Haryana Chunav 2024; Dushyant Chautala Interview | JJP ASP Alliance Vs BJP | दुष्यंत चौटाला बोले-कोई मुझे खत्म नहीं कर सकता: हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी, अभय चौटाला पर बोले- चोरी करने वालों के पेट में दर्द हुआ – Haryana News

‘हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार किसी को बहुमत नहीं मिलेगा। त्रिशंकु विधानसभा यानी विधानसभा में 3 पार्टियों की मिलकर सरकार बनेगी। इसके अंदर हम सबसे इम्पोर्टेंट प्लेयर होंगे। हमारे पास सत्ता की चाबी भी होगी और ताला भी हम ही खोलेंगे।’

.

यह बात हरियाणा के पूर्व डिप्टी CM और जननायक जनता पार्टी (JJP) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ने कही।

दुष्यंत चौटाला ने BJP से गठबंधन टूटने पर कहा कि राजनीतिक जीवन में उतार चढ़ाव सबके सामने आते हैं। देवीलाल जी के भी आए थे। अभी मेरी उम्र 36 साल है। अभी मुझे 40 साल और राजनीति करनी है।

अभय चौटाला के घोटाले के आरोप पर दुष्यंत ने कहा – जो चोरी करते थे, इससे उनके पेट में दर्द हो गया। जिन पॉलिटिकल पार्टी के पास कुछ नहीं था, उन लोगों ने इनसे ऐसे बयान भी दिलवाए।

भाजपा के तीनों लाल (देवीलाल, भजनलाल और बंसीलाल) के परिवार को खत्म करने के सवाल पर दुष्यंत ने कहा कि कोई मुझे खत्म नहीं कर सकता।

दैनिक भास्कर से बातचीत में दुष्यंत चौटाला ने आजाद समाज पार्टी (ASP) कांशी राम के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद से गठबंधन, विधायकों के पार्टी छोड़ने और चुनाव को लेकर JJP उम्मीदवारों की लिस्ट पर खुलकर बात की।

पढ़िए पूरा इंटरव्यू…

भास्कर : चुनाव की तैयारियां कैसी चल रही है?
दुष्यंत :
पूरी तैयारी है, चुनाव में 30 दिन बाकी हैं। मैं मानता हूं कि यह हर पॉलिटिकल पार्टी के लिए अग्निपरीक्षा है। मेहनत करने के बाद नतीजा क्या निकलता है, यह देखने वाली बात होगी।

भास्कर : पूरे हरियाणा में खासकर आपका इतना विरोध क्यों हो रहा है? क्या वजह मानते हैं इसकी?
दुष्यंत :
विरोध वो लोग कर रहे हैं, जिनके लिए हम चैलेंज हैं। चाहे वो कांग्रेस हो, लोकदल हो, आम आदमी पार्टी या भाजपा हो, सभी को ये दिखता है कि प्रदेश के लिए आने वाले भविष्य की लड़ाई जो लड़ पाएगा, वो जननायक जनता पार्टी है। घबराहट की वजह से वो लोग लगातार दुष्प्रचार के माध्यम से हमें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, क्या हम कमजोर हो पाए?। हमने साढ़े 4 साल में अपने सारे वादे पूरे किए हैं।

आने वाले समय में जो हम संकल्प पत्र लेकर आएंगे, वो दिशा देगा कि आने वाला हरियाणा किस तरह का होगा।

भास्कर : आपकी पार्टी में ये भगदड़ क्यों मची है?
दुष्यंत :
चुनाव के टाइम अक्सर ये हर एक पॉलिटिकल पार्टी में देखने को मिलता है कि लोग अपने स्वार्थ के लिए दूसरों दलों की तरफ जाते हैं। मुझे याद है, लोकदल में संपत सिंह सेकेंड इन कमांड थे। वो पार्टी छोड़ गए थे। लोकसभा चुनाव में वह 6 हजार वोट से हार गए। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में चले गए।

चौटाला साहब से भी लोगों ने पूछा कि संपत सिंह कैसे छोड़ गए?, तो उन्होंने शेर पढ़कर कहा, ‘छोटे से स्वार्थ के लिए वर्षों के याराने गए, अच्छा हुआ मेरे दोस्त, कुछ निकली चेहरे पहचाने गए’। ये लोग वो हैं जो अपने स्वार्थ के लिए ऐसे निर्णय लेते हैं। पार्टी विचारधारा को न मानकर, अपना स्वार्थ प्राइमरी रखते हैं।

