Hartalika Teej on 26th August, significance of hartalika teej in hindi, Goddess Parvati and Lord Shiva story, hartalika teej story | हरतालिका तीज 26 अगस्त को: जीवन साथी के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना से किया जाता है ये व्रत, जानिए हरतालिका तीज से जुड़ी परंपराएं

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21 मिनट पहले

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मंगलवार, 26 अगस्त को हरतालिका तीज व्रत किया जाएगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज कहते हैं। ये व्रत जीवन साथी के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना से किया जाता है। ये निर्जला व्रत है यानी इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं पानी भी नहीं पीती हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, हरतालिका तीज व्रत के शुभ फल से महिलाओं के वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य बना रहता है। ऐसी मान्यता है। कुंवारी कन्याएं ये व्रत मनचाहा वर पाने की कामना से भी करती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करनी चाहिए।

हरतालिका तीज व्रत से जुड़ी पौराणिक मान्यता

  • भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत किया था। देवी ने हिमालय राज के यहां पुत्री रूप में अवतार लिया था।
  • जब देवी पार्वती विवाह योग्य हुईं, तब देवी ने शिव जो पति रूप में पाने के लिए तप किया था। तपस्या के दिनों में देवी ने भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया पर रेत से शिवलिंग बनाया और भगवान की पूजा की थी।
  • इस तिथि पर देवी ने रातभर जागकर शिव जी भक्ति की। मान्यता है कि देवी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और देवी को वरदान दिया कि वे उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करेंगे। इसके बाद शिव-पार्वती का विवाह हुआ था।

ऐसे किया जाता है हरतालिका तीज व्रत

  • जो महिलाएं ये व्रत करती हैं, वे सुबह जल्दी जागती हैं और स्नान के बाद शिव-पार्वती और गणेश जी के सामने हरतालिका तीज व्रत और पूजा करने का संकल्प लेती हैं।
  • महिलाएं प्रथम पूज्य गणेश, भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। दिनभर निर्जल रहकर भक्ति करती हैं। निर्जल यानी इस दिन महिलाएं अन्न के साथ ही पानी का भी त्याग करती हैं, पूरे दिन पानी भी नहीं पीती हैं।
  • शाम को और रात में भी शिव-पार्वती की पूजा करती हैं, व्रत कथा सुनती हैं, व्रत के नियमों का पालन करती हैं और इस तरह ये व्रत पूरा होता है।
  • इस व्रत में महिलाएं पूजा के लिए मिट्टी या रेत से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमाएं बनाती हैं। पूजा में महिलाएं देवी पार्वती का सुंदर श्रृंगार करती हैं और सुहाग की चीजें जैसे लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, कुमकुम, आभूषण चढ़ाती हैं।
  • जिन महिलाओं के लिए दिनभर भूखे-प्यासे रहना संभव नहीं है, वे फलाहार और दूध का सेवन कर सकती हैं। बीमार, गर्भवती महिलाओं को व्रत करने से बचना चाहिए, इन्हें विधि-विधान से पूजा-पाठ करनी चाहिए।

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