मरीज अब्दुल कादिर अपने घर से पंखा लाकर गर्मी से बचने का प्रयास कर रहे।
प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल यानी कॉल्विन हॉस्पिटल में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर मरीज परेशान है। सही बेड न होने से भर्ती मरीजों दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड लगे पंखे भी ठीक से काम नहीं कर रहे है।
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बेड पर बिना बेडशीट के ही भर्ती मरीज लेता हुआ है।
लगभग सभी मरीज खुद अपने घर से पंखा लाकर गर्मी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस वार्ड में भर्ती कुछ मरीज तो टूटे हुए बेड पर पड़े हुए हैं, उनके बेड पर बैडशीट तक नहीं है। कुछ मरीजों के बिस्तर पर बैडशीट तो है लेकिन वह 4-5 दिन बदला जाता है। शिकायत के बावजूद यहां कोई सुनने वाला नहीं है।
- आइए, जानते हैं इमरजेंसी वार्ड की हकीकत क्या है?
इमरजेंसी वार्ड में पहुंचने पर इतनी दुर्गंध आती है कि वहां बैठे तीमारदार भी नाक ढक रखे थे। यहां 27 नंबर बेड पर एक मरीज सो रहा था। वह बेड क्षतिग्रस्त था। उस पर बैडशीट तक नहीं थी। सिर के पास तकिया के बजाय दो ईंट रखे गए थे। बगल में दूसरे बेड पर लेटे हरवारा के अब्दुल कादिर अपने सामने फर्राटा पंखा रखे हुए थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि पंखा तो लगा है कि लेकिन खराब है। कई बार कहने के बावजूद नहीं सही हुआ तो हम घर से अपना पंखा मंगा लिया हैं। वहां यहां करीब डेढ़ माह से भर्ती हैं।
एक मरीज इस तरह खराब बेड पर बिना बैडशीट के लेटा हुआ है।
बैडशीट न बदलने से आ रही दुर्गंध
वार्ड में भर्ती राहुल एक्सीडेंट में चोटिल हुए थे। हाथ में फ्रैक्चर है। पिछले एक सप्ताह से यहां भर्ती हैं। बैडशीट बिल्कुल गंदी हो चुकी थी। राहुल की बड़ी मां ने बताया, बैडशीट तीन-चार दिन पहले बदली गई थी। कई बार कहने के बाद भी दूसरा नहीं मिला। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इस अस्पताल में भर्ती हूं। पंखा न होने की वजह से हम लोग गर्मी में झुलस रहे हैं।
भर्ती मरीज शेराज ने बताया, गर्मी से परेशान था इसलिए टेबल फैन घर से मंगा लिया। पंखा व कूलर तो लगा है लेकिन इससे कोई राहत नहीं है। जितेंद्र कुमार अपने भाई को लेकर भर्ती हैं। बेड पर चादर न होने की बात पर उन्होंने कहा कि लगातार पांच दिन से ये बेड का चादर नहीं बदला गया है। सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।
वार्ड में तीमारदारों के बैठने तक के लिए व्यवस्था नहीं है।
बिना रुपयों के नहीं होगा ऑपरेशन
इस वार्ड में सरस्वती घाट का रहने वाला रमन भी भर्ती है। रोड एक्सीडेंट में उसका कूल्हा टूट गया है। आर्थिक रूप से वह कमजोर है। उसके साथी चंदा लगाकर इलाज करा रहे हैं। उसके एक साथी ने कहा, 1000 रुपए ज्यादा का सामान ला चुका हूं। डॉक्टर ने एक स्टाफ से कहलवाया है कि कम से कम 15000 रुपए लगेगा। वरना एसआरएन अस्पताल के लिए रेफर करना पड़ेगा।
घर से पंखा लाकर अपने बेड पर रखा है यह मरीज ताकि गर्मी से राहत मिल सके।
वार्डब्वॉय व नर्सिंग स्टाफ के भरोसे यह वार्ड
तीमारदारों ने कहा, यहां सीनियर डॉक्टर का पता ही नहीं। वार्डब्वॉय और नर्सिंग स्टॉफ के भरोसे हम लोग मरीज लेकर यहां भर्ती हैं। सफाई के नाम पर यहां सिर्फ दिखावा हो रहा है। वार्ड में गंदगी है। शौचालय में इतनी गंदगी है जैसे कभी सफाई ही नहीं होती है। इमरजेंसी वार्ड के ठीक बाहर गैलरी में अस्पताल के कर्मचारियों की बड़ी संख्या में बाइक खड़ी रहती है इससे तीमारदारों के साथ मरीजों को भी वार्ड में आने-जाने में परेशानी होती है।
अस्पताल में सबसे ज्यादा कूलर और AC
इमरजेंसी वार्ड में इस अव्यवस्था के बारे में जब अस्पताल की SIC डॉ. नाहिदा खातून सिद्दीकी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा, सबसे ज्यादा AC और कूलर-पंखे मेरे अस्पताल में हैं। ऐसे में घर से मरीजों के पंखा लाने की बात ही नहीं है। बैडशीट रोजाना रूटीन में बदली जाती है।