भास्कर : हरियाणा में 2019 से पहले तक बहुत लोग कहा करते थे कि आपके अंदर ताऊ देवीलाल की छवि दिखती है। क्या लगता नहीं कि 5 साल में ही सबकुछ खत्म सा कर बैठे?
दुष्यंत :
चौधरी देवीलाल के जीवन के सफर को देखेंगे तो वह एक लाइन की तरह सीधा नहीं रहा। उन्होंने बहुत संघर्ष देखें हैं। वो 1972 में चुनाव हार, 1974 में राज्यसभा का चुनाव हारे और 1977 में वह मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वह फिर चुनाव हारे। 1982 में बनी हुई सरकार भजनलाल लेकर भाग गए। 1984 में लोकसभा चुनाव हार गए। 1987 में फिर पूर्ण बहुमत मिला। इसके बाद ऐसी मुहिम बनी कि वह 1989 में देश के उपप्रधानमंत्री बने।

राजनीतिक जीवन के अंदर जो व्यक्ति लड़ेगा, उसे उतार-चढ़ाव देखने पड़ेंगे। अभी मेरे जीवन की शुरुआत है। अभी मैं 36 साल का हूं और शायद अगले 40 साल इसी तरह राजनीति करनी है।

भास्कर : आज के जो हालात हैं, उनमें क्या मानते हैं- BJP से सत्ता के लिए हाथ मिलाना सही फैसला था? या चूक हो गई आपसे?
दुष्यंत :
देखिए, हमने जो घोषणाएं की थीं, उन्हें पूरा करने के लिए गठबंधन किया था। हमने पूरा करके दिखाया है। महिलाओं को 50 प्रतिशत रिजर्वेशन हो, BCA को पंचायती राज में 8 प्रतिशत रिजर्वेशन हो, 75 प्रतिशत लोकल एम्प्लॉयमेंट का कानून लाना हो, बहनों के लिए फ्री बस सुविधा हाे, ये वादे हमने ही किए थे। बुढ़ापा पेंशन देश में सबसे ज्यादा हम ला पाए। 4 साल में ढाई सौ रुपए करके 3 हजार पहुंचाया।

ये बात तो चौधरी देवीलाल और छोटूराम भी कहते थे कि लोगों के काम और फैसले सरकार में हिस्सेदार बनकर ही पूरे किए जा सकते हैं। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत निर्णय लिए गए।

भास्कर : क्या आपको नहीं लगता कि 2019 में हरियाणा के लोगों ने BJP के खिलाफ वोट दिया था लेकिन आपने उसे दोबारा सत्ता में पहुंचा दिया?
दुष्यंत :
क्या मुझे भूपेंद्र हुड्‌डा या कांग्रेस के पक्ष के वोट मिले या लोकदल, आम आदमी पार्टी या बसपा के पक्ष के वोट मिले?। जो पार्टी जनता के बीच जाती है वह अपने वादे लेकर जाती है। लोग उन वादों को अपनाते हैं। उन वादों पर जनता ने हमारा साथ दिया। अब भी जो हम वादा करेंगे, जनता उन्हीं वादों को देखकर वोट डालेगी।

भास्कर : कोई ऐसे काम हैं जो सरकार में रह गए हैं?
दुष्यंत :
राजनीतिक आदमी और पार्टी के लिए काम कभी खत्म नहीं होते। 10 काम करेंगे, 10 नए और आ जाएंगे। जैसे अग्निवीर आ गई, केंद्र ने 10 प्रतिशत कोटा रख दिया। मैं सिपाही को सिपाही नहीं देखना चाहता। जो 4 साल देश के लिए सेवा देकर आया है, उसे ऑफिसर कैसे बनाया जाए, यह हमने वादा किया है।

हम उनकी हायर एजुकेशन निशुल्क करेंगे। हरियाणा भारतीय सेना में 10 प्रतिशत हिस्सा देता है। हमारे वो साथी जो देश सेवा करके आए हैं, उन्हें पढ़ाकर अफसर बनने का मौका दें। मुझे नहीं लगता ऐसा कोई सोच सकता है। आज आंगनबाड़ी वर्करों की बहुत समस्याएं हैं, उनके लिए भी वादा लेकर आएंगे। बहुत ऐसे वर्ग हैं, जिनके बारे में सोचना बहुत जरूरी है।

