Government Allows Uber, Ola, Rapido to Charge Up to 2x Base Fare During Peak Hours | ओला-उबर पीक आवर्स में दोगुना किराया वसूल सकेंगी: ड्राइवर ने राइड कैंसिल की तो 10% जुर्माना, सरकार बोली- 3 महीने में लागू करें नए नियम

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नई दिल्ली14 घंटे पहले

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नए नियमों में ड्राइवर राइड स्वीकार करने के बाद कैंसिल करता है, तो उस पर किराए का 10% जुर्माना लगेगा। - Dainik Bhaskar

नए नियमों में ड्राइवर राइड स्वीकार करने के बाद कैंसिल करता है, तो उस पर किराए का 10% जुर्माना लगेगा।

ओला, उबर, रैपिडो अब पीक आवर्स में दोगुना तक किराया वसूल सकती हैं। केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस जारी करके एप बेस्ड टैक्सी सर्विसेस को ऐसा करने की मंजूरी दी है। सरकार ने 3 महीने में (सितंबर तक) नए नियम लागू करने को कहा है।

7 सवाल-जवाब में जानें किराया बढ़ाने के नए नियम…

सवाल 1: सरकार ने कैब कंपनियों के लिए क्या नया नियम बनाया है?

जवाब: केंद्र सरकार ने मंगलवार को मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस (MVAG) 2025 जारी की हैं। इसके तहत ओला, उबर, रैपिडो और इनड्राइव जैसी कैब कंपनियों को पीक आवर्स में बेस किराए का दोगुना (2x) वसूलने की अनुमति दी गई है। पहले यह सीमा 1.5 गुना थी।

उदाहरण: मान लीजिए, भोपाल में एक कैब का बेस किराया 100 रुपए प्रति 5 किलोमीटर है। नए नियमों के तहत, पीक आवर्स में कंपनी 200 रुपए तक वसूल सकती है।

सवाल 2: पीक आवर्स क्या होते हैं?

जवाब: पीक आवर्स वह समय होता है जब सड़कों पर ट्रैफिक ज्यादा होता है, तब कैब की मांग बढ़ती है या मौसम खराब होने की वजह से लोग ज्यादा कैब बुक करते हैं। आमतौर पर यह सुबह 8-11 बजे और शाम 5-9 बजे के बीच का समय होता है। बारिश, त्योहार या बड़े इवेंट्स के दौरान भी पीक आवर्स हो सकते हैं।

उदाहरण: जयपुर में मानसून के दौरान भारी बारिश हो रही है। ऑफिस टाइम में, जब लोग घर या ऑफिस जाना चाहते हैं, तो मांग बढ़ जाती है। वहां प्रति किलोमीटर का बेस किराया 20 रुपए है, बारिश के दौरान पीक आवर्स में 5 किलोमीटर की राइड के लिए आपको 100 की जगह 200 रुपए (2x) तक देने पड़ेंगे। पहले यह अधिकतम 150 रुपए (1.5x) होता था।

सवाल 3: क्या नॉन-पीक आवर्स में भी किराया प्रभावित होगा?

जवाब: हां, नए नियमों के अनुसार नॉन-पीक आवर्स (जब मांग कम होती है) में किराया बेस किराए का कम से कम 50% होगा। जैसे दोपहर के समय या देर रात, न्यूनतम किराया बेस किराए का 50% होगा। इसका मतलब है कि कंपनियां बेस किराए से कम किराया नहीं ले सकतीं, भले ही राइड बहुत छोटी हो। यह नियम ड्राइवरों की आय को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।

उदाहरण: लखनऊ में एक बाइक टैक्सी का बेस किराया 2 किलोमीटर के लिए 100 रुपए है। नॉन पीक आवर्स में, जैसे दोपहर 2 बजे, अगर आप 2 किलोमीटर की राइड लेते हैं, तो आपको कम से कम 50 रुपए देने होंगे। कंपनी इसके लिए पहले और कम रुपए चार्ज करती थी।

सवाल 4: बेस किराया क्या है और इसे कौन तय करता है?

जवाब: बेस किराया वह मूल किराया है, जो कैब, ऑटो-रिक्शा या बाइक टैक्सी के लिए एक निश्चित दूरी या समय के लिए तय किया जाता है। यह किराया राज्य सरकारें तय करती हैं, क्योंकि परिवहन नियम राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। बेस किराया शहर, वाहन के प्रकार (जैसे सेडान, एसयूवी, ऑटो, या बाइक) और स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

इससे पहले ओला, उबर आईफोन और एंड्रॉयड में अलग-अलग बेस फेयर वसूलने को लेकर विवादों में रह चुकी हैं।

इससे पहले ओला, उबर आईफोन और एंड्रॉयड में अलग-अलग बेस फेयर वसूलने को लेकर विवादों में रह चुकी हैं।

सवाल 5: ड्राइवर राइड कैंसिल करता है, तो क्या होगा?

जवाब: अगर ड्राइवर राइड स्वीकार करने के बाद बिना उचित कारण के कैंसिल करता है, तो उस पर बेस किराए का 10% जुर्माना लगेगा, जो अधिकतम 100 रुपए तक हो सकता है। यह नियम ड्राइवरों को मनमानी कैंसिलेशन से रोकने के लिए बनाया गया है।

उदाहरण: मान लीजिए, इंदौर में आपने एक कैब बुक की, जिसका बेस किराया 200 रुपए है। अगर ड्राइवर राइड शुरू करने से पहले कैंसिल करता है, तो उस पर 20 रुपए (200 का 10%) का जुर्माना लगेगा। अगर बेस किराया 1500 रुपए है, तो भी जुर्माना अधिकतम 100 रुपए ही होगा।

सवाल 6: ये नियम कब से लागू होंगे?

जवाब: केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे अगले तीन महीनों, यानी सितंबर 2025 तक इन नए नियमों को लागू करें।

सवाल 7: क्या कोई और बदलाव किए गए हैं?

जवाब: हां, नए नियमों के तहत सभी ड्राइवरों के लिए 5 लाख तक बीमा कवर अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो।

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