Haryana Kaithal Pundri Assembly seat update news, MLA becoming independent from 6th term, this time 18 candidates in the fray | हरियाणा की ऐसी सीट, जहां 30 साल से निर्दलीय विधायक: 57 साल से भाजपा का खाता नहीं खुला, रोड वोटर करते हैं जीत का फैसला – Karnal News

हरियाणा की पुंडरी विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां पर पिछले 6 विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार की ही जीत हुई है। राज्य की 17 रिजर्व सीटों में पुंडरी भी शामिल है। आंकड़े देखें तो 1996 से लेकर 2019 के विधानसभा चुनाव तक ना ही भाजपा और ना ही कांग्रे

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जहां दूसरी सीटों पर चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच टिकटों के लिए मारामारी शुरू हो जाती है और टिकट ना मिलने पर इस्तीफों और दल बदलने का दौर शुरू हो जाता है। वहीं, पुंडरी में नेता किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होकर चुनाव लड़ने से परहेज करते हैं।

इस बार यहां से भाजपा ने सतपाल जांबा और कांग्रेस ने सुल्तान जड़ौला को टिकट दिया है, हालांकि इन दोनों का ही क्षेत्र में अच्छा होल्ड है लेकिन इसके बावजूद इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी सतबीर भाना का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।

रोड बाहुल्य विधानसभा है पुंडरी जानकारों की माने तो पुंडरी विधानसभा में रोड समाज का दबदबा है। यहां पर 60 प्रतिशत वोटर रोड बिरादरी से हैं और उसके बाद करीब 17 प्रतिशत वोटर ब्राह्मण समाज से आते हैं। जाट भी यहां पर करीब 7 प्रतिशत हैं और अन्य में ओबीसी एवं एससी वर्ग आता है।

इस बार 6 उम्मीदवार रोड, 3 ब्राह्मण इस सीट पर इस बार कुल 6 प्रत्याशी अकेले रोड समाज से हैं। जिनमें पूर्व विधायक रणधीर सिंह गोलन, पूर्व विधायक सुल्तान जड़ौला, सुनीता बतान, नरेश कुमार फरल, प्रमोद चुहड और सतपाल जांबा शामिल हैं। वहीं जाट समाज से सज्जन सिंह ढुल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं। ब्राह्मण समाज से चुनावी मैदान में नरेश शर्मा, नरेंद्र शर्मा और दिनेश कौशिक हैं।

रोड समाज के ज्यादा उम्मीदवार होने के कारण रोड बिरादरी के वोट बंट सकते हैं जिसका सीधा फायदा जांगडा समाज के निर्दलीय उम्मीदवार सतबीर भाना को पहुंचेगा। बीजेपी और कांग्रेस को इस चुनाव में सतबीर भाना ही टक्कर देते नजर आ रहे हैं।

दूसरी जाति के वोटरों की बात करें तो जाट समाज के वोट ढुल को और पंजाबी समाज के वोट गुरींद्र सिंह हाबड़ी को मिल सकते हैं, लेकिन आबादी कम होने के कारण ये ज्यादा बड़ा प्रभाव नहीं डाल पाएंगे। उधर ब्राह्मण समाज से भी तीन उम्मीदवार खड़ें हैं जिसकी वजह से उनके वोट भी आपस में बंट सकते हैं।

गोलन को करना पड़ रहा एंटी इनकंबेंसी का सामना 2019 में इस सीट से रणधीर सिंह गोलन की जीत हुई थी। यहां पर उनका सामना कांग्रेस के सतबीर भाना से था हालांकि गोलन ने कुल 41008 वोट प्राप्ट कर भाना को 12824 वोटों से हरा दिया था। जीतने पर गोलन ने भाजपा सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव से ऐन पहले गोलन ने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।

गोलन इस सीट से विधायक रह चुके हैं लेकिन इस चुनाव में उन्हें एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण इस बार उनकी वापसी मुश्किल लग रही है।

भाजपा नहीं खोल पाई है इस सीट पर खाता पुंडरी एक ऐसी सीट है जहां पर आज तक भाजपा जीत हासिल नहीं कर पाई है। हालांकि कांग्रेस ने इस सीट पर चार बार जीत दर्ज की है। इसके साथ ही 1987 में लोकदल के माखन सिंह ने भी इस सीट पर जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने ही गोलन को टक्कर दी थी। हालांकि इस बार गोलन ने भाजपा से सर्मथन इसी उम्मीद में वापस लिया था कि उन्हें कांग्रेस टिकट देगी। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया जिसकी वजह से वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ही मैदान में हैं।

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