नई दिल्ली45 मिनट पहले
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हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में हर साल बड़ी बढ़ोतरी से राहत मिल सकती है। इसके लिए सरकार कई प्रस्ताव लेकर आई है। इसमें एजेंट कमीशन 20% तक सीमित करना और अस्पतालों में इलाज के पैकेज रेट पर अंकुश लगाना शामिल है। फिलहाल ये प्रस्ताव बीमा नियामक IRDAI को भेजे गए हैं, जिन पर फैसला होना बाकी है।
वित्त मंत्रालय ने बीमा कंपनियों के CEO, बड़े अस्पतालों के मालिकों और IRDAI के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसमें वित्त मंत्रालय की तरफ से हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में हर साल मनमाना बढ़ोतरी पर नाराजगी जताई गई।
कहा गया कि भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन (महंगाई) 11.5% तक पहुंच रही है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। यह सही नहीं है, इससे निजात के लिए सरकार कुछ कदम उठाने जा रही है।
हर साल बढ़ रहा हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम
| वित्त वर्ष | प्रीमियम वृद्धि |
| 2019-20 | 8-12% |
| 2020-21 | 10-15% |
| 2021-22 | 12-20% |
| 2022-23 | 15-25% |
| 2023-24 | 10-15% |
| 2024-25 | 10-15% |
तीन तरीकों से मेडिकल महंगाई कम करेगी केंद्र सरकार 1. सीमित प्रीमियम वृद्धि: प्रीमियम में सालाना बढ़ोतरी पर सीमा लगाई जाएगी। यानी बीमा कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में हर साल मनमाना बढ़ोतरी नहीं कर पाएंगी। 2. कम एजेंट कमीशन: नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर एजेंट कमीशन अधिकतम 20% होना चाहिए। सालाना रिन्यूअल पर भी ये कमीशन 10% से ऊपर नहीं होना चाहिए। 3. ज्यादा पारदर्शिता: हर क्लेम, हर अस्पताल बिल और हर डिस्चार्ज समरी पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। बीमा कंपनियां और अस्पताल मिलकर मनमाना ‘पैकेज रेट’ तय नहीं कर पाएंगे।
नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज भी लाएगी केंद्र सरकार
अस्पतालों ने सरकारी प्रस्ताव के विरोध में कहा कि उनका मार्जिन पहले से कम है। बीमा कंपनियां प्रीमियम तो बढ़ाती हैं, पर क्लेम देने में कंजूसी करती हैं। इस पर वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इसलिए तो नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज लाया जा रहा है, जहां सब डिजिटल होगा।
भारत में पूरी दुनिया के मुकाबले ज्यादा है मेडिकल इन्फ्लेशन
- 11.5% तक पहुंच चुकी है भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन। यानी अस्पतालों में इलाज का खर्च हर साल 11.5% की रफ्तार बढ़ रहा है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
- हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम सिर्फ एक साल में 25% तक बढ़ गया है। खास तौर पर कोविड के बाद यानी 2021-22 से ज्यादा महंगा होने लगा स्वास्थ्य बीमा।
हेल्थ इंश्योरेंस क्या है और क्यों जरूरी है?
यह किसी व्यक्ति और इंश्योरेंस कंपनी के बीच होने वाला एक एग्रीमेंट है। इसमें इंश्योरेंस कंपनी दुर्घटना, बीमारी या चोट लगने पर आपके मेडिकल खर्चे उठाती है। इसमें हॉस्पिटल में भर्ती होने का खर्च, दवाओं का बिल, डॉक्टर की कंसल्टेशन फीस, एम्बुलेंस चार्ज जैसी चीजें कवर की जाती हैं। इसके लिए पॉलिसी धारक को एक तय समय तक हर साल इंश्योरेंस कंपनी को प्रीमियम देना होता है।
बीमारियों का बढ़ता खर्च किसी को भी परेशान कर सकता है। इसलिए आपको सही हेल्थ इंश्योरेंस जरूर लेना चाहिए। इसके कई फायदे हैं, नीचे दिए कुछ पॉइंट्स से इसे समझिए…
- लाइफस्टाइल डिजीज का बढ़ता खतरा: देर रात जागना, जंक फूड और जीरो एक्सरसाइज की वजह से डायबिटीज, हार्ट डिजीज, हाई BP और मोटापा अब 20-30 साल के युवाओं में भी आम हैं। पहले ये बीमारियाँ 50+ उम्र में आती थीं, अब ये “यंग इंडिया” की नई महामारी बन गई हैं।
- इलाज का बढ़ता खर्च: मेडिकल महंगाई बेकाबू है। 5 साल पहले 2 लाख में होने वाली सर्जरी आज 5-7 लाख में होती है। दवाइयाँ, टेस्ट, ICU चार्ज सब दोगुने हो चुके हैं। बिना हेल्थ इंश्योरेंस के एक हॉस्पिटलाइजेशन पूरा बचत खा सकता है।
- बेहतर हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा: अच्छे डॉक्टर और आधुनिक हॉस्पिट23ल में इलाज हर कोई चाहता है, लेकिन बिना इंश्योरेंस के जेब खाली होने की वजह से समझौता करना पड़ता है। हेल्थ इंश्योरेंस आपको बेस्ट ट्रीटमेंट चुनने की आजादी देता है, बिना पैसे की चिंता के।
- इमरजेंसी में तुरंत इलाज: हार्ट अटैक या कोई गंभीर इमरजेंसी में हॉस्पिटल पहले पेमेंट मांगते हैं। लाखों रुपये तुरंत जुटाना नामुमकिन है। हेल्थ इंश्योरेंस के साथ कैशलेस एडमिशन होता है- मरीज को फौरन इलाज मिलता है, परिवार पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ता।

सवाल- हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट न हो, उसके लिए क्या करना चाहिए?
हेल्थ इंश्योरेंस कई कारणों से रिजेक्ट हो सकता है। हालांकि कुछ बेसिक बातों का ध्यान रखकर हम इससे बच सकते हैं। जैसे कि-
- अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।
- हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय अपने स्वास्थ्य से जुड़ी सही जानकारी दें। किसी भी तरह की मेडिकल हिस्ट्री न छिपाएं।
- जैसेकि अगर आप स्मोकर हैं या ड्रिंक करते हैं तो यह जानकारी छिपाएं नहीं। वरना जरूरत पड़ने पर आपका क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा।
- अगर इंश्योरेंस लेते समय किसी को पहले से कोई बीमारी या हेल्थ कंडीशन है या कोई स्मोकर और ड्रिंकर है तो इंश्योरेंस कंपनी यह मानती है कि उस व्यक्ति के बीमार होने की संभावना ज्यादा है। ऐसे में इंश्योरेंस का प्रीमियम भी ज्यादा होता है। इसलिए कंपनी से किसी भी तरह की जरूरी जानकारी छिपाएं नहीं।
- किसी भी अस्पताल में भर्ती होने पर तुरंत अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइडर को सूचना दें।
- अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को समय पर रिन्यू कराते रहें।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की सही उम्र क्या है?
फाइनेंशियल एक्सपर्ट राजशेखर बताते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम आपकी उम्र और मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर होता है। इसलिए जितनी कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ली जाए, उतना ही अच्छा है। इससे आप कम प्रीमियम में लंबा इंश्योरेंस कवर ले सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ता जाता है, जिससे प्रीमियम भी बढ़ता जाता है।
