हरियाणा के हिसार जिले के गांव मदनहेड़ी का 28 वर्षीय सोनू की रूस-यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना की ओर से लड़ते हुए मौत पर अभी सस्पेंस बना हुआ है। दरअसल मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास का कहना है कि अभी इस तरह की कोई सूचना नहीं आई है।
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इससे परिवार को सोनू के मिलने व सही सलामत होने की आस जगी है। दूतावास का कहना है कि अभी हम अधिकारियों के संपर्क में है और जैसे ही कोई सूचना मिलेगी परिवार को अवगत करवाया जाएगा। बता दें कि इससे पहले परिवार का कहना था कि रूस की सेना के एक अधिकारी ने उसके परिवार को पत्र भेजकर इसकी जानकारी दी है कि सोनू की युद्ध में मौत हो चुकी है।
पत्र में लिखा गया कि सोनू का शव मास्को पहुंच चुका है, जिसे लेने के लिए परिवार को रूस आना होगा। यह पत्र रशियन भाषा में था। जिसका ट्रांसलेट करवाया गया था। वहीं, उसके साथ गए गांव के ही 24 वर्षीय अमन से 22 सितंबर से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। दोनों युवक करीब सवा साल पहले, मई 2024 में विदेशी भाषा का कोर्स करने रूस गए थे।
परिजनों का आरोप है कि दोनों को धोखे से रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया। अब परिवार ने गृह मंत्रालय और भारत-रूस दूतावास से मदद की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक किसी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

रूस-यूक्रेन युद्ध में कई भारतीय फंसे हुए हैं। परिवार लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं।
फोन पर कहा था- मुझे आर्मी में भर्ती कर रहे हैं, बचा लो
मृतक सोनू के भाई अनिल ने बताया कि सोनू 8 मई 2024 को रूस में भाषा सीखने गया था। उसका वीजा खत्म होने वाला था और वह जल्द भारत लौटने वाला था। 3 सितंबर को सोनू ने फोन कर बताया कि उसे झांसा देकर रूसी सेना में भर्ती किया जा रहा है और उसे यूक्रेन युद्ध में भेजने की तैयारी है। उसने कहा था कि मुझे आर्मी में नहीं जाना, मुझे बचा लो। इसके बाद परिवार लगातार उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा।
रूसी भाषा में आया मैसेज, एक्सपर्ट से करवाया अनुवाद
सोनू के छोटे भाई अंकित ने बताया कि 19 सितंबर को टेलीग्राम पर रूसी अधिकारी का मैसेज आया। संदेश रशियन भाषा में था, जिसे एक्सपर्ट से अनुवाद करवाया गया। उसमें लिखा था कि सोनू 6 सितंबर से लापता था और अब उसकी डेडबॉडी मिल गई है। शव लेने के लिए मास्को आने को कहा गया।