हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर पर एसीबी में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर हाई कोर्ट आज सुनवाई करेगा। जस्टिस समीर जैन की अदालत मेयर मुनेश गुर्जर की याचिका पर आज सुनवाई करेगी।
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मुनेश के अधिवक्ता दीपक चौहान ने याचिका पेश कर बताया कि मामले में एसीबी प्रार्थिया से कोई भी डिमांड साबित करने में विफल रही है। एसीबी ने यह भी नहीं बताया कि प्रार्थिया ने शिकायतकर्ता से कैसे डिमांड की और एसीबी ने उसका सत्यापन कैसे किया। प्रार्थिया से कोई भी रिकवरी नहीं हुई।
एफआईआर में मेयर की भूमिका होने के संबंध में कोई सबूत भी नहीं है। ऐसे में एसीबी की एफआईआर पीसी एक्ट के तहत जरूरी दो शर्तों डिमांड व रिकवरी को ही सत्यापित नहीं करती है।
इसलिए 6 अगस्त 2023 को दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए। याचिका में राज्य सरकार व शिकायतकर्ता व सुधांशु सिंह को पक्षकार बनाया गया है। इस पर आगामी दिनों में सुनवाई होगी।
मेयर को गलत तरीके से फंसाया गया याचिका में कहा गया कि पुलिस ने इस संबंध में पूर्व में दर्ज किए गए मामले में भी मेयर के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं पाए थे, यदि साक्ष्य होते तो उसी समय कार्रवाई हो जाती। प्रार्थिया को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और उसका इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर कोई संबंध नहीं है। यह एफआईआर उसके खिलाफ दुर्भावना के चलते दर्ज करवाई है। शिकायतकर्ता ने केवल उसके पति पर ही आरोप लगाए हैं।
पहले भी निलंबन रद्द कर चुका है हाईकोर्ट दरअसल, हेरिटेज मेयर के पति सुशील गुर्जर की ओर से नगर निगम के पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में एसीबी की कार्रवाई के बाद राज्य सरकार ने मुनेश को निलंबित कर दिया था। हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगाई तो सरकार ने निलंबन आदेश वापस ले लिया था, लेकिन जांच के बाद राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर को 22 सितंबर के आदेश से दुबारा निलंबित कर दिया था। हाईकोर्ट ने दिसंबर 2023 के आदेश से मुनेश का निलंबन रद्द कर दिया था।