Haryana real estate hrera powers limited high court verdict 2024 CM Nayab Singh Saini | कलेक्टर की तरह बकाया राशि नहीं वसूल पाएगा HRERA: हाईकोर्ट ने रद्द किया 2024 का नोटिफिकेशन; कहा, नियमों में संशोधन करे सरकार – Haryana News

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसमें रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (HRERA) के न्यायनिर्णयन अधिकारियों को कलेक्टर की तरह बकाया राशि वसूलने के अधिकार दिए गए थे। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि रियल एस्ट

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भू-कानून सख्ती से लागू करे सरकार

याचिकाकर्ता की दलीलों को स्वीकार करते हुए, हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि एचआरईआरए प्राधिकारियों द्वारा पारित भुगतान आदेश, चाहे वे मुआवजे, जुर्माने या ब्याज से संबंधित हों, को हरियाणा भूमि राजस्व अधिनियम, 1887 के तहत सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, और उन्हें अदालती आदेशों की तरह नहीं माना जाना चाहिए।न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति एचएस ग्रेवाल की खंडपीठ ने भारत संघ और अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ वाटिका लिमिटेड द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला पारित किया।

यहां पढ़िए हाईकोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु

​​​​​​​पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में HRERA (हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) की शक्तियों की सीमा तय कर दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि HRERA के अधिकारी केवल जांच कर सकते हैं और मुआवजे की राशि तय कर सकते हैं, लेकिन वे स्वयं वसूली नहीं कर सकते।

सरकार को ये दिए निर्देश

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को सलाह दी है कि उसे नियमों में आवश्यक संशोधन करना चाहिए। इसके अलावा उचित राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति भी करनी चाहिए। वसूली प्रक्रिया को कानूनी ढांचे के अनुरूप बनाने की सलाह भी हाईकोर्ट ने सरकार को दी है।

कोर्ट ने कहा, “रियल एस्टेट अधिनियम में विभिन्न प्राधिकरणों की भूमिकाएं स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं। HRERA के अधिकारियों को वसूली का अधिकार देना इस कानूनी ढांचे का उल्लंघन है,”।

कोर्ट ने सरकार के ये तर्क खारिज किए

न्यायालय ने राज्य के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि हरियाणा भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 27 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल इस तरह के प्रत्यायोजन की अनुमति देने के लिए किया जा सकता है। इसने जोर देकर कहा कि प्रवर्तन और न्यायनिर्णयन दो अलग-अलग कार्य हैं और इन्हें अलग-अलग ही रहना चाहिए।

सिंगल बैंच के फैसले की आलोचना की

सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने पिछले एकल पीठ के फैसले की भी आलोचना की, जिसमें सिविल न्यायालय के आदेशों की तरह एचआरईआरए के आदेशों को लागू करने की गलत अनुमति दी गई थी। इसने इस बात पर जोर दिया कि रियल एस्टेट अधिनियम, 2017 के तहत बनाए गए हरियाणा नियमों के नियम 27 में स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि बकाया राशि की वसूली भूमि राजस्व वसूली प्रक्रियाओं के माध्यम से की जानी चाहिए – जिसमें गिरफ्तारी, संपत्ति की कुर्की और नीलामी जैसे कदम शामिल हैं – न कि सिविल डिक्री पर लागू तरीकों से।

क्या करना होगा अब

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार को नए सिरे से वसूली प्रक्रिया तैयार करनी होगी। राजस्व विभाग को विशेष अधिकारी नियुक्त करने होंगे। HRERA को अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव करना होगा।

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