भास्कर : इस बार आपने आजाद समाज पार्टी और इनेलो ने BSP से गठबंधन किया है। ये चर्चा है कि इन गठजोड़ के पीछे BJP का ही माइंड है ताकि उससे नाराज SC वोट बंट जाए और वो तीसरी बार सरकार बना ले। क्या कहेंगे?
दुष्यंत :
चंद्रशेखर आजाद 36 साल के हैं, मेरी भी उम्र इतनी ही है। हम युवाओं की आवाज बनने की लड़ाई लड़ रहे हैं। सर्व समाज और सर्व हित की लड़ाई लड़ रहे हैं। चौधरी देवीलाल और कांशी राम जी ने 1989 में मिलकर लड़ाई लड़ी है। उस लड़ाई के अंदर देवीलाल जी ने कांशी राम जी से वादा किया था कि डॉ. अंबेडकर जी को भारत रत्न दिलाएंगे। उन्हें मिला और पार्लियामेंट में स्टैच्यू भी बना।

इसके बाद भी उस विचारधारा ने एकजुटता से लड़ाई लड़ी। भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ भी लड़ी। हरियाणा में कांशी राम और देवीलाल जी ने एक साथ चुनाव लड़े तो 4 सांसद बने। ये विचार मिलने की बात है, राजनीतिक तौर पर विचार मिलते हैं तो ताकत भी बढ़ती है।

भास्कर : हरियाणा में इस बार 5 पार्टियां मैदान में हैं। इतिहास अगर देखें तो यहां निर्दलीय भी अच्छी-खासी तादाद में जीतते हैं। क्या आपको नहीं लगता कि वोटों का बिखराव हुआ तो उसका फायदा BJP को ही होगा?​​​​​​​
दुष्यंत :
देखिए, पॉलिटिकल पार्टी बहुत आई हैं और आएंगी भी। हर एक को लोकतंत्र में अधिकार है कि वह अपना संगठन बना सके। हरियाणा में एक बार निर्दलीयों का दौर नहीं आया, हर चुनाव में आता है। भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की सरकार में गोपाल कांडा जीते तो उस समय निर्दलियों की चांदी हुई थी।

हम सरकार में आ गए तो जीते हुए भी रुस (नाराज) गए। निर्दलीय अपना दांव खेलेंगे। इस चुनाव में पार्टी जरूर अपना इम्पोर्टेंट रोल प्ले करेंगी। मैं मानता हूं कि इस बार त्रिशंकु विधानसभा (3 पार्टियों की मिलकर सरकार) आएगी। इसके अंदर हम सबसे इम्पोर्टेंट प्लेयर रहेंगे। हमारे पास सत्ता की चाबी भी होगी और ताला भी खोलेंगे।

भास्कर : आप साढ़े 4 साल रेवेन्यू मिनिस्टर और डिप्टी सीएम रहे। आपके चाचा अभय चौटाला ने आप पर कोरोना काल में शराब घोटाला करने का आरोप लगाया। अपनी सफाई में क्या कहेंगे?​​​​​​​
दुष्यंत :
देखिए, मैं विधानसभा में कई बार इसका जवाब दे चुका हूं। क्या कभी इसका कोई एविडेंस आया?। नॉन सीरियस पॉलिटिशियन के सवालों का जवाब देना टाइम की बर्बादी है। अगर कोई चीज असलियत में हमने की है तो वह रेवेन्यू डिपार्टमेंट के कलेक्शन को दोगुना किया है। एक्साइज एंड टैक्सेशन में जीएसटी और वैट को दोगुना किया।

जब मैं टैक्सेशन मिनिस्टर बना तो हमारी GST कलेक्शन 16 हजार करोड़ थी। जब मैंने रिजाइन किया, तब हम 36 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गए थे। हरियाणा जैसा प्रदेश दोगुना से ज्यादा टैक्स कलेक्शन कर रहा है, इसका मतलब हमने चोरी रोकी है।

रेवेन्यू की बात करें तो स्टांप ड्यूटी कलेक्शन हरियाणा की 6400 करोड़ थी, वह साढ़े 12 हजार करोड़ कैसे पहुंच गई?। ये आंकड़े बताते हैं कि मैंने चोरी रोकी। जो चोरी करते थे, इससे उनके पेट में दर्द हो गया। जिन पॉलिटिकल पार्टी के पास कुछ नहीं था, उन लोगों ने इनसे ऐसे बयान भी दिलवाए।

भास्कर : BJP ने हरियाणा के तीनों लाल के परिवार हजम कर दिए। यही उसने क्षेत्रीय दलों के साथ भी किया। आपके परिवार का तो एक्सपीरियंस भी है। BJP की इस नीति पर क्या कहेंगे?​​​​​​​
दुष्यंत :
राजनीतिक तौर पर जो संघर्ष करना छोड़ देता है, वह खत्म हो जाता है। जो संघर्ष करने का माद्दा रखता है, वह कभी खत्म नहीं होता। अखिलेश यादव तीसरे-चौथे नंबर पर आ गए थे। उन्होंने संघर्ष कर दोबारा रिवाइव किया। लालू प्रसाद यादव जी जेल चले गए तो लोग कहते थे कि RJD खत्म हो गई, क्या उन्होंने रिवाइव नहीं किया?।

