Guru Purnima on 21st July, significance of guru purnima, guru puja vidhi for guru purnima | गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को: जानिए रविवार को गुरु की पूजा के साथ कौन-कौन से शुभ काम करें?

12 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

आषाढ़ मास की पूर्णिमा रविवार, 21 जुलाई को है। इस तिथि पर गुरु पूजा का महापर्व गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। आम इंसान ही नहीं, भगवान ने भी गुरु से ज्ञान प्राप्त किया है। गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास की जन्म तिथि है। वेदव्यास ने वेदों का संपादन किया। 18 मुख्य पुराणों के साथ ही महाभारत, श्रीमद् भागवत कथा जैसे ग्रंथों की रचना की थी।

श्रीराम ने ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र से ज्ञान प्राप्त किया, श्रीकृष्ण के गुरु सांदीपनि थे। हनुमान जी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाए थे। इसीलिए गुरु का स्थान सबसे ऊंचा माना गया है। गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु की पूजा करें, अपने सामर्थ्य के अनुसार कोई उपहार दें और उनकी शिक्षाओं पर चलने का संकल्प लें। तभी जीवन में सुख-शांति के साथ ही सफलता भी मिल सकती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता है और शास्त्र कहते हैं कि जिन लोगों का कोई गुरु नहीं है, उसे तो मोक्ष भी नहीं मिल पाता है। गुरु के बिना सुख-शांति और सफलता नहीं मिलती है, हम जीवन जीने की कला नहीं सीख सकते हैं।

ऐसे मना सकते हैं गुरु पूर्णिमा

  • गुरु पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठें और सूर्य को जल चढ़ाने के बाद घर के मंदिर में पूजा करें।
  • घर में पूजा करने के बाद अपने गुरु के घर जाएं। गुरु को ऊंचे आसन पर बैठाएं और हार-फूल, कुमकुम, चावल से पूजा करें।
  • गुरु को मिठाई, फल और फूल चढ़ाएं। अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार और दक्षिणा दें।
  • गुरु पूर्णिमा पर वेदव्यास की भी पूजा करें और उनके ग्रंथों के अध्यायों का पाठ करें।
  • गुरु के सामने उनके उपदेशों को जीवन में उतारने का संकल्प लें।

पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी

  • आषाढ़ पूर्णिमा पर अनाज, धन, कपड़े, जूते-चप्पल, छाता, कंबल, चावल, खाना और ग्रंथों का दान कर सकते हैं।
  • किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट में दें।
  • शिवलिंग पर जल, दूध चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए शिवलिंग पर चंदन का लेप करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *