झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को मिली दो तिहाई बहुमत की जीत का असर शपथ ग्रहण समारोह में भी दिखा। हेमंत सोरेन ने इंडिया गठबंधन के हर बड़े नेता को शपथ ग्रहण समारोह में बुला कर सार्वजनिक रूप से अपनी ताकत का एहसास कराया। वहीं इंडिया गठबंधन के न
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उन्हें मालूम था कि समारोह को भव्यता प्रदान करने के लिए कुछ समय की जरूरत होगी। उन्होंने 24 से 27 नवंबर के बीच के समय का इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उपयोग किया। दिल्ली गए। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत एनडीए के भी अन्य नेताओं को बुलाने का फर्ज निभाया। साथ ही मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेताओं से व्यक्तिगत रूप से मिल उन्हें निमंत्रित किया। ताकि इंडिया के बड़े नेताओं की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। और ऐसा हुआ भी। प्रियंका गांधी को छोड़ अन्य सभी बड़े नेता शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित हुए।
देशभर से आए इंडिया गठबंधन के नेताओं ने झारखंड में गठबंधन की ताकत का एहसास तो किया ही, हेमंत सोरेन के नेतृत्व क्षमता को भी स्वीकारा। इससे कहीं न कहीं राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन को भी मजबूती मिली। क्योंकि क्योंकि हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी (शरद) की पराजय हुई, उसमें झारखंड ने ही इंडिया की इज्जत बचायी। उसे मजबूती भी दी।
इसका श्रेय हेमंत सोरेन को भी मिला और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने समारोह में शामिल होकर इसके लिए कृतज्ञता भी जतायी। हेमंत सोरेन की उसी ताकत का परिणाम था कि उन्होंने राज्य में पहली बार अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का फैसला किया। इस पर गठबंधन के किसी भी दल ने एतराज करने की हिमाकत नहीं की। फिर अकेले शपथ लेकर हेमंत सोरेन ने राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देने में भी सफलता पायी कि झारखंड के अबुराज के केवल वही सरताज हैं।