Haryana Karnal Former CM became active regarding assembly elections update news, Haryana Karnal, danger of internal attack with Sumita Singh without organization | करनाल में पुरानी टीम के साथ मनोहर लाल हुए एक्टिव: बिना संगठन कैसे होगी सुमिता सिंह की नैया पार, गुटबाजी से भीतरघात का खतारा – Karnal News

करनाल में पार्टी प्रत्याशी के लिए प्रचार करते पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्‌टर।

हरियाणा में करनाल विधानसभा चुनाव में एक बार पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्‌टर एक्टिव हो चुके है। ऐसे मे कांग्रेस प्रत्याशी सुमिता सिंह अब राह आसान नहीं है। क्योंकि पूर्व सीएम मनोहर लाल अब पूरे संगठन व पुरानी टीम के साथ करनाल विधासभा चुनाव में जगमोहन आनंद क

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वहीं अगर हम बात करे तो कांग्रेस पिछले 10 साल से अपना संगठन भी नहीं बना पाई है। करनाल कांग्रेस में कोई हुड्डा गुट से है तो कोई सैलजा-सुरजेवाला गुट से। टीम भी बिखरी पड़ी है। ऐसे में बिना संगठन सुमिता सिंह की नैया कैसे पार होगी? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। दूसरी ओर, बीजेपी मजबूत संगठन के सहारे मैदान में है। बीजेपी पन्ना प्रमुख तक उतार चुकी है।

करनाल में मेयर के पति बृज गुप्ता भाजपा प्रत्याशी जगमोहन आनंद के साथ चुनाव प्रचार करते हुए।

करनाल में मेयर के पति बृज गुप्ता भाजपा प्रत्याशी जगमोहन आनंद के साथ चुनाव प्रचार करते हुए।

भीतरघात का भी कांग्रेस को खतरा

करनाल की राजनीति में अच्छी समझ रखने वाले DAV कॉलेज के प्राचार्य आर.पी सैनी की मांने तो इस बार सिर्फ संगठन ही नहीं, बल्कि कांग्रेस भीतरघात का शिकार भी होती नजर आ रही है। क्योंकि कई कांग्रेस के नेता मंचों पर तो दिख रहे है, लेकिन उनके मन में आज भी टिकट कटने की टिस है। अंदरूनी कलह कांग्रेस की प्रत्याशी के लिए बड़ी चुनौती है। इसके अतिरिक्त संगठन को लेकर कांग्रेस गंभीर भी नहीं दिख रही। चुनाव प्रचार के दौरान संगठन एक बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है।

पंजाबी वोटर का दबदबा

करनाल विधानसभा की अगर हम बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा वोटर पंजाबी समाज से आते है, उसके बाद वैश्य समाज फिर जाट और जट सिख है। सैनी का मानना है कि पूर्व विधायक सुमिता सिंह लंबे समय तक लोगों के बीच से गायब रही, लेकिन चुनावों से पहले एक्टिव हो गई। जिससे लोगों में भी नाराजगी जरूर दिखी। कांग्रेस की नजर पंजाबी वोटर पर है और पंजाबी वोटर साधने के लिए कांग्रेस हर संभव प्रयास में जुटी हुई है।

दूसरी ओर, बीजेपी के करनाल सांसद एवं कैबिनेट मंत्री मनोहर लाल भी एक्टिव हो चुके है, हालांकि पिछले दिनों पंजाबी समाज ने कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया था, लेकिन मनोहर लाल पंजाबी तबके को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए है। कांग्रेस प्रत्याशी के लिए मुश्किलें बढ़ रही है। करनाल में बीजेपी के पूर्व सीएम एक्टिव है, जबकि कांग्रेस की तरफ से ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आ रहा कि वह पंजाबी वोटर को साध सके। तरलोचन सिंह भी मैदान में नजर तो आ रहे है, लेकिन अंदर से इनको भी टिकट कटने का दर्द है।

पूर्व मेयर को मानने में कायब रही भाजपा

​​​​​​​सैनी ने कहा कि दूसरी ओर, बीजेपी पूर्व मेयर को मनाने में भी कामयाब हो चुकी है और उनके पति बृज गुप्ता को कार्यकारी जिलाध्यक्ष नियुक्त करके राजनीति पैतरा फेंका है। इससे मेयर की नाराजगी तो दूर हुई, साथ ही उन्होंने भी बीजेपी को मजबूत करने के लिए प्रचार शुरू कर दिया। बीजेपी कांग्रेस को घेरने के लिए लगी हुई है। जिन पार्षदों ने अपने कार्यकाल में काम नहीं करवाए, और वे अब बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में जा रहे है, ऐसे पार्षदों से भी करनाल की जनता नाराज दिख रही है।

ऐसे में दस साल से प्रदेश में कांग्रेस अपना संगठन नहीं बना पाई। दूसरा, पार्टी अलग-अलग धड़ों में बंटी है और गुटबाजी हावी है और तीसरा दिग्गज नेताओं के एक-दूसरे के क्षेत्र में मदद करने की संभावना कम नजर आ रही है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनावी राह आसान नहीं है और यह 8 अक्तूबर को पता चलेगा कि लोग किसके पक्ष में वोट करते है।

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