35 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर
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![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/05/28/k-2024-05-28t034343863_1716848471.jpg)
इस भरी गर्मी में हर तरफ हाल बेहाल हैं। राजकोट के गेम जोन से लेकर दिल्ली के बेबी केयर सेंटर तक आग लगी हुई है। सेंटरों में भी। सिस्टम में भी और सरकारी नियम-कानूनों में भी। वर्षों से बिना परमीशन चल रहे गेम ज़ोन की किसी ने सुध नहीं ली। अब कह रहे हैं ऐसे कई गेम ज़ोन हैं जो बिना परमीशन के चल रहे हैं।
बेबी केयर भी बिना लाइसेंस के चलाए जा रहे हैं। जिसमें आग लगी वहाँ तो केवल पाँच बच्चों को रखा जा सकता था लेकिन इसके बावजूद इस सेंटर में 12 बच्चों को ठूँस रखा था। तेज और भीषण गर्मी ने तमाम लापरवाहियों को उजागर कर दिया।
इस गर्मी में राजस्थान बुरी तरह तप रहा है। पिछले पाँच दिनों में यहाँ लू लगने से तीस लोगों की मौत हो चुकी है। हालाँकि प्रशासन और सरकार कुछ भी मानने को तैयार नहीं है।
![राजकोट गेम जोन अग्निकांड में 28 लोगों की मौत हुई है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/05/28/comp-1017166474241716661982_1716848120.gif)
राजकोट गेम जोन अग्निकांड में 28 लोगों की मौत हुई है।
![दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 6 बच्चों की मौत हुई है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/05/28/comp-2321716692920_1716848071.gif)
दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 6 बच्चों की मौत हुई है।
दरअसल, सरकारें लोगों की इस तरह मौत का कोई न कोई दूसरा कारण ढूँढकर ले आती हैं। मानती नहीं हैं। चाहे भूख से किसी की मौत हुई हो या गर्मी से या ठंड से। लू लगने से अगर किसी की मौत हुई है तो इसे मानने में क्या दिक़्क़त है। अब लू किसी को सरकार ने जाकर तो लगाई नहीं है! न ही सरकार ने सूरज को जाकर कहा कि इस बार जरा ज़्यादा तपो। फिर मानने में परेशानी क्या है?
नौकरशाही हमेशा से ऐसी ही है। उसे किसी बात को मानने में इतनी तकलीफ़ क्यों होती है, कोई नहीं जानता! ग़नीमत है लोकसभा चुनाव का अब एक आख़िरी दौर ही बचा है वर्ना पैंतालीस- अड़तालीस डिग्री में कोई कैसे तो प्रचार करता और कैसे कार्यकर्ता घर- घर पहुँच पाते! खैर, अब तक 486 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। आख़िरी दौर में एक जून को केवल 57 सीटों पर मतदान होना है।
हिसाब केवल यह लगाया जा रहा है कि चार सौ पार या चार सौ के अंदर? लोकसभा चुनाव में इस बार जीत- हार का सवाल न चुनाव घोषित होने के पहले था और न ही अधिकांश सीटों पर मतदान हो जाने पर है। हालाँकि इंडिया गठबंधन खुद को तीन सौ सीटों के पार बताने से नहीं चूक रहा है लेकिन इसका पूरा हिसाब उसके पास है नहीं।
तीन सौ सीटें उसके पास कहाँ से आएँगी, यह भी वह बताने की स्थिति में नहीं है। हालाँकि चार सौ पार वाले भी पक्का हिसाब तो नहीं ही बता पा रहे हैं लेकिन जीत लायक़ गणित ज़रूर उनके पास है और वो दिखाई भी दे रहा है। देखना यह है कि चुनाव परिणाम के दिन यानी चार जून को कौन कहाँ खड़ा रह पाता है!