कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड को रोकने के लिए राज्य सरकार कानून बनाने जा रही है। इसके लिए सरकार विधानसभा में आत्महत्या रोकने के संबंध में विधेयक लेकर आएगी। यह जानकारी सरकार की ओर से शुक्रवार को हाईकोर्ट में दी गई।
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हाईकोर्ट में सरकार की ओर से 33 जिलों में संचालित कोचिंग सेंटर्स की लिस्ट भी पेश की गई। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्यों न कानून बनने तक कोचिंग सेंटर्स के पंजीयन से संबंधित केंद्र सरकार की गाइडलाइन को लागू करा दिया जाए? इसे लेकर कोर्ट ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
खुदकुशी की घटनाओं के बीच हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स में बढ़ती खुदकुशी की घटनाओं के बीच हाईकोर्ट ने करीब 9 साल पहले स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर याचिका दर्ज की थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से पूछा था कि वह कोचिंग स्टूडेंट्स में आत्महत्याओं की घटनाओं को रोकने के लिए क्या प्रयास कर रही है।
इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि हम इस संबंध में विधेयक ला रहे हैं। इस पर न्यायमित्र वरिष्ठ वकील सुधीर गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि कानून बनने में समय लगने वाला है, तब तक केंद्र सरकार की गाइडलाइन की पालना कराई जाए और उनके अंतर्गत तय मानकों के अनुसार कोचिंग सेंटर्स का पंजीयन किया जाए।
उधर, कोचिंग संस्थान की ओर से वरिष्ठ वकील आर. एन. माथुर ने कहा कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बजाय कानून ही लागू किया जाए। हालांकि उन्हें कोचिंग सेंटर्स के पंजीयन पर कोई आपत्ति नहीं है।
इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन में सजा और जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन प्रदेश में कानून बनने पर ही इस तरह के प्रावधान लागू हो सकते हैं तो कानून बनने तक इन्हें क्यों न लागू करवा दिया जाए?
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