हरियाणा विधानसभा चुनाव में 10 ऐसी सीटें रहीं, जिनकी हार-जीत लोगों के बीच चर्चा का विषय रही। इनमें नूंह जिला की सीट फिरोजपुर झिरका ने सब को चौंकाया। इस सीट पर कांग्रेस कैंडिडेट मामन खान ने 98,441 के अंतर से जीत दर्ज की है।
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इसके अलावा गढ़ी सांपला किलोई से भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दूसरी बड़ी जीत दर्ज की है। तीसरे नंबर पर बादशाहपुर सीट रही है। यहां से बीजेपी उम्मीदवार राव नरबीर सिंह विजयी हुए हैं। चौथे नंबर पर नूंह के आफताब अहमद रहे हैं। वहीं पांचवें नंबर पर पटौदी विधानसभा सीट से बिमला चौधरी ने जीत दर्ज की है।
वहीं सबसे छोटी जीत देवेंद्र के अत्री के नाम रही। उन्होंने कांग्रेस कैंडिडेट को मात्र 32 वोटों से हराया। इसके अलावा डबवाली, लोहारू, आदमपुर और पुंडरी सीट पर भी कैंडिडेट कम मार्जिन से जीते।
अब उन 5 सीटों के बारे में पढ़िए, जहां कैंडिडेट बड़े मार्जिन से जीते…
1. फिरोजपुर झिरका: कांग्रेस उम्मीदवार मामन खान ने सबसे बड़े मार्जिन 98 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। मामन खान को 1,30,497 वोट मिले हैं। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार नसीम अहमद को हराया है। बीजेपी को यहां 32,056 वोट मिले हैं।
वजह: मामन खान की जीत की सबसे बड़ी वजह नूंह हिंसा रही। 31 जुलाई को हुई हिंसा में मामन खान खूब चर्चा में रहे थे। यहां तक कि हिंसा के आरोप में उनके खिलाफ पुलिस ने केस भी दर्ज किया था। एक महीने से अधिक समय तक वह जेल में भी रहे। जेल से बाहर आते ही उन्होंने हिंसा को लेकर विवादित बयान भी दिया। इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाया।
2. गढ़ी सांपाल-किलोई: यहां से पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 71,465 वोटों से बीजेपी के उम्मीदवार मंजू हुड्डा को हराया है। पूर्व सीएम को 1,08,539 वोट मिले हैं। वहीं मंजू हुड्डा को 37,074 वोट मिले हैं।
वजह: यह पूर्व सीएम का गढ़ है। हुड्डा इस सीट से 2005 से लगातार जीतते आ रहे हैं। हुड्डा ने इसके बाद रोहतक को ही अपना राजनीतिक केंद्र बनाया। यह भी कहा जाता रहा है कि जब वह सीएम बने तो उन्होंने रोहतक पर ज्यादा फोकस किया।
3. बादशाहपुर: राव नरबीर सिंह ने बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ा। कांग्रेस के वर्धन यादव को 60,705 वोटों से शिकस्त दी। राव नरबीर सिंह को 1,45,503 वोट मिले हैं। वहीं वर्धन यादव को 84,798 वोट मिले हैं।
वजह: यह भाजपा का गढ़ रहा है। हाल ही में लोकसभा चुनाव में यहां राव इंद्रजीत को भी एक लाख से अधिक वोटों की लीड मिली थी। हालांकि 2019 में राव नरबीर सिंह की टिकट काटकर नया चेहरा मनीष यादव को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह हार गए थे।
4. नूंह: मेवात की इस सीट से कांग्रेस के आफताब अहमद ने 46,963 के मार्जिन से इनेलो-बसपा उम्मीदवार ताहिर हुसैन को शिकस्त दी है। आफताब अहमद को 91,833 वोट मिले हैं, वहीं ताहिर हुसैन को 44,870 वोट मिले हैं।
वजह: इस सीट पर मुस्लिम वोटर करीब 55.2 प्रतिशत हैं। ये हरियाणा का सबसे बड़ा रूरल जिला है, जहां 92.34 फीसदी जनसंख्या गांव में रहती है। इस सीट पर अभी तक मुस्लिम समुदाय से आने वाले उम्मीदवार ही विधायक बनते आए हैं।
