपा से चुनाव लड़े, तब गिरिनाथ सिंह और मिथिलेश ठाकुर भी प्रत्याशी थे।

मिथिलेश गढ़वा में 2014 के अपने पहले चुनाव में गिरिनाथ सिंह से करीब 6 हजार वोट पीछे थे। 2019 में गठबंधन के तहत झामुमो ने यह सीट राजद से ले ली। लगभग 28 हजार के भारी अंतर से मिथिलेश ने भाजपा प्रत्याशी सत्येंद्रनाथ तिवारी को हरा दिया।

सिल्ली में पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो पीछे, JMM आगे

राज्य की हॉट सीटों में से एक सिल्ली पर आजसू प्रमुख सुदेश महतो पीछे हो गए हैं। उनका मुकाबला झामुमो के अमित महतो और जयराम की पार्टी के देवेंद्र महतो से है।

2019 में सुदेश महतो ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 2014 के चुनाव में तो जेएमएम के अमित महतो ने उन्हें परास्त कर दिया था। कोर्ट से सजा मिलने के बाद अमित महतो की विधायकी जाने के बाद उनकी पत्नी ने भी 2019 में सुदेश को कड़ी टक्कर दी थी। कुछ वर्ष पहले अमित महतो जेएमएम से अलग हो गए थे। अब चुनाव के वक्त वापस वह झामुमो में लौट आए हैं।

महागामा में मंत्री दीपिका पांडेय सिंह पीछे

महागामा में हेमंत सरकार की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह पहले राउंड पीछे चल रही हैं। उनका मुकाबला दो बार विधायक रह चुके भाजपा के अशोक कुमार भगत से है। वहीं, जयराम महतो की पार्टी JLKM ने इस सीट पर जवाहर लाल यादव को मैदान में उतारा।

इस सीट पर कांग्रेस-भाजपा के बीच जंग होती रही है। 2005 में यहां से भाजपा के अशोक कुमार ने जीत हासिल की थी। उन्‍होंने राजद के अताउर रहमान सिद्दीकी को हराया था। 2009 में कांग्रेस के राजेश रंजन ने भाजपा के अशोक कुमार को हरा दिया।

2014 के चुनाव में भाजपा के अशोक कुमार ने वापसी की और चुनाव जीत लिया। 2019 के चुनाव में कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह जीतीं थी।

मधुपुर में हफिजुल हुए आगे

मधुपुर से हेमंत सरकार के मंत्री और झामुमो प्रत्याशी हफीजुल हसन 6ठे राउंड की गिनती में 5131 वोटों से आगे हो गए हैं। उनका मुकाबला गंगा नारायण सिंह से है।

हफीजुल 2021 में पिता हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद चुनाव लड़े थे और जीतकर मंत्री बने। दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा ने इस बार राज पलिवार का टिकट काटकर गंगा नारायण सिंह को उतारा है। वह चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले 2021 में उन्होंने मधुपुर उपचुनाव लड़ा था और हार का सामना करना पड़ा था। 2019 में मधुपुर से आजसू के टिकट पर चुमाव लड़े थे। वहीं, एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव लड़ चुके हैं।

लातेहार में 8वें राउंड में पिछड़ने के बाद मंत्री बैजनाथ राम पीछे

मंत्री बैजनाथ राम 8वें राउंड की गिनती में पीछे हो गए हैं। वो 1593 वोटों से वे पीछे चल रहे हैं। 1990 के बाद से लातेहार विधानसभा क्षेत्र का कोई भी नेता यहां लगातार दो बार विधायक नहीं रहा है। 25 साल से बैद्यनाथ राम और प्रकाश राम पार्टी बदल-बदल कर चुनाव लड़ते रहे हैं। 2005 में भाजपा से चुनाव लड़ने वाले बैद्यनाथ राम को आरजेडी के उम्मीदवार प्रकाश राम ने हराया था।

2009 में भाजपा के टिकट पर बैद्यनाथ राम ने प्रकाश राम को हराया। 2014 में प्रकाश राम बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीते। 2019 में झामुमो प्रत्याशी बने बैद्यनाथ ने भाजपा से लड़े प्रकाश राम को हराया। इस बार भी दोनों ही आमने सामने हैं।

लोहरदगा में आगे हुए मंत्री रामेश्वर उरांव

हेमंत सरकार में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव आगे हो गए हैं। शुरुआती रुझान में वो पीछे हो गए थे। उनके सामने आजसू की नीरू शांति भगत हैं। वह पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी हैं।

2019 में लोहरदगा सीट पर उन्होंने BJP के सुखदेव भगत को 30,242 वोटों से हराया था। रामेश्वर हेमंत सरकार में सबसे अमीर नेता हैं। उनके पास 28 करोड़ रुपए की संपत्ति है।

2004 में उरांव पुलिस सर्विस से VRS लेकर पॉलिटिक्स में आए थे। कांग्रेस के टिकट पर लोहरदगा लोकसभा सीट से जीते। केंद्र में मंत्री भी रहे। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें BJP के सुदर्शन भगत ने हरा दिया। 2019 में उरांव विधानसभा चुनाव जीत गए। उन्हें हेमंत सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया। इस बार उनका मुकाबला फिर सुदर्शन भगत से है।

डुमरी में JMM की बेबी देवी आगे, युवा नेता जयराम महतो पीछे

डुमरी से झामुमो की बेबी देवी 7वें राउंड में आगे हो गई हैं। डुमरी विधानसभा सीट JMM का एक अभेद्य किला है। झारखंड गठन के बाद से यहां पर किसी और पार्टी ने जीत हासिल नहीं की है। JMM के कद्दावर नेता रहे जगरनाथ महतो लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। उनके निधन के बाद पार्टी ने उनकी पत्नी को टिकट दिया।

जगरनाथ महतो की शैली में ही जयराम महतो भी राजनीति कर रहे हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से झारखंडी भाषा संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) के जयराम महतो ने 3 लाख 47 हजार 322 वोट लाकर क्षेत्र में अपनी ताकत दिखा चुके हैं। वे डुमरी विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *