Haridas Whitkar used to make tabla for Ustad Zakir Hussain | उस्ताद जाकिर हुसैन के लिए तबला बनाते थे हरिदास व्हटकर: बोले- मैंने तबला बनाया, उन्होंने मेरी जिंदगी बना दी; 26 साल तक साथ काम किया

25 मिनट पहले

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उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन ने उनके तबला मेकर हरिदास व्हटकर को गहरा सदमा दिया है। 59 वर्षीय व्हटकर, जो तीसरी पीढ़ी के तबला मेकर हैं, ने भावुक होकर PTI को कहा, ‘मैंने सबसे पहले उनके पिता अल्ला रक्खा जी के लिए तबला बनाना शुरू किया। जाकिर हुसैन साहब के लिए 1998 से तबला बना रहा हूं।’

अगस्त में हुई आखिरी मुलाकात

व्हटकर ने आगे बताया कि उस्ताद जाकिर हुसैन से उनकी आखिरी मुलाकात इस साल अगस्त में हुई थी। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘गुरु पूर्णिमा का दिन था। हम एक हॉल में मिले, जहां उनके कई प्रशंसक भी मौजूद थे। अगले दिन मैं उनके नेपियन सी रोड स्थित शिमला हाउस सोसाइटी के घर गया। हम घंटों बातचीत में मशगूल रहे।’

तबले को लेकर थे परफेक्शनिस्ट

जाकिर हुसैन के तबले के प्रति लगाव और परफेक्शन की चर्चा करते हुए व्हटकर ने आगे कहा, ‘उन्हें हमेशा अपने तबले का सही ट्यूनिंग चाहिए होता था। वह तबले की हर छोटी-बड़ी बात का खास ध्यान रखते थे – कैसा बना है, और कब चाहिए।’

बनाए तबलों की गिनती नहीं

बातचीत के दौरान, व्हटकर ने बताया कि उन्होंने जाकिर हुसैन के लिए इतने तबले बनाए हैं कि गिनना मुश्किल है। ‘बहुत सारे बनाए। उनके कई तबले अभी भी मेरे पास हैं। मैं नए तबले बनाने के साथ पुराने तबलों की मरम्मत भी करता था। मैंने उनके लिए तबला बनाया और उन्होंने मेरी जिंदगी बना दी।’

नियमित संपर्क नहीं, लेकिन गहरा जुड़ाव

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह जाकिर हुसैन से नियमित संपर्क में रहते थे, तो उन्होंने कहा, ‘ज्यादा नहीं। वह तभी कॉल करते थे जब नया तबला चाहिए होता था या पुराने की मरम्मत करनी होती थी। हमारी बातचीत महीनों के अंतराल में होती थी। इसे नियमित संपर्क नहीं कह सकते।’

तबला मेकिंग की विरासत

बता दें, हरिदास ने बचपन में ही तबला बनाने की कला सीखी। उनके दादा केरप्पा रामचंद्र व्हटकर और पिता रामचंद्र केरप्पा व्हटकर भी तबला मेकर थे। 1994 में मुंबई आने के बाद उन्होंने हरिभाऊ विश्वनाथ कंपनी के साथ काम शुरू किया। अब उनके बेटे किशोर और मनोज भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

जाकिर हुसैन को अंतिम विदाई

73 साल के जाकिर हुसैन, जिन्हें अपनी पीढ़ी का सबसे बड़ा तबला वादक माना जाता है, का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। अपनी कला के लिए विश्वभर में मशहूर इस कलाकार के परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और दो बेटियां अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी हैं।

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