5. पटौदी: पांचवी सबसे बड़ी जीत यहां से हुई है। इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार बिमला चौधरी ने 46,530 वोटों के मार्जिन से कांग्रेस की पर्ल चौधरी को हराया है। बीजेपी को इस सीट पर 98,519 वोट मिले हैं, वहीं कांग्रेस को 51,989 वोट मिले हैं।
वजह: अहीरवाल बेल्ट की इस सीट पर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का प्रभाव है। बिमला चौधरी इससे पहले 2014 में 2019 तक विधायक रह चुकी हैं। 2019 में उनकी टिकट कट गई थी। इस बार राव इंद्रजीत सिंह के कारण बीमा चौधरी को यहां से टिकट मिली।
अब सबसे कम मार्जिन वाली सीटों के बारे में पढ़िए…
1. उचाना कलां: सबसे कम मार्जिन से यहां बीजेपी को जीत मिली है। इस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी देवेंद्र अत्री ने 32 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह को शिकस्त दी है। बीजेपी को यहां से 48,968 और कांग्रेस को 48,936 वोट मिले हैं।
वजह: ये सीट जाट बाहुल्य सीट है। यह सीट पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की पारंपरिक सीट मानी जाती है। हालांकि 2019 में यहां से पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने जीत हासिल की थी। इस बार बृजेंन्द्र सिंह ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ा था।
2. डबवाली: इस सीट पर इनेलो के आदित्य चौटाला को जीत मिली है। यहां से इन्होंने कांग्रेस के अमित सिहाग को 610 वोटों से हराया है। आदित्य को 56,074 और सिहाग को 55,464 वोट मिले हैं।
वजह: डबवाली सीट चौटाला परिवार का गढ़ रही है। आदित्य पूर्व डिप्टी PM देवीलाल के पोते हैं। वह बीजेपी से टिकट कटने से नाराज होकर इनेलो की टिकट से चुनाव लड़े। परिवार के प्रभाव का उन्हें लाभ मिला। 2019 में सिहाग ने आदित्य को 15,647 वोटों के मार्जिन से हराया था।
3. लोहारु: यहां से कांग्रेस के राजवीर परतिया ने 792 वोटों से बीजेपी के मंत्री जेपी दलाल को हरा दिया है। कांग्रेस को यहां 81,336 और बीजेपी को 80,544 वोट मिले हैं।
वजह: इस सीट पर बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह 10 साल की एंटी इनकंबेंसी है। जेपी दलाल कैबिनेट मंत्री थे। उन पर लगातार आरोप लगे कि वह क्षेत्र में सक्रिय कम रहे। कांग्रेस ने इस मुद्दे को पूरी तरह से भुनाया।
4. आदमपुर: इस सीट के परिणाम चौंकाने वाले रहे। यहां से सिटिंग बीजेपी के विधायक भव्य बिश्नोई मात्र 1268 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र प्रकाश से हार गए। कांग्रेस को यहां 65,371 और बीजेपी को 64,103 वोट मिले हैं।
वजह: बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह इस सीट पर भव्य बिश्नोई का कम एक्टिव रहना रहा। वैसे यह बिश्नोई परिवार की ही सीट मानी जाती रही है। भव्य से पहले उनके पिता कुलदीप बिश्नोई यहां से विधायक थे। हालांकि वह उस समय कांग्रेस में थे।
5. पुंडरी: इस सीट पर बीजेपी का सीधा मुकाबला निर्दलीय उम्मीदवार से था। यहां बीजेपी उम्मीदवार सतपाल जांबा ने 2197 वोटों से निर्दलीय उम्मीदवार सतबीर भाणा को शिकस्त दी है। बीजेपी को 42,805 और निर्दलीय को 40,608 मिले हैं।
वजह: पिछले कई चुनाव से निर्दलीय चुनाव जीत रहे थे। इस चुनाव में भी 3 निर्दलीय उम्मीदवार गोलेन, भाणा और कौशिक थे। ऐसे में यहां वोट बंटा। इससे बीजेपी को फायदा हुआ।