जब येदुगुड़ी संदिंती राजशेखर रेड्डी (YSR) के जगन जेल में थे तो उनकी बहन और पत्नी ने पदयात्रा की। जब उनकी सरकार बनी तो चंद्रबाबू नायडू को लोग कहते थे कि उन्होंने भाजपा को खत्म कर दिया। आज वही चंद्रबाबू नायडू हैं, जिन्हें आधा बजट समर्पित किया गया है। पॉलिटिकल आदमी की कैपेबिलिटी पर है कि वह कितनी मेहनत कर सकता है। वह मेहनत करेगा तो और मजबूती के साथ आएगा।

भास्कर : इस बार लोग कह रहे हैं कि मल्टीफाइट नहीं है, सीधा मुकाबला कांग्रेस-भाजपा में है?​​​​​​​
दुष्यंत :
अभी कांग्रेस, भाजपा, जेजेपी, एएसपी, इनेलो, आम आदमी पार्टी समेत जितने भी दल हैं, चुनाव 12 तारीख से शुरू होगा। तब सारे घोड़े मैदान में होंगे। उसमें देखना पड़ेगा कि मैदानी घोड़ा कौन सा है और आप के खुद के घर का घोड़ा कौन सा है। जो मैदानी घोड़े होंगे, वही रेस जीतेंगे।

भास्कर : ऐसी चर्चा है कि आपके दादा रणजीत चौटाला की टिकट भाजपा काट रही है। गोबिंद कांडा के बेटे को उनकी सीट से टिकट देने की तैयारी है। क्या भाजपा चौटाला परिवार की अनदेखी कर रही है?​​​​​​​
दुष्यंत :
यह बात भाजपा के लोग बताएंगे। हम तो गठबंधन में थे। हमने विषयों को भाजपा के साथ पूरा किया है। कुछ इश्यू थे, जहां हमारा टकराव रहा है। उस टकराव में मतभेद हो सकते हैं।

भास्कर : अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि हमारा JJP से गठबंधन रहेगा। फिर लोकसभा चुनाव आए तो भाजपा ने कहा कि हमने दुष्यंत चौटाला को रोहतक सीट ऑफर की थी, तब क्या हुआ था?​​​​​​​
दुष्यंत :
हमारा 5100 रुपए पेंशन करने का वादा था। भाजपा के साथ मिलकर हम उसे 3 हजार तक ला पाए। इसके बाद हम उसे नहीं बढ़ा पाए। सीट शेयरिंग पर भी सहमति नहीं बनी। कोई भी पॉलिटिकल पार्टी किसी दूसरे के लिए मैदान नहीं छोड़ेगी। हमने अपने दम पर सभी 10 लोकसभा सीट और करनाल विधानसभा उपचुनाव लड़ा है।

हम उनके साथ गठबंधन में थे, मैं कभी उनकी पार्टी का सदस्य नहीं रहा। ये चीज देखते हुए उन्होंने आगे चलने का निर्णय लिया तो हमने भी अलग चलने का फैसला कर लिया।

भास्कर : परिवार एकजुट होकर लड़ता तो बेहतर होता?​​​​​​​
दुष्यंत :
ये राजनीतिक लड़ाई है, कोई पारिवारिक जमीन की लड़ाई नहीं है। मनप्रीत, सुखबीर बादल अलग-अलग चुनाव लड़ चुके। सुप्रिया सुले और अजीत पवार की पत्नी आमने-सामने चुनाव लड़ चुके। ये पॉलिटिकल लड़ाई है। हमारे परिवार में यह आज नहीं हुई। चौधरी रणजीत, जगदीश जी, चौटाला साहब, सब आमने-सामने हो चुके हैं।

भास्कर : आपके पास सारी सीटों लायक कैंडिडेट्स हैं? या पिछली बार की तरह कांग्रेस-भाजपा की बगावत से कोई आस है?​​​​​​​
दुष्यंत :
देखिए, हम अपने कैडर पर विश्वास करते हैं। 70 सीटों पर जननायक जनता पार्टी लड़ेगी और 20 पर चंद्रशेखर की पार्टी चुनाव लड़ेगी। मिलकर 90 मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे। PAC की मीटिंग के बाद सभी उम्मीदवार सामने रख देंगे।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *