बांग्लादेशी घुसपैठ मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी। 8 नवंबर को पिछली सुनवाई में जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और याचिका कर्ता दानियल दानिश को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
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दरअसल, 20 सितंबर को हाईकोर्ट ने बांग्लादेशी घुसपैठियों की जांच के लिए केंद्र सरकार के अधिकारियों की एक फैक्ट फाइंडिग कमेटी बनाने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने कमेटी के सदस्य के नाम भी सुझाए थे। हाईकोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया था।
झारखंड सरकार का दावा- राज्य में कोई अवैध प्रवासी नहीं
झारखंड सरकार ने कोर्ट में कहा-राज्य के छह जिलों – गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, दुमका, साहिबगंज और देवघर के उपायुक्तों ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में कोई अवैध प्रवासी नहीं हैं। सिर्फ साहिबगंज जिले में दो मामले सामने आये थे, जिनसे राज्य सरकार निपट रही है। राज्य सरकार का यह भी कहना है कि अवैध प्रवासियों के कारण जनसांख्यिकीय बदलाव के दावे निराधार हैं।
हाईकोर्ट का आदेश राज्य सरकार की शक्ति में हस्तक्षेप
कोर्ट में सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था- झारखंड सीमावर्ती राज्य नहीं है। हाईकोर्ट का आदेश राज्य में हो रहे विधानसभा चुनावों में भाषणों का विषय बन गया है। उन्होंने कहा था- केंद्र सरकार ने झारखंड में घुसपैठ का जो दावा किया है, वह आंकड़ों पर आधारित नहीं है। ऐसे में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन का आदेश घुसपैठ से निपटने की राज्य सरकार की शक्ति में हस्तक्षेप है।
दानियल दानिश ने दाखिल की थी जनहित याचिका
झारखंड हाईकोर्ट में दानियल दानिश ने जनहित याचिका दाखिल की थी। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ के आरोपों को गंभीर माना था। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि संथाल परगना सहित राज्य के कई इलाकों में आदिवासी आबादी पर प्रभाव पड़ा है।
मुसलमान आदिवासी महिलाओं से शादी कर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा था- मामले में तथ्यों की पड़ताल के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई जानी चाहिए।
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