Haryana Jat Reservation Protest Story; Jind ACJM | Pooja Singla | जाट आरक्षण आंदोलन हिंसा, 14 युवा 9 साल बाद बरी: 2016 से कोर्ट में 57 पेशियां भुगतीं; सरकारी नौकरी-आर्मी भर्ती से चूके, पढ़ाई छूटी – Jind News

10 दिन चले जाट आरक्षण आंदोलन में 30 लोगों की मौत हुई थी। करीब 34 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था।- फाइल फोटो।

हरियाणा में जाट आरक्षण के आंदोलन के दौरान हिंसा में आरोपी बनाए गए एक ही गांव के 14 युवक 9 साल बाद कोर्ट ने बरी कर दिए। जींद में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पूजा सिंगला (ACJM) की कोर्ट ने यह फैसला दिया।

.

इन युवाओं ने साल 2016 से लेकर 2025 के बीच 9 साल में 56 बार पेशी भुगती। 57वीं बार में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। मगर, केस में आरोपी बनाने से युवाओं की पढ़ाई से लेकर करियर की उम्मीदें तक चौपट हो गईं।

जींद जिले में हिंसा को लेकर 103 लोगों पर केस दर्ज किए गए थे। इनमें से 90 से ज्यादा लोग पहले बरी हो चुके हैं। फरवरी 2016 में जब जाट आरक्षण आंदोलन भड़का था तो रोहतक, झज्जर, सोनीपत, पानीपत, जींद में कई जगह हिंसा हुई।

14 युवाओं के केस में फंसने और बरी होने की कहानी…

1. आंदोलन के वक्त थाना, बैंक में भी आगजनी हुई 2016 में जब आंदोलन हुआ तो जींद में जुलाना, उचाना में भी गांवों से ट्रैक्टरों में भरकर लोग सड़क पर आ गए थे। रोड जाम कर दिए गए। रेलवे ट्रैक रोक दिया गया था। उचाना में पुलिस थाना, बैंक, बिजली घर, मिष्ठान भंडारा समेत कई जगह आगजनी भी हुई। इसके बाद मामला शांत हुआ।

2. पुलिस ने CCTV कैमरों से पहचान कर गिरफ्तारियां की इसके बाद पुलिस ने विभिन्न जगहों पर लगे CCTV कैमरों से आंदोलन में भाग ले रहे युवाओं की पहचान की और गिरफ्तारी शुरू कर दी। इसका विरोध शुरू हुआ तो पुलिस कार्रवाई रुक गई। इसके बाद इसी साल अप्रैल-मई माह तक आंदोलन पूरी तरह से शांत हो गया। मगर, जुलाई माह में कोर्ट की तरफ से खोखरी गांव के युवाओं के घर समन भेज दिए गए। जींद में भी करीब 103 लोगों के घर समन भेजे गए।

3. 22 जुलाई 2016 को पहली सुनवाई हुई जाट आंदोलन में सड़क जाम करने, रेलवे ट्रैक रोकने, सरकारी और निजी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने की धाराएं लगाकर जिन युवाओं को समन भेजे गए थे, उनके लिए 22 जुलाई 2016 को पहली सुनवाई की तारीख तय हुई। इसमें युवाओं को गिरफ्तारी का भी डर था लेकिन सभी युवा कोर्ट में पेशी पर आए। इसके बाद लोग पेशी पर जाने लगे। एडवोकेट जसबीर ढुल उस समय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्य थे और उन्होंने सभी युवाओं का केस फ्री में लड़ने की शुरुआत की।

4. 9 साल 56 पेशी, 57वीं में हुआ फैसला जींद के जिन युवाओं का नाम जाट आंदोलन में आया था। इनमें ज्यादातर युवा और किसान थे। इसके अलावा कुछ किसान गन्ना लेकर शुगर मिल जा रहे थे तो एक युवा घर पर ही था। 14 दिन बाद उसकी शादी होनी थी लेकिन उसके नाम से भी समन घर पहुंच गया।

जींद की कोर्ट में सुनाए फैसले में अमनदीप पिलानिया, नवनीत, रवि, सतीश, अनिल, सुरेंद्र, अमरदीप, कुलबीर, सुरेंद्र, काला, राममेहर, मंजीत, सुरेश व एक अन्य को बरी किया गया। ये सभी युवा खोखरी गांव के थे।

आर्मी की तैयारी थी, केस के कारण नहीं जा पाया आगे इस मामले में दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए खोखरी गांव निवासी अमनदीप पिलानिया ने बताया कि वह और उसके दोस्त आर्मी की तैयारी कर रहे थे। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान वह किसी तरह की हिंसा में शामिल नहीं थे।

न ही उन्होंने किसी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया था। इसके बावजूद भी उन पर केस दर्ज किए गए। समन भेजे गए। केस दर्ज होने के बाद सरकारी नौकरी में दिक्कत होती है। इसलिए उसने निराश होकर आर्मी भर्ती की तैयारी ही छोड़ दी।

बैंक में इंटरव्यू था, पहले ही पुलिस ने उठा लिया इन युवाओं में शामिल एक युवक ने बताया कि फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन भड़क गया था। मार्च के अंत में मेरा पंजाब नेशनल बैंक में इंटरव्यू था। मुझे इंटरव्यू देने कुरुक्षेत्र के लिए जाना था। मगर, इससे पहले ही पुलिस उठा ले गई, जबकि वह आंदोलन में सक्रिय भी नहीं था। कई माह तक बिना कसूर के जेल में रहना पड़ा। बीकॉम फर्स्ट ईयर की पढ़ाई छूट गई। इंटरव्यू और सरकारी नौकरी हाथ से निकल गई। अब प्राइवेट जॉब करनी पड़ रही है।

हर दूसरे-तीसरे माह पेशी, दिल्ली-गुरुग्राम से दूर नौकरी नहीं कर पाए खोखरी के बरी हुए कुछ युवकों ने बताया कि केस लगने के बाद उन्हें इन 9 सालों में काफी परेशानी झेलनी पड़ी। हर दूसरे-तीसरे माह कोर्ट की पेशी पर आना पड़ता था, इसलिए दिल्ली, गुरुग्राम से ज्यादा दूर नौकरी के लिए नहीं जा पाए।

केस लगने से विदेश नहीं जा सका एक युवक ने नाम नहीं छापने की बात कहते हुए कहा कि वह विदेश में जाने वाला था। उसका पासपोर्ट बनकर आ गया था। तभी केस लगने के कारण वह विदेश में भी नहीं जा पाया। बाकी युवाओं ने कहा कि जाट आरक्षण के बाद दिल्ली, गुरुग्राम, चंडीगढ़ में तो किराए पर कमरे मिलने भी बंद हो गए थे।

—————

ये खबर भी पढ़ें…

जाट आरक्षण आंदोलन और हिंसा की पूरी कहानी…

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के नेता हवा सिंह सांगवान के नेतृत्व में जाट समुदाय के लोगों की बैठक हुई। इस बैठक में जाटों के लिए आरक्षण की मांग की गई। आंदोलनकारियों ने रोहतक-दिल्ली नेशनल हाइवे जाम कर दिया। 10 दिन चले इस आंदोलन में 30 लोगों की मौत हुई थी और करीब 34 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। पूरी खबर पढ़ें…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *