Gupt Navratri of Ashadh month till 15th July, significance of gupt navratri in hindi, shiv and durga puja vidhi in navratri | 15 जुलाई तक आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि: अष्टमी-नवमी पर देवी दुर्गा को चढ़ाएं लाल चुनरी और सुहाग का सामान, शिव जी के साथ करें देवी की पूजा

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3 मिनट पहले

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अभी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि चल रही है। इस नवरात्रि की दो महत्वपूर्ण तिथियां अष्टमी 14 जुलाई और नवमी 15 जुलाई को रहेगी। वैसे नवरात्रि के पूरे नौ दिन देवी की विशेष पूजा करनी चाहिए, लेकिन जो लोग देवी की रोज पूजा नहीं कर पा रहे हैं, वे अष्टमी और नवमी तिथि पर भी विशेष पूजा कर सकते हैं। इन दो तिथियों पर की गई देवी पूजा से अक्षय पुण्य मिलता है। ऐसा पुण्य जिसका असर जीवनभर बना रहता है। ऐसी मान्यता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, देवी पूजा करने वाले भक्तों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान के बाद घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश जी पूजा करें। इसके बाद देवी मां और शिव जी की पूजा करनी चाहिए। जानिए

देवी दुर्गा की सरल पूजा विधि…

गणेश पूजा के बाद देवी दुर्गा और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। देवी मां को लाल फूल, लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं। शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं।

देवी को कुमकुम से तिलक करें और शिवलिंग पर चंदन का लेप करें।

देवी-देवता को मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। मंत्र जप करें। शिव जी के मंत्र ऊँ नम: शिवाय और देवी मंत्र दुं दुर्गायै नम: का जप करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिए।

मंत्र जप रुद्राक्ष की माला की मदद से करना चाहिए। पूजा करने वाले लोगों को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

मंत्र जप के लिए किसी ऐसी जगह का चयन करें, जहां शांति और पवित्रता हो।

देवी मां के इन मंत्रों का भी कर सकते हैं जप

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्येत्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।।

ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

इन मंत्रों के अलावा दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जा सकता है।

देवी मां कथाएं भी पढ़ और सुन सकते हैं।

किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान करें।

गुप्त नवरात्रि में की जाती है दस महाविद्याओं के लिए विशेष साधना

इस नवरात्रि में देवी सती की दस महाविद्याओं के लिए साधनाएं की जाती हैं। ये साधनाएं विशेष साधक करते हैं। आम लोगों को नवरात्रि में देवी मां के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करनी चाहिए। पूजा में मंत्र जप के साथ ही ध्यान भी करेंगे तो अशांति दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है। इन महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी शामिल हैं।

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