बड़ा तालाब का निरीक्षण करती हुई टीम।
हरियाणा में रेवाड़ी शहर की एतिहासिक धरोहर तेज सरोवर (बड़ा तालाब) और सोलहाराही तालाब के सौंर्दीयकरण के तहत चल रहे निर्माण कार्य की जांच के लिए चंडीगढ़ और गुरुग्राम एक टीम पहुंची। इस दौरान टीम ने बड़ा तालाब में चल रहे निर्माण कार्य का जायजा लिया। साथ ही
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गुणवत्ता की जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चल पाएगा आखिर किस स्तर का निर्माण कार्य हो रहा है। जब टीम जांच कर चली गई तो कर्मचारी और ठेकेदार बातचीत में उलझ गए। एक दूसरे पर दीवार की मोटाई, चौड़ाई और लंबाई को लेकर बातें की जा रही थी, जिससे साफ झलक रहा था कि सैंपल से कर्मचारी और ठेकेदार चिंतित हैं। क्योंकि रिपोर्ट खिलाफ आती है तो इस पर बड़ा एक्शन भी लिया जा सकता है।
इस दौरान टीम ने मौके से सैंपल भी एकत्रित किए।
XEN बोले-रूटीन चेकिंग
पिछले दिनों लोगों ने सोलहाराही तालाब में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने को लेकर आवाज उठाई थी। इसके बाद प्रशासन जिला प्रशासन की एक टीम ने भी तालाब का जायजा लिया था। अब चंडीगढ़ और गुरुग्राम की टीम ने जाकर सैंपल एकत्रित किए हैं। मामले में पीडब्ल्यूडी एक्सईएन आदित्य का कहना है कि यह एक रूटीन चेकिंग है। टीम में यहां पर आई थी और निरीक्षण करके गई हैं। साथ ही सैंपल भी एकत्रित किए गए हैं।
टूटकर तालाब में गिरी दीवारें
बता दें कि सितंबर माह में लगातार हो रही बरसात से निर्माणाधीन प्राचीन सोलहाराही तालाब की दीवार भरभरा कर गिर गई थी। जिससे मंदिर की सड़क में भी अब दरारें आ चुकी हैं, जिससे कभी भी सड़क धंस सकती है। उसके कुछ दिन बाद मंदिर की तरफ वाले मार्ग से तालाब की दो जगह से दीवारें टूटकर गिरी थी। करीब 20 प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ था। मजदूरों को हमेशा यही डर लगता है की कहीं कार्य करते वक्त दीवार उन पर ना गिर जाए। लोगों का कहना है कि निर्माण करने से पहले दीवारों को दोबारा से तोड़ना चाहिए था। क्योंकि दीवारें काफी पुरानी हो चुकी है। दीवारों पर जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह तालाब के ही पुराने पत्थर हैं। इन पत्थरों को जोड़ने के लिए भट्ठे से तैयार पकी हुई ईटों को पहले मशीन से पीसा जाता है। उसके बाद लेप तैयार होता है, इससे इन पत्थरों को जोड़ा जाता है। सोलहाराही तालाब और बड़ा तालाब का 10 करोड़ से सौंर्दीयकरण किया जा रहा है।
घाट, बावड़ियां व सीढ़ियों को संवारा जा रहा
बड़ा तालाब और सेक्टर-1 स्थित सोलहराही सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य जारी है। दोनों तालाबों में बने घाट, बावड़ियां व सीढ़ियों को संवारा जा रहा है। पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए इन तालाबों में भविष्य में नाव भी चलाई जा सकती है, क्योंकि इन सरोवरों की छठा देखते ही बनती है। प्राचीन होने के साथ ही इनकी बनावट भी बेहतर है। दिल्ली-जयपुर हाईवे के निकट होने के कारण यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।