Haryana Former minister Karnadev Kamboj resigns from the party update, Serious allegations leveled on the party, said that traitors are being given attention in the party | हरियाणा के पूर्व मंत्री का भाजपा से इस्तीफा: पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप, बोले- पार्टी में गद्दारों को दी जा रही तवज्जो – Karnal News

हरियाणा के पूर्व मंत्री कर्ण देव कांबोज ने बीजेपी छोड़ते हुए पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इंद्री विधानसभा से 2014 में विधायक और हरियाणा के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले एवं वन विभाग के पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव कांबोज ने इंद्री से टिकट न

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भाजपा में गद्दारों को तवज्जो मिलने का आरोप

कर्ण देव कांबोज ने अपने इस्तीफे में पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वाली भाजपा नहीं रही। उन्होंने कहा कि अब पार्टी में नुकसान पहुंचाने वाले गद्दारों को तवज्जो दी जा रही है, जबकि वफादार कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। कांबोज ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने वर्षों तक भाजपा की सेवा की, लेकिन पार्टी ने उनके योगदान को नजरअंदाज किया।

संगठन में किए गए काम को नजरअंदाज किया गया

कांबोज ने इस्तीफे में उल्लेख किया कि पिछले पांच सालों में उन्होंने ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में पूरे हरियाणा में काम किया और 150 सामाजिक टोलियों का गठन किया। इसके बावजूद पार्टी ने उनकी सेवाओं को नजरअंदाज किया और उन्हें टिकट नहीं दिया। कांबोज ने आरोप लगाया कि पार्टी ने वफादार कार्यकर्ताओं के बजाय उन लोगों को टिकट दिया है जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं।

पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव का इस्तीफा।

पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव का इस्तीफा।

कांग्रेस और भाजपा में अब कोई फर्क नहीं

​​​​​​​कांबोज ने भाजपा के फैसलों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी अब कांग्रेस की तरह हो गई है। उन्होंने कहा, “जब पार्टी में पुराने और वफादार कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर नए चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है, तो कांग्रेस और भाजपा में क्या फर्क रह गया है?” उनका यह बयान सीधे तौर पर भाजपा की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है और पार्टी के अंदर गहरे असंतोष को दर्शाता है।

आगे का राजनीतिक सफर चुनाव लड़ने के संकेत

कर्ण देव कांबोज ने अपने इस्तीफे में यह भी कहा कि उनका आगामी फैसला उनके समर्थकों के निर्णय पर निर्भर करेगा। उन्होंने संकेत दिया कि वह अपने समर्थकों के निर्णय का सम्मान करते हुए अगला कदम उठाएंगे। कांबोज ने यह भी इशारा किया कि उनके समर्थक तय करेंगे कि वह आगामी चुनाव लड़ेंगे या नहीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं और बीजेपी के खिलाफ एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ सकते हैं या किसी अन्य पार्टी से हाथ मिला सकते हैं।

राजनीतिक परिदृश्य में असर

कर्ण देव कांबोज का इस्तीफा भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर इंद्री विधानसभा क्षेत्र में। कांबोज ने 2014 में इंद्री से जीत हासिल की थी और खाद्य विभाग के मंत्री बने थे। हालांकि, 2019 में पार्टी ने उन्हें इंद्री की बजाय रादौर से चुनाव लड़ने भेजा, जहां वह हार गए। अब 2024 के चुनाव में कांबोज का मैदान में उतरना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि वह इंद्री विधानसभा में एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं।

कांबोज के इस्तीफे से भाजपा के अंदरूनी असंतोष और पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े होते हैं। उनके जैसे वरिष्ठ और पुराने कार्यकर्ता का पार्टी छोड़ना निश्चित रूप से आगामी विधानसभा चुनावों पर असर डालेगा, खासकर ओबी वोटर पर।

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